अजमेर. जिले में 283 ग्राम पंचायत है. इनमें 12 ग्राम पंचायत ऐसी है जो शहर के नजदीक होने की वजह से पेराफेरी क्षेत्र में आती है. सरपंच के 'रिपोर्ट कार्ड' के चुनाव कार्यक्रम के तहत ईटीवी भारत की टीम ने पेराफेरी क्षेत्र के सोमलपुर ग्राम पंचायत का दौरा किया. गांव में विकास और समस्याओं को लेकर लोगों से बातचीत की. वही वर्तमान सरपंच से भी उनके कार्यकाल का ब्योरा मांगा.
तारागढ़ पहाड़ी की तलहटी में बसा सोमलपुर ग्राम पंचायत
अजमेर जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर तारागढ़ पहाड़ी की तलहटी में बसा सोमलपुर ग्राम पंचायत में सन 2011 की जनगणना के अनुसार 9 हजार 4 सौ 55 मतदाता है. इनमें 4 हजार 853 पुरुष एवं 4 हजार 600 महिलाएं है. ग्राम पंचायत से 17 ढाणियां जुड़ी हुई है. सोमलपुर गांव में करीब 90 फीसदी चीता समाज के लोग रहते हैं. जबकि शेष 10 फीसदी आबादी में अनुसूचित जाति जनजाति के लोग ग्राम पंचायत में निवास करते हैं.
सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल सोमलपुर
पहाड़ी की तलहटी में बसे होने की वजह से गांव की सुंदरता देखते ही बनती है. वहीं इस गांव से सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल लिए हुए बाबा बदाम शाह की मस्जिद भी है. मस्जिद परिसर में भोलेनाथ का मंदिर है. वहीं गुरुद्वारा भी है. सांप्रदायिक सद्भाव की खूबी के साथ सोमलपुर गांव को शहीद देवी खान के नाम से भी जाना जाता है.
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सोमलपुर गांव सरपंच इकराम चीता ने गिनाई उपलब्धियां
वर्तमान में सोमलपुर गांव में सरपंच इकराम चीता है. इकराम युवा है और गांव में विकास की सोच रखते है. इकराम का दावा है कि उनके कार्यकाल में गांव में सीसी रोड बनी. शहर की मुख्य सड़क से गांव जुड़ पाया. इसके अलावा गांव में एक तालाब को मॉडल बनाया गया है. वहीं मनरेगा में जिले में सोमलपुर ग्राम पंचायत दूसरे स्थान पर पहुंची है. गांव में शिक्षा को लेकर भी जागरूकता आई है. पेयजल व्यवस्था में भी पहले से सुधार आया है. सरपंच इकराम बताते है कि गांव की वर्तमान में मूल समस्या टाटा पावर से है. पेराफेरी गांव की वजह से विद्युत विभाग के सब डिविजनल कार्यालय के बजाय गांव को टाटा पॉवर से जोड़ दिया गया है. इससे ग्रामीणों को भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. इसके खिलाफ मांग भी उठाई लेकिन प्रशासन कोई नहीं सुनता.
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गांव के विकास पर जनता के बोल
वहीं सरपंच के विकास कार्यों को लेकर गांव की जनता का कहना है कि गांव में श्मशान भूमि की चारदीवारी और शटर लगाने का चुनाव लड़ने से पहले सरपंच ने वादा किया था. वादा तो दूर श्मशान की जमीन भी बदल दी गई. वहीं लोगों ने ये भी बताया कि नलों में 8 दिन तक पानी नहीं आता है. दूसरी तरफ गांव में मूलभूत सुविधाओं को लेकर युवा का कहना है कि सड़कों के गांव में हाल खराब है. चिकित्सा के लिए प्राथमिक उपचार केंद्र हैं, लेकिन चिकित्सक और स्टाफ सप्ताह में दो या 3 दिन ही आता है. शहर के नजदीक होने के बावजूद भी ग्रामीणों को 8 दिन में पेयजल सप्लाई होती है.
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गांव में कोई भी एक दूसरे पर कटाक्ष या आरोप नहीं लगाता
सोमलपुर गांव में चुनाव को लेकर सियासत उतनी नहीं गर्माती. जितनी अन्य जगहों पर देखने को मिलती है. हालांकि चुनाव लड़ने के लिए चार पांच उम्मीदवार अभी से तैयार हैं. लेकिन खास बात यह है कि गांव में कोई भी एक दूसरे पर कटाक्ष या आरोप नहीं लगाता है. संभावित उम्मीदवार सलीम की मानें तो गांव में 90 फ़ीसदी चीता समाज के लोग हैं. माना जाता है कि गांव में रहने वाले सभी चीता समाज के लोग एक ही कुनंबे से हैं. यही वजह है कि लोग यहां समस्याओं पर बात करते हैं लेकिन आरोपों पर नहीं. सोमलपुर ग्राम पंचायत में चुनाव को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है. हालांकि ग्रामीण अभी पेशोपेश में है कि ग्राम पंचायत के चुनाव में पहले की तरह पेराफेरी ग्राम पंचायतों के चुनाव साथ में होंगे या एक साथ.