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किशनगढ़ में सिमट चुका पावरलूम का कारोबार, बंद होने से 60 करोड़ का नुकसान

पूरे विश्व में राजस्थान के अजमेर का कस्बा किशनगढ़ की पहचान मार्बल सिटी के रूप में विख्यात है. लेकिन आपको बता दें कि भीलवाड़ा से पहले किशनगढ़ वस्त्र नगरी के रूप में विख्यात था. दरअसल, साल 1995 से पहले किशनगढ़ में 25 हजार पावरलूम थे. लेकिन वर्तमान समय में सिर्फ 5 हजार पावरलूम ही रह गए है. सको लेकर ईटीवी भारत ने किशनगढ़ में पावरलूम का जायजा लिया और इस कारोबार की हकीकत जानी. आइए जानें...

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सिमटा पावरलूम का कारोबार
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Published : May 20, 2020, 8:50 PM IST

अजमेर. पूरे विश्व में अजमेर जिले के किशनगढ़ की पहचान मार्बल सिटी के रूप में विख्यात है. लेकिन शायद आपको यह नहीं पता होगा कि राजस्थान का मैनचेस्टर कहे जाने वाले भीलवाड़ा से पहले किशनगढ़ वस्त्र नगरी के रूप में विख्यात था. जी हां साल 1995 से पहले तक किशनगढ़ में 25 हजार पावरलूम थे. वर्तमान में 5 हजार पावरलूम रह गए है. वहीं, किशनगढ़ से वस्त्रों का कारोबार धीरे-धीरे सीमित होता गया. वहीं, लॉकडाउन में पावरलूम से बनने वाले वस्त्रों के कारोबार पर ब्रेक लग गया है. इसको लेकर ईटीवी भारत ने किशनगढ़ में पावरलूम का जायजा लिया और सिमट रहे इस कारोबार की हकीकत जानी.

सिमटा पावरलूम का कारोबार

बता दें कि सालों से अजमेर जिले में किशनगढ़ की पहचान यहां के कारोबार से रही है. कभी यहां मिर्च और जीरे की सबसे मंडी थी, यहां बड़े पैमाने पर इनका कारोबार होता था. लेकिन वक्त के साथ यह कारोबार भी सिमट गया. उसके बाद पावरलूम ने किशनगढ़ को देशभर में पहचान दिलाई. बताया जाता है कि साल 1995 से पहले तक किशनगढ़ में 25 हजार पावरलूम थे, यहां बनने वाला सूती मोटा कपड़ा डिफेंस में उपयोग लिया जाता था. लेकिन अब ऑटोमैटिक टेक्सटाइल मशीनों का जमाना है, ऐसे में किशनगढ़ में पावरलूम धीरे-धीरे से सिमटता हुआ चला गया.

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बंद पड़ी फैक्ट्री

वहीं, वर्तमान में 450 फैक्टरियों में 5 हजार पावरलूम है. अधिकांश पावरलूम किशनगढ़ शहरी क्षेत्र के बीच में स्थापित है. व्यापारी चाहते हैं कि रीको किशनगढ़ के बाहर उन्हें जगह दे, जहां वह नई तकनीक के साथ पावरलूम स्थापित कर सके. लेकिन सरकारों ने कभी भी किशनगढ़ में पावरलूम पर कभी ध्यान नहीं दिया. यही वजह है कि किशनगढ़ में पावरलूम सिमटने लगा है. बता दें कि वर्तमान में 5 हजार पावरलूम 6 हजार श्रमिकों के लिए रोजगार का मुख्य साधन था.

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बंद पड़ी फैक्ट्री

पढ़ें- अजमेर: पृथ्वीराज चौहान की 854वीं जयंती, लॉकडाउन के चलते शहर में नहीं हुआ कोई आयोजन

वैश्विक महामारी कोरोना के चलते किशनगढ़ में पावरलूम बंद हो गए, जिससे इस कार्य से जुड़े श्रमिक बेरोजगार हो गए. वहीं, साढ़े चार सौ से अधिक कारोबारी पावरलूम बंद होने से मुश्किलों में आ गए हैं. लॉकडाउन के दौरान कारोबारियों का लाखों का माल पावरलूम फैक्ट्रियों में पड़ा हुआ है. वहीं, श्रमिकों को एडवांस रुपए देकर कारोबारियों ने उन्हें राहत पहुंचाई है. इसको लेकर ईटीवी भारत ने पावरलूम फैक्ट्री के मालिक और एसोसिएशन के पदाधिकारी दीपक शर्मा से बातचीत की.

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बंद पड़ी फैक्ट्री

शर्मा ने बताया कि लॉकडाउन में पावरलूम बंद होने से प्रति दिन 6 लाख 75 हजार का नुकसान हो रहा है. उन्होंने बताया कि प्रत्येक यूनिट में 8 पावरलूम होते हैं और एक यूनिट में प्रतिमाह 15 हजार मीटर कपड़ा बनता है. शर्मा ने बताया कि 30 करोड़ 47 लाख प्रतिमाह का नुकसान पावरलूम बंद होने से कारोबारियों को हुआ है. उन्होंने बताया कि कारोबार में 5 प्रतिशत जीएसटी का नुकसान सरकार को भी हुआ है.

वहीं, कारोबारी दीपक शर्मा ने बताया कि पावरलूम में बनने वाला कपड़ा विश्वविख्यात सांगानेरी बेडशीट के काम में लिया जाता है. उन्होंने बताया कि सूती मोटे कपड़े की बड़ी मंडी जयपुर में है, जहां 70 फीसदी माल जाता है और 30 फीसदी माल अहमदाबाद, कानपुर, मेरठ, दिल्ली सहित अन्य राज्यों में जाता है.

पढ़ें- अजमेरः वासुदेव देवनानी ने अस्थियों के विसर्जन के लिए की बस की व्यवस्था

ईटीवी से बातचीत में कारोबारी दीपक शर्मा ने लॉकडाउन में आ रही समस्याओं के बारे में ही नहीं बताया, बल्कि वास्तविक समस्याओं को भी इंगित किया. उन्होंने बताया कि अधिकांश पावरलूम किशनगढ़ शहर के बीच में स्थापित हैं, यही वजह है कि औद्योगिक क्षेत्रों को जिस तरीके से राज्य सरकार ने छूट दी है, वह छूट का लाभ पावरलूम को नहीं मिला है. कारोबारी पावरलूम में नई तकनीक का समावेश और कारोबार का विस्तार चाहते हैं, लेकिन रीको ने कभी भी कारोबारियों का सहयोग नहीं किया. उन्होंने बताया कि अजमेर जिले में गेगल और ब्यावर में भी कुछ पावरलूम है.

अजमेर. पूरे विश्व में अजमेर जिले के किशनगढ़ की पहचान मार्बल सिटी के रूप में विख्यात है. लेकिन शायद आपको यह नहीं पता होगा कि राजस्थान का मैनचेस्टर कहे जाने वाले भीलवाड़ा से पहले किशनगढ़ वस्त्र नगरी के रूप में विख्यात था. जी हां साल 1995 से पहले तक किशनगढ़ में 25 हजार पावरलूम थे. वर्तमान में 5 हजार पावरलूम रह गए है. वहीं, किशनगढ़ से वस्त्रों का कारोबार धीरे-धीरे सीमित होता गया. वहीं, लॉकडाउन में पावरलूम से बनने वाले वस्त्रों के कारोबार पर ब्रेक लग गया है. इसको लेकर ईटीवी भारत ने किशनगढ़ में पावरलूम का जायजा लिया और सिमट रहे इस कारोबार की हकीकत जानी.

सिमटा पावरलूम का कारोबार

बता दें कि सालों से अजमेर जिले में किशनगढ़ की पहचान यहां के कारोबार से रही है. कभी यहां मिर्च और जीरे की सबसे मंडी थी, यहां बड़े पैमाने पर इनका कारोबार होता था. लेकिन वक्त के साथ यह कारोबार भी सिमट गया. उसके बाद पावरलूम ने किशनगढ़ को देशभर में पहचान दिलाई. बताया जाता है कि साल 1995 से पहले तक किशनगढ़ में 25 हजार पावरलूम थे, यहां बनने वाला सूती मोटा कपड़ा डिफेंस में उपयोग लिया जाता था. लेकिन अब ऑटोमैटिक टेक्सटाइल मशीनों का जमाना है, ऐसे में किशनगढ़ में पावरलूम धीरे-धीरे से सिमटता हुआ चला गया.

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बंद पड़ी फैक्ट्री

वहीं, वर्तमान में 450 फैक्टरियों में 5 हजार पावरलूम है. अधिकांश पावरलूम किशनगढ़ शहरी क्षेत्र के बीच में स्थापित है. व्यापारी चाहते हैं कि रीको किशनगढ़ के बाहर उन्हें जगह दे, जहां वह नई तकनीक के साथ पावरलूम स्थापित कर सके. लेकिन सरकारों ने कभी भी किशनगढ़ में पावरलूम पर कभी ध्यान नहीं दिया. यही वजह है कि किशनगढ़ में पावरलूम सिमटने लगा है. बता दें कि वर्तमान में 5 हजार पावरलूम 6 हजार श्रमिकों के लिए रोजगार का मुख्य साधन था.

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बंद पड़ी फैक्ट्री

पढ़ें- अजमेर: पृथ्वीराज चौहान की 854वीं जयंती, लॉकडाउन के चलते शहर में नहीं हुआ कोई आयोजन

वैश्विक महामारी कोरोना के चलते किशनगढ़ में पावरलूम बंद हो गए, जिससे इस कार्य से जुड़े श्रमिक बेरोजगार हो गए. वहीं, साढ़े चार सौ से अधिक कारोबारी पावरलूम बंद होने से मुश्किलों में आ गए हैं. लॉकडाउन के दौरान कारोबारियों का लाखों का माल पावरलूम फैक्ट्रियों में पड़ा हुआ है. वहीं, श्रमिकों को एडवांस रुपए देकर कारोबारियों ने उन्हें राहत पहुंचाई है. इसको लेकर ईटीवी भारत ने पावरलूम फैक्ट्री के मालिक और एसोसिएशन के पदाधिकारी दीपक शर्मा से बातचीत की.

ajmer news, अजमेर समाचार
बंद पड़ी फैक्ट्री

शर्मा ने बताया कि लॉकडाउन में पावरलूम बंद होने से प्रति दिन 6 लाख 75 हजार का नुकसान हो रहा है. उन्होंने बताया कि प्रत्येक यूनिट में 8 पावरलूम होते हैं और एक यूनिट में प्रतिमाह 15 हजार मीटर कपड़ा बनता है. शर्मा ने बताया कि 30 करोड़ 47 लाख प्रतिमाह का नुकसान पावरलूम बंद होने से कारोबारियों को हुआ है. उन्होंने बताया कि कारोबार में 5 प्रतिशत जीएसटी का नुकसान सरकार को भी हुआ है.

वहीं, कारोबारी दीपक शर्मा ने बताया कि पावरलूम में बनने वाला कपड़ा विश्वविख्यात सांगानेरी बेडशीट के काम में लिया जाता है. उन्होंने बताया कि सूती मोटे कपड़े की बड़ी मंडी जयपुर में है, जहां 70 फीसदी माल जाता है और 30 फीसदी माल अहमदाबाद, कानपुर, मेरठ, दिल्ली सहित अन्य राज्यों में जाता है.

पढ़ें- अजमेरः वासुदेव देवनानी ने अस्थियों के विसर्जन के लिए की बस की व्यवस्था

ईटीवी से बातचीत में कारोबारी दीपक शर्मा ने लॉकडाउन में आ रही समस्याओं के बारे में ही नहीं बताया, बल्कि वास्तविक समस्याओं को भी इंगित किया. उन्होंने बताया कि अधिकांश पावरलूम किशनगढ़ शहर के बीच में स्थापित हैं, यही वजह है कि औद्योगिक क्षेत्रों को जिस तरीके से राज्य सरकार ने छूट दी है, वह छूट का लाभ पावरलूम को नहीं मिला है. कारोबारी पावरलूम में नई तकनीक का समावेश और कारोबार का विस्तार चाहते हैं, लेकिन रीको ने कभी भी कारोबारियों का सहयोग नहीं किया. उन्होंने बताया कि अजमेर जिले में गेगल और ब्यावर में भी कुछ पावरलूम है.

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