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स्पेशल: संकट में राजस्थान का पोल्ट्री उद्योग, 3 महीने से कुक्कुट किसानों को लाखों का नुकसान - Egg trade in crisis due to increased feed prices

राजस्थान में अंडों की डिमांड कम होने और रेट बढ़ने से पोल्ट्री किसानों की कमर टूट गई है. पिछले तीन महीनों में अंडों के उत्पादन में 50 फीसदी की गिरावट भी देखने को मिली है. इसकी वजह मुर्गियों को दिए जाने वाले फीड के दामों में हुई बढ़ोतरी को भी माना जा रहा है. देखें ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट.

फीड महंगा होने से संकट में पोल्ट्री उद्योग, Poultry industry in crisis due to cost of feed
फीड महंगा होने से संकट में पोल्ट्री उद्योग
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Published : Mar 11, 2020, 1:10 PM IST

अजमेर. राजस्थान में सबसे ज्यादा अंडों का उत्पादन अजमेर में होता है. पिछले 3 माह से अंडों के उत्पादन में 50 फीसदी की कमी आ गई है. अंडों की डिमांड कम होने और रेट बढ़ने से पोल्ट्री किसानों की कमर टूट गई है. वहीं, आम ग्राहकों को अंडे के 2 रुपए 80 पैसे की जगह 5 रुपए प्रति अंडे की कीमत चुकानी पड़ रही है.

अजमेर में 1 हजार से भी अधिक पोल्ट्री फॉर्म है. जिनमें लेयर 35 लाख और बॉयलर 15 लाख है. 3 माह पहले तक अजमेर जिले में 15 लाख अंडे प्रतिदिन का उत्पादन करता था. लेकिन 3 महीने बाद अंडों के उत्पादन में भारी कमी आई है. अंडों के उत्पादन में आई कमी की वजह फीड की बढ़ी हुई कीमतों को माना जाता है.

फीड महंगा होने से संकट में पोल्ट्री उद्योग

फीड यानी मुर्गियों को दिया जाने वाला आहार. जिसमें मक्का, बाजरा, सोयाबीन, मूंगफली की खल, सरसों की खल, और चावल की चपडी होती है. यह वह आहार है जिससे मुर्गियों को पौष्टिक आहार मिलता है. बताया जाता है कि मां के दूध के बाद अंडा ही एकमात्र ऐसा खाद्य पदार्थ है, जिसमें सबसे ज्यादा प्रोटीन पाए जाते हैं.

ये भी पढ़ें- स्पेशल: कौन मार रहा कुक्कुट किसानों के हक की कमाई, देखें ईटीवी भारत की पड़ताल

शरीर में प्रोटीन की कमी को पूरा करने के लिए अंडा सभी वर्ग के लोगों के लिए सबसे सस्ता विकल्प है. खास बात यह है कि अंडे को आज भी लोग मांसाहारी मानते हैं. जबकि यह वैज्ञानिक जांच में स्पष्ट हो गया है कि अंडा गाय और भैंस के दूध के समान ही शाकाहारी श्रेणी में आता है. मसलन अंडे में जीव नहीं होता. बल्कि जिन मुर्गियों के प्रजनन के बाद अंडे होते हैं, वह अंडे अलग होते हैं, जिन्हें चिक के लिए उपयोग किया जाता है.

यही वजह है कि राजस्थान में होने वाले अंडों के उत्पादन में 20 फीसदी अंडे की खपत ही होती है. जबकि शेष उत्पादित 80 फीसदी अंडों को पोल्ट्री फार्म से व्यापारी खरीद कर यूपी-बिहार और मध्य प्रदेश में बेचते हैं.

क्यों दम तोड़ रहा है पोल्ट्री व्यवसाय?

विशेषज्ञ अंडों के उत्पादन में आई कमी का कारण प्रतिस्पर्धा और फीड की बढ़ी दर को मानते हैं. बताया जाता है कि यूपी, बिहार और मध्य प्रदेश में पहले अंडों की अच्छी खपत थी. जिस कारण अंडे का भाव भी अच्छा मिलता था. लेकिन हरियाणा, पंजाब से चल रही प्रतिस्पर्धा के बीच यूपी और बिहार में पोल्ट्री फॉर्म को सब्सिडी देकर बढ़ावा दिए जाने से वहां भी अंडों की डिमांड कम हो गई है. जिसकी वजह से अंडों की कीमत पर भी भारी प्रभाव पड़ा है.

ये भी पढ़ें- जीना हुआ दुश्वार: सीमेंट फैक्ट्री से उड़ती धूल लोगों को मौत के मुंह में धकेल रही, कोई सुनने वाला नहीं

वर्तमान में राजस्थान के अंडों का भाव 2 रुपये 80 पैसे है. पोल्ट्री फॉर्म किसान अंडों का भाव नहीं मिलने से मुर्गीयां बेच रहे हैं. वहीं, दूसरा कारण पिछले 3 महीने में फीड की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि भी है. यह दो बड़ी वजह है जिस कारण पोल्ट्री फार्म व्यवसाय दम तोड़ता नजर आ रहा है.

अंडा उत्पादन में फीड का खर्च सबसे ज्यादा

पोल्ट्री फॉर्म किसान बताते हैं कि अंडा उत्पादन में सबसे बड़ा खर्च फीड का आता है. यानी एक अंडे पर 2 रुपये 75 पैसे खर्चा है. जिससे उन्हें अंडों के उत्पादन में भारी नुकसान हो रहा है. अजमेर ही नहीं बल्कि पूरे राजस्थान में अंडों के उत्पादन में आई भारी गिरावट चिंता का विषय है.

वहीं, घाटे की वजह से पोल्ट्री फॉर्म किसानों की कमर टूटी हुई है. इसकी बड़ी वजह ये भी है कि राजस्थान सरकार यूपी और बिहार की तर्ज पर पोल्ट्री फार्म व्यवसाय को बढ़ावा नहीं दे पा रही है और ना ही फीड की बढ़ी दरों को लेकर सरकार को चिंताजनक है.

अजमेर. राजस्थान में सबसे ज्यादा अंडों का उत्पादन अजमेर में होता है. पिछले 3 माह से अंडों के उत्पादन में 50 फीसदी की कमी आ गई है. अंडों की डिमांड कम होने और रेट बढ़ने से पोल्ट्री किसानों की कमर टूट गई है. वहीं, आम ग्राहकों को अंडे के 2 रुपए 80 पैसे की जगह 5 रुपए प्रति अंडे की कीमत चुकानी पड़ रही है.

अजमेर में 1 हजार से भी अधिक पोल्ट्री फॉर्म है. जिनमें लेयर 35 लाख और बॉयलर 15 लाख है. 3 माह पहले तक अजमेर जिले में 15 लाख अंडे प्रतिदिन का उत्पादन करता था. लेकिन 3 महीने बाद अंडों के उत्पादन में भारी कमी आई है. अंडों के उत्पादन में आई कमी की वजह फीड की बढ़ी हुई कीमतों को माना जाता है.

फीड महंगा होने से संकट में पोल्ट्री उद्योग

फीड यानी मुर्गियों को दिया जाने वाला आहार. जिसमें मक्का, बाजरा, सोयाबीन, मूंगफली की खल, सरसों की खल, और चावल की चपडी होती है. यह वह आहार है जिससे मुर्गियों को पौष्टिक आहार मिलता है. बताया जाता है कि मां के दूध के बाद अंडा ही एकमात्र ऐसा खाद्य पदार्थ है, जिसमें सबसे ज्यादा प्रोटीन पाए जाते हैं.

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शरीर में प्रोटीन की कमी को पूरा करने के लिए अंडा सभी वर्ग के लोगों के लिए सबसे सस्ता विकल्प है. खास बात यह है कि अंडे को आज भी लोग मांसाहारी मानते हैं. जबकि यह वैज्ञानिक जांच में स्पष्ट हो गया है कि अंडा गाय और भैंस के दूध के समान ही शाकाहारी श्रेणी में आता है. मसलन अंडे में जीव नहीं होता. बल्कि जिन मुर्गियों के प्रजनन के बाद अंडे होते हैं, वह अंडे अलग होते हैं, जिन्हें चिक के लिए उपयोग किया जाता है.

यही वजह है कि राजस्थान में होने वाले अंडों के उत्पादन में 20 फीसदी अंडे की खपत ही होती है. जबकि शेष उत्पादित 80 फीसदी अंडों को पोल्ट्री फार्म से व्यापारी खरीद कर यूपी-बिहार और मध्य प्रदेश में बेचते हैं.

क्यों दम तोड़ रहा है पोल्ट्री व्यवसाय?

विशेषज्ञ अंडों के उत्पादन में आई कमी का कारण प्रतिस्पर्धा और फीड की बढ़ी दर को मानते हैं. बताया जाता है कि यूपी, बिहार और मध्य प्रदेश में पहले अंडों की अच्छी खपत थी. जिस कारण अंडे का भाव भी अच्छा मिलता था. लेकिन हरियाणा, पंजाब से चल रही प्रतिस्पर्धा के बीच यूपी और बिहार में पोल्ट्री फॉर्म को सब्सिडी देकर बढ़ावा दिए जाने से वहां भी अंडों की डिमांड कम हो गई है. जिसकी वजह से अंडों की कीमत पर भी भारी प्रभाव पड़ा है.

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वर्तमान में राजस्थान के अंडों का भाव 2 रुपये 80 पैसे है. पोल्ट्री फॉर्म किसान अंडों का भाव नहीं मिलने से मुर्गीयां बेच रहे हैं. वहीं, दूसरा कारण पिछले 3 महीने में फीड की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि भी है. यह दो बड़ी वजह है जिस कारण पोल्ट्री फार्म व्यवसाय दम तोड़ता नजर आ रहा है.

अंडा उत्पादन में फीड का खर्च सबसे ज्यादा

पोल्ट्री फॉर्म किसान बताते हैं कि अंडा उत्पादन में सबसे बड़ा खर्च फीड का आता है. यानी एक अंडे पर 2 रुपये 75 पैसे खर्चा है. जिससे उन्हें अंडों के उत्पादन में भारी नुकसान हो रहा है. अजमेर ही नहीं बल्कि पूरे राजस्थान में अंडों के उत्पादन में आई भारी गिरावट चिंता का विषय है.

वहीं, घाटे की वजह से पोल्ट्री फॉर्म किसानों की कमर टूटी हुई है. इसकी बड़ी वजह ये भी है कि राजस्थान सरकार यूपी और बिहार की तर्ज पर पोल्ट्री फार्म व्यवसाय को बढ़ावा नहीं दे पा रही है और ना ही फीड की बढ़ी दरों को लेकर सरकार को चिंताजनक है.

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