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अजमेरः प्रतिपदा से शुरू हुआ पिंडदान और तर्पण कार्य अमावस्या तक रहेगा जारी - ajmer news

अजमेर के पुष्कर में प्रतिपदा से पूर्वजों की आत्मा की शान्ति के लिए पिण्डदान या श्राद्ध करने की परंपरा शुरू हो गई है, यह दौर अमावस्या तक जारी रहेगा. देश के कोने-कोने से सैंकड़ों श्रद्धालु श्राद्ध करने के लिए पुष्कर पहुंच रहे हैं.

ajmer news, अजमेर न्यूज
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Published : Sep 13, 2019, 9:17 PM IST

पुष्कर (अजमेर). धार्मिक नगरी पुष्कर में अपने पूर्वजों की आत्मा की शान्ति के लिए पिण्डदान करने की मान्यता सदियों से चली आ रही है. पद्मपुराण में उल्लेख किया गया है कि श्राद्ध पक्ष में पिण्डदान करने से व्यक्ति पितृ ऋण से मुक्त होता है. भगवान राम ने भी अपने पिता दशरथ का पुष्कर में श्राद्ध किया था. इसी मान्यता से प्रेरित होकर श्राद्ध पक्ष के पहले दिन देश के कोने-कोने से श्रद्धालु पुष्कर पहुंचे. श्रद्धालुओं ने अपने पूर्वजों की आत्मशांति के लिये पिंडदान और तर्पण किये.

तीर्थ नगरी पुष्कर में श्राद्ध पक्ष का प्रारंभ

पुष्कर में पूरे साल अलग-अलग तरह के धार्मिक आयोजन चलते रहते हैं लेकिन, श्राद्ध पक्ष के दौरान घाटों पर एक अलग सा नजारा देखने को मिलता है. हर तरफ पिंडो में अपने पूर्वजों की आत्मा को ढूंढते श्रद्धालुओं का सैलाब इस बात का प्रमाण है कि आज के इस आधुनिक युग में भी लोग कहीं ना कहीं अपने इतिहास और संस्कृति से जुड़े हुए हैं.

पढ़ें. भीलवाड़ा में धूमधाम से बप्पा को किया गया विदा, चाक चौबंद रही सुरक्षा व्यवस्था

पुरोहितों के अनुसार सारे तीर्थो में श्राद्ध करने के बाद भी पुष्कर में श्राद्ध करने से ही प्राणी की आत्मा को शांति मिलती है. पिण्डदान, तर्पण और धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए सुबह से ही सरोवर किनारे दूर -दराज के सैंकड़ों श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू हो गया जो दिन भर जारी रहा.

पढे़ं- जैसलमेर दौरे पर कृषि मंत्री लालचंद कटारिया...टिड्डी प्रभावित इलाकों का किया दौरा
राजस्थान के अलावा मध्यप्रदेश, उड़ीसा, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड सहित विभिन्न राज्यों के श्रद्धालुओं ने श्राद पक्ष के पहले दिन पितृ शान्ति के लिए पिण्डदान,तर्पण और धार्मिक अनुष्ठान किये. प्रतिप्रदा से शुरू हुआ ये दौर अमावस्या तक जारी रहेगा.

पुष्कर (अजमेर). धार्मिक नगरी पुष्कर में अपने पूर्वजों की आत्मा की शान्ति के लिए पिण्डदान करने की मान्यता सदियों से चली आ रही है. पद्मपुराण में उल्लेख किया गया है कि श्राद्ध पक्ष में पिण्डदान करने से व्यक्ति पितृ ऋण से मुक्त होता है. भगवान राम ने भी अपने पिता दशरथ का पुष्कर में श्राद्ध किया था. इसी मान्यता से प्रेरित होकर श्राद्ध पक्ष के पहले दिन देश के कोने-कोने से श्रद्धालु पुष्कर पहुंचे. श्रद्धालुओं ने अपने पूर्वजों की आत्मशांति के लिये पिंडदान और तर्पण किये.

तीर्थ नगरी पुष्कर में श्राद्ध पक्ष का प्रारंभ

पुष्कर में पूरे साल अलग-अलग तरह के धार्मिक आयोजन चलते रहते हैं लेकिन, श्राद्ध पक्ष के दौरान घाटों पर एक अलग सा नजारा देखने को मिलता है. हर तरफ पिंडो में अपने पूर्वजों की आत्मा को ढूंढते श्रद्धालुओं का सैलाब इस बात का प्रमाण है कि आज के इस आधुनिक युग में भी लोग कहीं ना कहीं अपने इतिहास और संस्कृति से जुड़े हुए हैं.

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पुरोहितों के अनुसार सारे तीर्थो में श्राद्ध करने के बाद भी पुष्कर में श्राद्ध करने से ही प्राणी की आत्मा को शांति मिलती है. पिण्डदान, तर्पण और धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए सुबह से ही सरोवर किनारे दूर -दराज के सैंकड़ों श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू हो गया जो दिन भर जारी रहा.

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राजस्थान के अलावा मध्यप्रदेश, उड़ीसा, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड सहित विभिन्न राज्यों के श्रद्धालुओं ने श्राद पक्ष के पहले दिन पितृ शान्ति के लिए पिण्डदान,तर्पण और धार्मिक अनुष्ठान किये. प्रतिप्रदा से शुरू हुआ ये दौर अमावस्या तक जारी रहेगा.

Intro:पुष्कर(अजमेर)धार्मिक नगरी पुष्कर में अपने पूर्वजो की आत्मा की शान्ति के लिए पिण्डदान करने की मान्यता सदियों से चली आई है । विशेषकर श्राद्ध पक्ष में पिण्डदान करने से व्यक्ति पितृ ऋण से मुक्त होता है इसका उल्लेख पद्मपुराण में भी किया गया है । भगवान राम ने भी अपने पिता दशरथ का पुष्कर में श्राद्ध किया था । इसी मान्यता से प्रेरित होकर श्राद्ध पक्ष के पहले दिन देश के कोने -कोने से श्रद्धालु पुष्कर पहुंचे ।Body:श्रदालुओ ने अपने पूर्वजो की आत्मशांति के लिये पिंडदान और तर्पण किये । वैसे तो धार्मिक नगरी पुष्कर में पूरे साल अलग-अलग तरह के धार्मिक आयोजन चलते रहते है लेकिन श्राद्ध पक्ष के दौरान घाटो पर एक अलग सा द्रश्य देखने मिलता है । हर तरफ पिंडो में अपने पूर्वजो की आत्मा को ढूंढते श्रद्धालुओ का सैलाब इस बात का प्रमाण है की आज के इस आधुनिक युग में भी लोग कही ना कही अपने इतिहास और संस्कृति से जुड़े हुए है । पुरोहितो के अनुसार सारे तीर्थो में श्राद्ध करने के बाद भी पुष्कर में श्राद्ध करने से ही प्राणी की आत्मा को शांति मिलती है । पिण्डदान, तर्पण और धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए सुबह से ही सरोवर किनारे दूर -दराज के सैकड़ो श्रदालुओ का ताँता लगना शुरू हो गया जो दिन भर जारी रहा । राजस्थान के अलावा मध्यप्रदेश , उड़ीसा , उत्तरप्रदेश, उत्तराखंंड सहित विभिन्न राज्यों के श्रदालुओ ने श्राद पक्ष के पहले दिन तीर्थ गुरु पुष्कर में पंडितो के आव्हान पर पितृ शान्ति के लिए पिण्डदान,तर्पण और धार्मिक अनुष्ठान किये । प्रतिप्रदा से शुरू हुआ ये दौर अमावस्या तक जारी रहेगा ।

बाइट--सतीश चंद्र तिवाड़ी, तीर्थ पुरोहित
बाइट-- दिलीप शास्त्री, तीर्थ पुरोहितConclusion:
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