अजमेर. सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के 808वें सालाना उर्स के मौके पर पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से आए जत्थे ने शनिवार को दरगाह पंहुचकर अपनी अकीदत का नजराना पेश किया. इस दौरान ख्वाजा के दर पर आने की खुशी उनके चेहरे पर और जज्बात आंखों से छलक रहे थे. भारत और पाकिस्तान के बीच कटु रिश्तों के चलते पिछले दो साल पाकिस्तान से जायरीन गरीब नवाज के उर्स में नहीं आ पा रहे थे. इस बार उर्स में पाकिस्तान से 211 जायरीन का जत्था अजमेर आया है.
जब पाकिस्तानी जायरीनों ने गरीब नवाज की दरगाह में कदम रखा, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उनके दिल के जज्बात उनकी आंखों से छलक पड़े. उनके चेहरे पर ख्वाजा की दरगाह में आने की खुशी अलग से ही देखाई दे रही थी. अलग-अलग ग्रुप में आए पाकिस्तानी जायरीन दरगाह पहुंचने के बाद कलाम गाते हुए जन्नती दरवाजे पहुंचे. जहां वो अपने साथ लाए चादर को मजार शरीफ पर पेश किया.
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वीजा नियमों के साथ आवश्यक निर्देशों की पालना के तहत पाक जायरीन को अजमेर में कड़ी सुरक्षा में रखा गया है. यही वजह रही कि दरगाह जियारत के लिए पूरे जत्थे को एक साथ ना लाकर 30-30 के ग्रुप में लाया गया है. हर पाकिस्तानी जायरीन पर निगरानी रखने और सुरक्षा के लिए दो पुलिस कर्मी लगाए गए है. वहीं प्रशासन ने पाकिस्तानी जायरीन का इंटरव्यू नहीं लेने के लिए पहले ही एडवाइजरी जारी कर दी है.