अजमेर. सांसद भागीरथ चौधरी ने बाजरे की खरीद नहीं होने को लेकर गहलोत सरकार (Gehlot Government) पर हमला बोला है. सांसद का कहना है कि देश में 66 फीसदी बाजरे का उत्पादन राजस्थान में होता है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बाजरा स्वास्थ वर्धक होने के बाद भी बाजरा की खरीद को लेकर राज्य सरकार की नीति नकारात्मक है. राज्य सरकार की गलत नीति से किसानों को बाजरे का मूल्य नहीं मिल रहा. जबकि केंद्र सरकार खरीद का पैसा दे रही है. वहीं राज्य सरकार ने बाजरे की खरीद पर असमर्थता जताई है.
जयपुर रोड स्थित होटल में आयोजित प्रेस वार्ता में अजमेर सांसद भागीरथ चौधरी ने बाजरे की खरीद नहीं होने पर नाराजगी जताई है. चौधरी ने कहा कि मैं राजस्थान के किसानों के लिए चिंतित हूं. राज्य सरकार ने 2020 में बाजरे की खरीद निर्धारित एमएसपी पर नहीं की. इस बार भी राज्य सरकार बाजरे की खरीद नहीं कर रही है, जबकि बाजरा उन जींस में शामिल है. जिस पर केंद्र सरकार ने एमएसपी निर्धारित कर रखी है.
चौधरी ने कहा कि राजस्थान में मोटे अनाज का उत्पादन होता है. इसमें देश में सबसे ज्यादा 66 फीसदी बाजरे का उत्पादन होता है. 2020 में बाजरे की फसल को एमएसपी मूल्य के आधार पर राज्य सरकार ने नहीं खरीदा. जिस कारण किसानों को औने-पौने दामों में बाजरा बेचना पड़ा. जिससे किसानों को काफी नुकसान हुआ. इस बार भी राज्य सरकार का बाजरे की खरीद नहीं करने का मानस है.
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चौधरी ने राज्य सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाया. उन्होंने ट्रिब्यूनल में राज्य सरकार ने बाजरा खरीद नहीं करने का तर्क दिया है. बाजरे की उपयोगिता कम है. इस कारण बाजरे की फसल की खरीद की व्यवस्था नहीं की जा सकती है. राज्य सरकार ने बाजरा खरीदने को लेकर अपनी असमर्थता जाहिर की है. जबकि केंद्र सरकार ने प्रति क्विंटल बाजरे पर सौ रुपए एमएसपी बढ़ा दी है. चौधरी ने कहा कि राज्य सरकार को किसानों के हित में बाजरे की फसल की खरीद करनी चाहिए. जिससे किसानों को उनकी फसल का उचित दाम मिल सके. उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बाजरा स्वास्थ्य वर्धक है.
पुष्कर मेले को लेकर बोले सांसद भागीरथ चौधरी
पुष्कर में अंतरराष्ट्रीय पशु मेले (International Animal Fair in Pushkar) के आयोजन को लेकर बनी असमंजस की स्थिति के सवाल पर सांसद भागीरथ चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार ने पशु मेले पर लगे प्रतिबंध को हटा दिए हैं. राज्य सरकार चाहे तो पुष्कर में अंतरराष्ट्रीय पशु मेला आयोजित करवा सकती है. उन्होंने कहा कि किसानों के लिए कृषि और पशु ही आय के स्त्रोत होते हैं. पशु मेला आयोजित नहीं करने से पशुपालकों को काफी नुकसान होगा.