अजमेर. कोरोना महामारी ने आमजन के जीवन को एकदम से झकझोर कर रख दिया है. हालात इस कदर हो गए है कि त्योहार करीब होने के बावजूद भी बाजारों से रौनक खत्म सी हो गई है. बाजार में सामान तो है लेकिन इन्हें खरीदने के लिए ग्राहक ही नहीं है. कोरोना का डर इस कदर लोगों में अपना घर बना चुका है कि लोग खरीददारी करने के लिए घर से बाहर तक नहीं निकल रहे है. इस बीच अगर कोई जा भी रहा है तो वह अपने आवश्यकताओ में कटौती कर रहा है.
इस सीजन में घेवर और अन्य मिठाइयों की बिक्री के लिए ग्राहकों का जमावड़ा लगा रहता है. इसके साथ ही रिश्तेदारों के घर घेवर और मिठाइयां त्योहार पर भेजने की परंपरा भी है. लेकिन कोरोना की मार ने घेवर की मिठास को ही फीका कर दिया है. इस बार बिक्री में भी 50 फीसदी कमी आई है. मिठाई का बाजार आधे से भी कम हो गया है. त्योहार के सीजन में घेवर की बिक्री भी आधी रह गई है. लोग औपचारिता जितना ही घेवर खरीद रहे है.
इधर, कोरोना की मार के बीच सोना-चांदी के भाव इतने चढ़ गए है कि आमजन के लिए अब इनकी खरीद चांद तोड़कर लाने जैसी हो गई है. गरीब की पहुंच से दूर हुए सोना-चांदी के भाव को माध्यमवर्गीय लोग भी छू नहीं पा रहे है. सर्राफा बाजार की हालत यह कि दुकानें खुल जरूर रही, लेकिन महंगे भाव होने के चलते बाजार में सोना-चांदी के लिए ग्राहक ही नहीं है.
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अजमेर सर्राफा एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक बिंदल ने बताया कि कोरोना ने लोगों के रोजगार पर आघात किया है, इससे बेरोजगारी बढ़ी है. लोगों के पास खरीदारी के लिए पैसे नहीं है. इस बार मानसून भी राजस्थान पर मेहरबान नहीं हो रहा है. यदि बारिश नहीं हुई इससे भी ज्यादा विकट हालात होंगे.
सौंदर्य प्रसाधन, चूड़ियों और साड़ियों के मार्केट भी पड़े ठंडे
तीज के त्योहारों पर महिलाओं में खासा उत्साह रहता है. इस त्योहार पर ज्यादातर खरीददारी महिलाएं ही करती है. इनमें सबसे ज्यादा खरीदारी सौंदर्य प्रसाधन, चूड़ियों और साड़ियों विशेषकर लहरियों की होती है. लेकिन कोरोना ने महिलाओं के कदम घरों में ही रोक लिए है. इस बार के हालात ऐसे है कि केवल 20 फीसदी ही ग्राहक बाजारों में खरीददारी के लिए आ रहे हैं. कुछ साड़ी व्यापारियों का कहना है कि गत वर्ष की तुलना में साड़ी का मार्केट एकदम ठंडा पड़ा हुआ. दुकानों और गोदामों में माल तो भरा हुआ है. लेकिन इसकी खरीददारी के लिए ग्राहक ही नहीं है.