अजमेर. मकर संक्रांति धूमधाम से मनाई जा रही है. सुबह से ही शहरवासियों ने मंदिरों में जाकर दान पुण्य का कार्य शुरू कर दिया. विभिन्न मंदिरों में भारी भीड़ देखी जा रही है. मकर संक्रांति पर दान-पुण्य से विशेष फल की प्राप्ति होती है. प्राचीन आगरागेट गणेश मंदिर के पुजारी घनश्याम दाधीच ने बताया कि शहर के विभिन्न स्थानों पर गायों को चारा खिलाया गया. कबूतरों काे दाना भी डाला गया. इसके अलावा पुष्कर में बड़ी संख्या में लोगों ने इस अवसर पर स्नान, ध्यान, पूजन का कार्य किया.
घनश्याम आचार्य ने कहा कि जब सूरज भगवान मकर राशि में प्रवेश करते हैं और उत्तर दिशा की और गमन करते हैं, उस दिन को उत्तरायण कहा जाता है. जिस दिन एक विशेष अवसर होता है, जब किसी भी प्रकार का दान-पुण्य करने से अनंत फल की प्राप्ति होती है. लोग अपने-अपने कर्मों के सुधार के लिए श्रद्धा अनुसार दान पुण्य करते हैं. कुछ लोग यमराज के ताप से अपने पूर्वजों को बचाने के लिए उनका पिंडदान भी किया करते हैं.
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दान-पुण्य तो सदा ही करते रहना चाहिए. परंतु फिर भी उत्तरायण का दिन दान के विशेष महत्व रखता है, तो वहीं उन्होंने कहा कि ब्रह्मा की नगरी पुष्कर में मकर संक्रांति के मौके पर स्नान होता है. इस दिन पूर्वजों का पिंडदान भी किया जाता है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि इस दिन महिलाएं 14 सुहागिन महिलाओं को वस्त्र या किसी भी वस्तु भेंट करती है. तिल का दान करना भी काफी अहम होता है. इस दिन तिल से बने सामग्री की ज्यादा बिक्री होती है. वहीं, बाजारों में तेल का सामान लेने के लिए लोगों की भीड़ भी लगती है.
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तिल का किया जाता है सेवन...
मकर संक्रांति के मौके पर तिल का सेवन भी अत्यधिक रूप से किया जाता है. जिसमें तिल के लड्डू तिल की गजक सहित काफी सामग्री बाजारों में मिलती है. जिसे मकर संक्रांति के मौके पर लोग खरीदते हैं. राखी के अलावा मकर संक्रांति के मौके पर लोगों को पतंगबाजी का भी शौक है. अजमेर से अधिक पुष्कर में देशी व विदेशी सैलानी पतंगबाजी करते हुए नजर आते हैं.