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ख्वाजा गरीब नवाज का 809वां उर्स छोटे कुल की रस्म के साथ संपन्न - Sufi Saint Khwaja Moinuddin Hasan Chishti

विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती का 809वां उर्स छोटे कुल की रस्म के साथ संपन्न हो गया है. उर्स के 6 दिन दरगाह में पारंपरिक एवं धार्मिक रस्में निभाई गई. देश के विभिन्न हिस्सों से आए हजारों आशिकाने गरीब नवाज ने उर्स के मुबारक मौके पर हाजरी लगाई.

Ajmer News,  Sufi Saint Khwaja Moinuddin Hasan Chishti
809वां उर्स छोटे कुल की रस्म के साथ संपन्न
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Published : Feb 19, 2021, 10:52 PM IST

अजमेर. विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती का 809वां उर्स छोटे कुल की रस्म के साथ संपन्न हो गया है. उर्स के 6 दिन दरगाह में पारंपरिक एवं धार्मिक रस्में निभाई गई. देश के विभिन्न हिस्सों से आए हजारों आशिकाने गरीब नवाज ने उर्स के मुबारक मौके पर हाजरी लगाई. उर्स के दरमियान जहां गंगा जमुनी तहजीब साकार होते देखी गई, तो वहीं दरगाह में आस्था का सैलाब उमड़ता रहा और रहमतों की बारिश में भीगते अकीदतमंद बस यही कहते नजर आए कि ख्वाजा का दामन नही छोड़ेंगे.

809वां उर्स छोटे कुल की रस्म के साथ संपन्न

पढ़ें- अजमेरः बड़ी संख्या में जायरीन ने अदा की उर्स के जुम्मे की नमाज

ख्वाजा गरीब नवाज के दर पर मजहब कोई मायना नहीं रखता. यहां आने वाला हर शख्स इंसान है. ख्वाजा के दर से सदियों से तालीम भी इंसानियत और मोहब्बत की मिलती रही है. यही वजह है कि ख्वाजा के दर पर अमीर, गरीब, चोर, साहूकार हर उस शख्स के लिए खुला है जो दिल में अकीदा और मोहब्बत लिए आता है. यकीनन उसकी दिली मुरादें भी पूरी होती है.

देश और दुनिया मे ख्वाजा गरीब नवाज के करोड़ों चाहने वाले हैं. उर्स के मौके पर सभी की ख्वाहिश रहती है कि वह ख्वाजा की चौखठ पर माथा ठेकने जरूर जाए. हजारों अकीदतमंदों की उर्स में यह ख्वाहिश पूरी भी हुई. दरअसल, देश में कोरोना का संकट अभी खत्म नहीं हुआ है, लेकिन यह ख्वाजा गरीब नवाज का ही करम है कि कोरोना काल में उर्स के मौके पर अपने दर को चाहने वालों के लिए खोल दिया गया.

उर्स के पांच दिन अकीदतमंदों की आवक कम रही, लेकिन उर्स की छठी तारीख को ख्वाजा के चाहने वालों की आवक बढ़ गई. कोरोना के मुश्किल हालातों में भी आशिकाने गरीब नवाज जियारत के लिए अजमेर दरगाह पहुंचे. जायरीन का अकीदा है कि ख्वाजा हर मुश्किल को आसान कर देते हैं. यहां आकर इंसान अपनी तकलीफों को भूल जाता है.

Ajmer News,  Sufi Saint Khwaja Moinuddin Hasan Chishti
809वां उर्स छोटे कुल की रस्म के साथ संपन्न

जायरीनों ने राजस्थान सरकार की तारीफ करते हुए बताया कि कोविड-19 टेस्ट के बारे में उन्हें अपने राज्य में नहीं बताया गया था, लेकिन जब वह जयपुर एयरपोर्ट पर उतरे तो उनका निशुल्क कोविड-19 टेस्ट किया गया. जायरीन का कहना है कि जिसका एक बार ख्वाजा के दर से नाता जुड़ गया फिर वो कही भी रहे उसके दिल में बार-बार यहां आने की हसरत रहती है. यहां का मंजर रूहानी है. लोग में इंसानियत और मोहब्बत है.

पढ़ें- अजमेर दरगाह शरीफ में कुल की रस्म अदा, केवड़े और गुलाबजल से हो रही धुलाई

ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स के मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी सहित कई मंत्रियों से लेकर कई राज्यों के मुख्यमंत्री, राजनैतिक पार्टियों के अध्यक्षों की ओर से उर्स के मौके पर चादर पेश हुई. जाहिर है कि ख्वाजा तेरे रोजे पर शाहों के घराने आते हैं मिलने का बहाना होता है तकदीर बनाने आते हैं.

सूफी संत ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स 6 दिन मनाया जाता है. दरअसल रजब का चांद देखकर ख्वाजा गरीब नवाज ने अपने हुजरे में प्रवेश किया था. दरगाह के खादिम सैयद एचएफ हसन चिश्ती बताते हैं कि छठी के दिन जब उनके हुजरे का दरवाजा खोला गया तब ख्वाजा गरीब नवाज दुनिया से पर्दा कर चुके थे. तब से ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स 6 दिन मनाया जाता है.

चिश्ती बताते हैं कि उर्स में छठी का दिन विशेष महत्व रखता है. छोटे कुल की रस्म अदा करने के बाद खुद्दाम ए ख्वाजा इस दिन आस्ताने शरीफ में दुआएं करते हैं. वहीं, एक दूसरे की दस्तारबंदी भी की जाती है. इसके अलावा मुल्क में अमन, चैन और भाईचारे की दुआ भी मांगी गई. इस बार विशेष संयोग रहा है कि छठी ओर जुम्मा एक साथ आए हैं. उर्स के धार्मिक और पारंपरिक रस्मों को पूरा करने के साथ ही जन्नती दरवाजा भी जायरीन के लिए बंद कर दिया गया है.

उर्स शांतिपूर्ण सम्पन्न हो गया है. इसके साथ ही प्रशासन ने भी राहत की सांस ली है. अकीदतमंदों की ख्वाहिशें भी यहां आने की पूरी होने से उनमें खुशी है. ख्वाजा के दर ऐसे ही रौनक बनी रहे और उर्स 2022 में फिर आने का मौका मिले. इन दुआओं और ख्वाहिश के साथ इंसानियत और मोहब्बत का पैगाम लेकर जायरीन अब अपने घर लौटने लगे हैं.

अजमेर. विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती का 809वां उर्स छोटे कुल की रस्म के साथ संपन्न हो गया है. उर्स के 6 दिन दरगाह में पारंपरिक एवं धार्मिक रस्में निभाई गई. देश के विभिन्न हिस्सों से आए हजारों आशिकाने गरीब नवाज ने उर्स के मुबारक मौके पर हाजरी लगाई. उर्स के दरमियान जहां गंगा जमुनी तहजीब साकार होते देखी गई, तो वहीं दरगाह में आस्था का सैलाब उमड़ता रहा और रहमतों की बारिश में भीगते अकीदतमंद बस यही कहते नजर आए कि ख्वाजा का दामन नही छोड़ेंगे.

809वां उर्स छोटे कुल की रस्म के साथ संपन्न

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ख्वाजा गरीब नवाज के दर पर मजहब कोई मायना नहीं रखता. यहां आने वाला हर शख्स इंसान है. ख्वाजा के दर से सदियों से तालीम भी इंसानियत और मोहब्बत की मिलती रही है. यही वजह है कि ख्वाजा के दर पर अमीर, गरीब, चोर, साहूकार हर उस शख्स के लिए खुला है जो दिल में अकीदा और मोहब्बत लिए आता है. यकीनन उसकी दिली मुरादें भी पूरी होती है.

देश और दुनिया मे ख्वाजा गरीब नवाज के करोड़ों चाहने वाले हैं. उर्स के मौके पर सभी की ख्वाहिश रहती है कि वह ख्वाजा की चौखठ पर माथा ठेकने जरूर जाए. हजारों अकीदतमंदों की उर्स में यह ख्वाहिश पूरी भी हुई. दरअसल, देश में कोरोना का संकट अभी खत्म नहीं हुआ है, लेकिन यह ख्वाजा गरीब नवाज का ही करम है कि कोरोना काल में उर्स के मौके पर अपने दर को चाहने वालों के लिए खोल दिया गया.

उर्स के पांच दिन अकीदतमंदों की आवक कम रही, लेकिन उर्स की छठी तारीख को ख्वाजा के चाहने वालों की आवक बढ़ गई. कोरोना के मुश्किल हालातों में भी आशिकाने गरीब नवाज जियारत के लिए अजमेर दरगाह पहुंचे. जायरीन का अकीदा है कि ख्वाजा हर मुश्किल को आसान कर देते हैं. यहां आकर इंसान अपनी तकलीफों को भूल जाता है.

Ajmer News,  Sufi Saint Khwaja Moinuddin Hasan Chishti
809वां उर्स छोटे कुल की रस्म के साथ संपन्न

जायरीनों ने राजस्थान सरकार की तारीफ करते हुए बताया कि कोविड-19 टेस्ट के बारे में उन्हें अपने राज्य में नहीं बताया गया था, लेकिन जब वह जयपुर एयरपोर्ट पर उतरे तो उनका निशुल्क कोविड-19 टेस्ट किया गया. जायरीन का कहना है कि जिसका एक बार ख्वाजा के दर से नाता जुड़ गया फिर वो कही भी रहे उसके दिल में बार-बार यहां आने की हसरत रहती है. यहां का मंजर रूहानी है. लोग में इंसानियत और मोहब्बत है.

पढ़ें- अजमेर दरगाह शरीफ में कुल की रस्म अदा, केवड़े और गुलाबजल से हो रही धुलाई

ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स के मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी सहित कई मंत्रियों से लेकर कई राज्यों के मुख्यमंत्री, राजनैतिक पार्टियों के अध्यक्षों की ओर से उर्स के मौके पर चादर पेश हुई. जाहिर है कि ख्वाजा तेरे रोजे पर शाहों के घराने आते हैं मिलने का बहाना होता है तकदीर बनाने आते हैं.

सूफी संत ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स 6 दिन मनाया जाता है. दरअसल रजब का चांद देखकर ख्वाजा गरीब नवाज ने अपने हुजरे में प्रवेश किया था. दरगाह के खादिम सैयद एचएफ हसन चिश्ती बताते हैं कि छठी के दिन जब उनके हुजरे का दरवाजा खोला गया तब ख्वाजा गरीब नवाज दुनिया से पर्दा कर चुके थे. तब से ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स 6 दिन मनाया जाता है.

चिश्ती बताते हैं कि उर्स में छठी का दिन विशेष महत्व रखता है. छोटे कुल की रस्म अदा करने के बाद खुद्दाम ए ख्वाजा इस दिन आस्ताने शरीफ में दुआएं करते हैं. वहीं, एक दूसरे की दस्तारबंदी भी की जाती है. इसके अलावा मुल्क में अमन, चैन और भाईचारे की दुआ भी मांगी गई. इस बार विशेष संयोग रहा है कि छठी ओर जुम्मा एक साथ आए हैं. उर्स के धार्मिक और पारंपरिक रस्मों को पूरा करने के साथ ही जन्नती दरवाजा भी जायरीन के लिए बंद कर दिया गया है.

उर्स शांतिपूर्ण सम्पन्न हो गया है. इसके साथ ही प्रशासन ने भी राहत की सांस ली है. अकीदतमंदों की ख्वाहिशें भी यहां आने की पूरी होने से उनमें खुशी है. ख्वाजा के दर ऐसे ही रौनक बनी रहे और उर्स 2022 में फिर आने का मौका मिले. इन दुआओं और ख्वाहिश के साथ इंसानियत और मोहब्बत का पैगाम लेकर जायरीन अब अपने घर लौटने लगे हैं.

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