अजमेर. जवाहर रंग मंच पर इंवेस्ट समिट (Ajmer Invest Summit 2022) का आयोजन बुधवार को किया गया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जल संसाधन मंत्री एवं अजमेर के प्रभारी मंत्री (mahendrajeet singh malviya in Invest Summit) महेंद्रजीत सिंह मालवीय रहे. कार्यक्रम में 450 में से 25 निवेशकों को मंच पर बुलाकर प्रतीकात्मक रूप से एमओयू किया गया. वही अजमेर में, माइनिंग, वूलन, हॉस्पिटैलिटी, हाउस सोसाइटी में निवेश करने वाले निवेशकों को कार्यक्रम के बाद एमओयू हुए.
मंत्री मालवीय ने कहा कि अजमेर में निवेश की प्रचुर संभावना है. यहां निवेश करने के इच्छुक निवेशकों को सरकारी स्तर पर आवश्यक एप्रूवल जल्द मिले और उनके निवेश से जल्द उद्योग स्थापित हो सके. इसके लिए हर स्तर पर बेहत्तर प्रयास होंगे. उन्होंने कहा कि सरकार की सोच है कि राजस्थान में निवेशकों की रुचि बड़े इसलिए निवेशकों को बेहत्तर माहौल देने का प्रयास किया जा रहा है.
मंत्री मालवीय ने कहा कि कार्यक्रम में निवेशकों की उपस्थिति और उत्साह को देखते हुए लगता है कि भविष्य में अजमेर हब बनेगा. साथ ही कहा कि स्टार्टअप करने के इच्छुक युवाओं में आत्मविश्वास बढ़ा है उन्हें लग रहा है कि वह जो भी उद्योग शुरू करेंगे उसमें सरकार सहयोग करेगी. सरकार ने इसके लिए कई योजनाएं बनाकर राहत भी दी है. इससे युवाओं में अपना उद्योग शुरू करने के लिए उत्साह है. उन्होंने कहा कि अजमेर में निवेश करने वाले निवेशक अपने-अपने क्षेत्र में औद्योगिक इकाइयां स्थापित करें. उन सभी निवेशिकों के लिए जल की उपलब्धता की जाएगी.
कार्यक्रम में मसूदा विधायक राकेश पारीक, प्रमुख शासन सचिव अर्पणा अरोड़ा, जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित सहित अजमेर विकास प्राधिकरण के आयुक्त अक्षय गोदारा, जिला उद्योग केंद्र के अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे.
स्थानीय उघमी बोले एमओयू आंकड़ों का है खेल
ब्यावर में मिनरल्स के उद्यमी राधावल्लभ महेश्वरी ने तंज कसते हुए कहा कि उद्योग मंत्री शकुंतला रावत को अजमेर में कार्यक्रम में आना था. अजमेर इन्वेस्ट समिट सोच अच्छी है, लेकिन प्राथमिकता उद्योग मंत्री की अजमेर की बजाय कहीं और हो गई. यह एक नमूना है इस बात का कि कागजों में सोच अच्छी हो, लेकिन व्यवहारिक रूप से धरातल पर नहीं उतरती है.
महेश्वरी ने कहा कि उद्योग मालिकों की जितनी भी समस्याएं हैं. वह व्यापारिक सोच सही नहीं होने की वजह से ही है. सरकार जो भी स्कीम बना रही है उसे धरातल पर भी देखना चाहिए. घोषणा होती है लेकिन लागू नहीं होती. उद्योग के लिए फाइलें ली जाती है जून फाइलों की स्वीकृति हो चुकी है. उन्हें निस्तारित नहीं किया जाता और कहा जाता है कि अभी पैसा नहीं है. बिजली की दरें इतनी बढ़ गई हैं कि उद्योग चलाना मुश्किल हो गया है. यह सुधार नहीं होगा जब तक व्यवहारिक सोच नहीं सुधरेगी इससे लगता है कि सरकार की विश्वसनीयता भी खतरे में है यह मेरी व्यक्तिगत सोच है.
उन्होंने कहा कि एमओयू केवल आंकड़ों का खेल है राजस्थान में कहावत है कि 'भैंस को काकड़ा और सरकार को आंकड़ा'. एमओयू के बाद परिणाम धरातल पर कितने आते हैं यह सबको पता चल जाएगा. गत वर्ष मार्च से कोरोना वायरस तब सब बंद था. बावजूद इसके उद्योग संचालकों से आज भी रेंट लिया जा रहा है. लैंड टैक्स सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, लेकिन राज्य सरकार ने फिर भी लैंड टैक्स लगा दिया. पता नहीं अधिकारी क्या सोच रखते हैं.
उघमी प्रकाश ईनाणी ने कहा कि इंडस्ट्री में सोलर लगाने का भी टैक्स लिया जा रहा है, जबकि इंडस्ट्री में सोलर प्लांट इंडस्ट्रियल खुद अपने पैसों से लगाता है. बावजूद इसके उस पर ड्यूटी ली जाती है. यह जायज नहीं है. इंडस्ट्रीज को लाइट पूरी नहीं मिल रही है. सब्सिडी खत्म कर दी गई है. ऐसे में इंडस्ट्री में सोलर कैसे लगाएगा उघमी.
उन्होंने कहा कि जब तक सभी विभागों के बीच सामंजस्य स्थापित नहीं होगा तब तक सब व्यर्थ है. यहां आना मंच पर हो रही बाते सुनने का कोई मतलब नहीं निकलता है. मंच पर 6-7 फीसदी ब्याज दर की बात की गई. उघमियों को एक वर्ष से यह ब्याज दर नहीं मिली. विभाग फाइल लेने तक को तैयार नहीं है. एकल खिड़की स्किम केवल नाम है. आज तक एकल खिड़की पर किसी का नाम नहीं है.
रीको से जमीन लेने पर स्टॉप डयूटी के लिए फाइल आज भी अलग से लगानी पड़ती है. रीको ई-नीलामी में जमीन देने की प्रकिया का तीन दिन में निस्तारण होना चाहिए. लेकिन 21 दिन में भी निस्तारण नहीं होता. उघमी का काम रुक जाता है और रकम का ब्याज भुगतना पड़ता है. ईनाणी ने कहा कि निवेशकों के लिए निवेश का कोई माहौल नहीं है यह सिर्फ आंकड़ों का खेल है जो मीडिया में आएंगे और मामला खत्म हो जाएगा. आंकड़े देखने है तो जो पूर्व में राज्य स्तर पर कार्यक्रम हुए उन एमओयू में से धरातल पर आये परिणाम देखें.