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Special :  किसान मेले में मिल रही नई तकनीक और किस्म की जानकारी - special news

अजमेर के निकट दोराई में स्थित राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र में दो दिवसीय किसान मेला एवं संगोष्ठी का आगाज हुआ. पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी और पूर्व महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री अनिता भदेल ने मेले का उद्घाटन किया.

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अजमेर में दो दिवसीय किसान मेले का आगाज
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Published : Feb 15, 2020, 7:55 PM IST

अजमेर. जिले में राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र में दो दिवसीय किसान मेले का आयोजन हुआ. जिसमें मसाला उत्पादक जिलों से 2000 किसान भाग ले रहे हैं. पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी और पूर्व महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री अनिता भदेल ने मेले का उद्घाटन किया.

अजमेर में दो दिवसीय किसान मेले का आगाज

किसान मेले में मसाला उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मसाला बीजों की नई किस्मों, फसलों में लगने वाले कीट और रोग से मुक्ति की जानकारी देने के साथ कृषि क्षेत्र में ईजाद नई तकनीकों के बारे में किसानों को जानकारी दी जा रही है.

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मेले के दौरान जानकारी लेते किसान

राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र के निदेशक गोपाल लाल ने बताया, कि मसाला उत्पादक जिलों में प्रदेश के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश से भी किसान मेले में आए हैं. संस्था में जिन तकनीक और मसालों की किस्मों का विकास होता है, वह किसानों तक पहुंचाई जा रही है. मेले का उद्देश्य भी यही है, कि किसान इन तकनीक और किस्मों का उपयोग कर उत्पादन बढ़ाने के साथ ही अपनी आमदनी भी बढ़ाएं.

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निदेशक गोपाल लाल ने बताया, कि भारत में 20 लाख टन मसाले का उत्पादन होता है. इसमें 15 फीसदी मसालों का निर्यात दूसरे देशों में किया जाता है. इनमें मुख्य जीरा है. इसके अलावा धनिया, सौंफ, मेथी, कलौंजी, अजवाइन, सोया मसाले हैं. 4000 करोड़ रुपए के मसाले भारत दूसरे देशों को निर्यात करता है. इसमें 2500 करोड़ रुपए का निर्यात केवल जीरे से होता है. 10 लाख हेक्टेयर भूमि पर जीरा मसाला और कुल 20 लाख हेक्टेयर भूमि पर दूसरे बीजीय मसालों का उत्पादन किया जाता है.

24 मसालों की नई किस्म अबतक केंद्र में की गईं ईजाद

निदेशक गोपाल लाल ने बताया, कि जीरे का उत्पादन भी पहले की अपेक्षा अब अधिक होने लगा है. उन्होंने बताया, कि 2250 किस्म के मसाले हैं, जिनका उत्पादन किया जाता है. इनमें 600 प्रकार का धनिया, 700 प्रकार की मेथी, 215 प्रकार की जीरे की किस्म और ढाई सौ प्रकार की सौंफ, 75 प्रकार की अजवाइन की किस्म है. उन्होंने यह भी बताया, कि 24 मसालों की नई किस्म अबतक केंद्र में ईजाद की गई है. इनमें 13 किस्मों का गजट नोटिफिकेशन करवाया है और चार किस्में नोटिफिकेशन के लिए भेजीं हैं.

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निदेशक गोपाल लाल ने बताया, कि नई तकनीक, जल प्रबंधन, पोषक तत्वों के प्रबंधन, खरपतवार प्रबंधन, कीट एवं रोग प्रबंधन, ऑर्गेनिक खेती जैसे सभी आयामों पर राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र में अनुसंधान किया जाता है. अनुसंधान के बाद विकसित उन सभी तकनीकों को कृषि विज्ञान मेले के जरिए किसानों तक पहुंचाया जाता है.

किसान मेला एवं संगोष्ठी के उद्घाटन के लिए कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी के आने का कार्यक्रम था, लेकिन अपरिहार्य कारणों से उनका कार्यक्रम स्थगित हो गया. कार्यक्रम में देरी से पहुंचे अजमेर लोकसभा सांसद भागीरथ चौधरी ने मसाला खेती में उत्कृष्ट उत्पादन करने वाले किसानों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया.

अजमेर. जिले में राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र में दो दिवसीय किसान मेले का आयोजन हुआ. जिसमें मसाला उत्पादक जिलों से 2000 किसान भाग ले रहे हैं. पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी और पूर्व महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री अनिता भदेल ने मेले का उद्घाटन किया.

अजमेर में दो दिवसीय किसान मेले का आगाज

किसान मेले में मसाला उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मसाला बीजों की नई किस्मों, फसलों में लगने वाले कीट और रोग से मुक्ति की जानकारी देने के साथ कृषि क्षेत्र में ईजाद नई तकनीकों के बारे में किसानों को जानकारी दी जा रही है.

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मेले के दौरान जानकारी लेते किसान

राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र के निदेशक गोपाल लाल ने बताया, कि मसाला उत्पादक जिलों में प्रदेश के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश से भी किसान मेले में आए हैं. संस्था में जिन तकनीक और मसालों की किस्मों का विकास होता है, वह किसानों तक पहुंचाई जा रही है. मेले का उद्देश्य भी यही है, कि किसान इन तकनीक और किस्मों का उपयोग कर उत्पादन बढ़ाने के साथ ही अपनी आमदनी भी बढ़ाएं.

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निदेशक गोपाल लाल ने बताया, कि भारत में 20 लाख टन मसाले का उत्पादन होता है. इसमें 15 फीसदी मसालों का निर्यात दूसरे देशों में किया जाता है. इनमें मुख्य जीरा है. इसके अलावा धनिया, सौंफ, मेथी, कलौंजी, अजवाइन, सोया मसाले हैं. 4000 करोड़ रुपए के मसाले भारत दूसरे देशों को निर्यात करता है. इसमें 2500 करोड़ रुपए का निर्यात केवल जीरे से होता है. 10 लाख हेक्टेयर भूमि पर जीरा मसाला और कुल 20 लाख हेक्टेयर भूमि पर दूसरे बीजीय मसालों का उत्पादन किया जाता है.

24 मसालों की नई किस्म अबतक केंद्र में की गईं ईजाद

निदेशक गोपाल लाल ने बताया, कि जीरे का उत्पादन भी पहले की अपेक्षा अब अधिक होने लगा है. उन्होंने बताया, कि 2250 किस्म के मसाले हैं, जिनका उत्पादन किया जाता है. इनमें 600 प्रकार का धनिया, 700 प्रकार की मेथी, 215 प्रकार की जीरे की किस्म और ढाई सौ प्रकार की सौंफ, 75 प्रकार की अजवाइन की किस्म है. उन्होंने यह भी बताया, कि 24 मसालों की नई किस्म अबतक केंद्र में ईजाद की गई है. इनमें 13 किस्मों का गजट नोटिफिकेशन करवाया है और चार किस्में नोटिफिकेशन के लिए भेजीं हैं.

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निदेशक गोपाल लाल ने बताया, कि नई तकनीक, जल प्रबंधन, पोषक तत्वों के प्रबंधन, खरपतवार प्रबंधन, कीट एवं रोग प्रबंधन, ऑर्गेनिक खेती जैसे सभी आयामों पर राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र में अनुसंधान किया जाता है. अनुसंधान के बाद विकसित उन सभी तकनीकों को कृषि विज्ञान मेले के जरिए किसानों तक पहुंचाया जाता है.

किसान मेला एवं संगोष्ठी के उद्घाटन के लिए कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी के आने का कार्यक्रम था, लेकिन अपरिहार्य कारणों से उनका कार्यक्रम स्थगित हो गया. कार्यक्रम में देरी से पहुंचे अजमेर लोकसभा सांसद भागीरथ चौधरी ने मसाला खेती में उत्कृष्ट उत्पादन करने वाले किसानों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया.

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