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कोरोना के खिलाफ जंग के लिए कितना तैयार है अजमेर? ईटीवी भारत ने लिए व्यवस्थाओं का जायजा

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Published : Apr 14, 2020, 1:33 PM IST

अजमेर में अब तक सिर्फ एक ही परिवार के पांच लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. जिनकी हालत में भी अब धीरे-धीरे सुधार आ रहा है. ऐसे में अजमेर ने अब तक प्रदेश के बाकी जिलों के मुकाबले खुद को कैसे बचा कर रखा है, यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है.

कोरोना से जंग के खिलाफ तैयारी,  Preparations against Corona war
कोरोना से जंग के खिलाफ तैयारी

अजमेर. कोरोना महामारी से अजमेर में अब तक पांच मरीज सामने आएं हैं. राहत की बात यह है कि जयपुर में उपचारत पांचों मरीज के स्वास्थ में सुधार आ रहा है. 22 मार्च से लॉकडाउन के बाद कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए जिले में हुए कार्यों का ही असर है कि कोरोना महामारी अजमेर को जकड़ नहीं पाई है.

कोरोना से जंग के खिलाफ तैयारी

इसके लिए लॉकडाउन के पहले दिन से शुरू हुआ सर्वे भी काफी कारगर साबित रहा है. धार्मिक पर्यटन नगरी अजमेर में पहला पॉजिटिव मरीज 26 मार्च को सामने आया था. खास बात यह रही कि पॉजिटिव मरीज से संक्रमण उसके परिवार तक सीमित रहा और वह बाहर नहीं फैल सका. सर्वे के आधार पर ही यह पहला मामला सामने आया था. यह और बात है कि सर्वे टीम की सूचना के बाद भी मेडिकल टीम ने उसकी स्क्रीनिंग नहीं की.

जबकि मरीज खुद ही अपनी जांच करवाने जेएलएन अस्पताल पहुंच गया था. दूसरी चूक तब हुई जब मरीज को जयपुर रेफर किया गया. तब एम्बुलेंस में उसके परिवार के लोगों को भी उसके साथ भेज दिया गया. इस लापरवाही के बाद से प्रशासन ने सबक लिया. खारी कुई इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया. वहीं पड़ोसी जिले भीलवाड़ा में लगातार मिल रहे पॉजिटिव मरीजों की संख्या को देखते हुए जिले की सभी सीमाएं सील कर दी गईं. इसके अलावा जिला परिषद के सर्वे के आधार पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने उन लोगों को होम आइसोलेट करना शुरू कर दिया, जो जिले के बाहर से आए थे और जिनमें जुखाम, खांसी और बुखार के लक्षण थे.

वर्तमान में साढ़े 26 हजार लोगों को जिले में आइसोलेट किया गया है. जिन पर 5 हजार शिक्षक निगरानी रखे हुए हैं. जिले में 148 लोगों को क्वॉरेंटाइन पर रखा गया. वहीं 7 लाख 82 हजार 13 लोगों की स्क्रीनिंग हो चुकी है. इनमें 2 हजार 364 विदेशी भी शामिल हैं. जिले में 504 लोगों के सैम्पल लिए गए हैं. वहीं 471 लोगों की रिपोर्ट आ चुकी है. इनमें 466 की रिपोर्ट नेगेटिव और 5 पॉजिटिव मरीज हैं.

पढ़ें: SPECIAL: अजमेर की पहली ऐसी ग्राम पंचायत जहां CCTV से हो रही है निगरानी

प्रशासन ने कोरोना महामारी को देखते हुए जिले में 9 हजार 42 बेड और 82 आइसीयू बेड तैयार किए हैं. वहीं जिले में 83 वेंटिलेटर भी हैं. साथ ही यहां 12 से अधिक शेल्टर होम बनाए गए हैं. जिनकी निगरानी प्रशासन कर रहा है. लॉकडाउन में पुलिस की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है. लॉकडाउन और धारा 144 की पालना पुलिस सख्ती से करवा रही है. वहीं कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए बने कंट्रोल रूम के माध्यम से लगातार व्यवस्थाओं की मॉनिटरिंग भी जारी है.

प्रशासन, चिकित्सा विभाग, शिक्षा विभाग, नगर निगम, रसद विभाग, पुलिस और जिला परिषद की लगातार सेवाओं की बदौलत जिले में कोरोना महामारी अपने पैर नहीं जमा पा रही है. वहीं अजमेर के लोगों ने भी घरों में रहकर अपने आप को सुरक्षित कर के संक्रमण को नहीं फैलने देने में आपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. राजस्थान के चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा का अजमेर गृह जिला है. ऐसे में प्रशासन भी पूरी मुस्तैदी के साथ कोरोना के खिलाफ जंग में मुस्तैद है.

अजमेर. कोरोना महामारी से अजमेर में अब तक पांच मरीज सामने आएं हैं. राहत की बात यह है कि जयपुर में उपचारत पांचों मरीज के स्वास्थ में सुधार आ रहा है. 22 मार्च से लॉकडाउन के बाद कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए जिले में हुए कार्यों का ही असर है कि कोरोना महामारी अजमेर को जकड़ नहीं पाई है.

कोरोना से जंग के खिलाफ तैयारी

इसके लिए लॉकडाउन के पहले दिन से शुरू हुआ सर्वे भी काफी कारगर साबित रहा है. धार्मिक पर्यटन नगरी अजमेर में पहला पॉजिटिव मरीज 26 मार्च को सामने आया था. खास बात यह रही कि पॉजिटिव मरीज से संक्रमण उसके परिवार तक सीमित रहा और वह बाहर नहीं फैल सका. सर्वे के आधार पर ही यह पहला मामला सामने आया था. यह और बात है कि सर्वे टीम की सूचना के बाद भी मेडिकल टीम ने उसकी स्क्रीनिंग नहीं की.

जबकि मरीज खुद ही अपनी जांच करवाने जेएलएन अस्पताल पहुंच गया था. दूसरी चूक तब हुई जब मरीज को जयपुर रेफर किया गया. तब एम्बुलेंस में उसके परिवार के लोगों को भी उसके साथ भेज दिया गया. इस लापरवाही के बाद से प्रशासन ने सबक लिया. खारी कुई इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया. वहीं पड़ोसी जिले भीलवाड़ा में लगातार मिल रहे पॉजिटिव मरीजों की संख्या को देखते हुए जिले की सभी सीमाएं सील कर दी गईं. इसके अलावा जिला परिषद के सर्वे के आधार पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने उन लोगों को होम आइसोलेट करना शुरू कर दिया, जो जिले के बाहर से आए थे और जिनमें जुखाम, खांसी और बुखार के लक्षण थे.

वर्तमान में साढ़े 26 हजार लोगों को जिले में आइसोलेट किया गया है. जिन पर 5 हजार शिक्षक निगरानी रखे हुए हैं. जिले में 148 लोगों को क्वॉरेंटाइन पर रखा गया. वहीं 7 लाख 82 हजार 13 लोगों की स्क्रीनिंग हो चुकी है. इनमें 2 हजार 364 विदेशी भी शामिल हैं. जिले में 504 लोगों के सैम्पल लिए गए हैं. वहीं 471 लोगों की रिपोर्ट आ चुकी है. इनमें 466 की रिपोर्ट नेगेटिव और 5 पॉजिटिव मरीज हैं.

पढ़ें: SPECIAL: अजमेर की पहली ऐसी ग्राम पंचायत जहां CCTV से हो रही है निगरानी

प्रशासन ने कोरोना महामारी को देखते हुए जिले में 9 हजार 42 बेड और 82 आइसीयू बेड तैयार किए हैं. वहीं जिले में 83 वेंटिलेटर भी हैं. साथ ही यहां 12 से अधिक शेल्टर होम बनाए गए हैं. जिनकी निगरानी प्रशासन कर रहा है. लॉकडाउन में पुलिस की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है. लॉकडाउन और धारा 144 की पालना पुलिस सख्ती से करवा रही है. वहीं कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए बने कंट्रोल रूम के माध्यम से लगातार व्यवस्थाओं की मॉनिटरिंग भी जारी है.

प्रशासन, चिकित्सा विभाग, शिक्षा विभाग, नगर निगम, रसद विभाग, पुलिस और जिला परिषद की लगातार सेवाओं की बदौलत जिले में कोरोना महामारी अपने पैर नहीं जमा पा रही है. वहीं अजमेर के लोगों ने भी घरों में रहकर अपने आप को सुरक्षित कर के संक्रमण को नहीं फैलने देने में आपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. राजस्थान के चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा का अजमेर गृह जिला है. ऐसे में प्रशासन भी पूरी मुस्तैदी के साथ कोरोना के खिलाफ जंग में मुस्तैद है.

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