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अजमेरः महिला IAS और महिला वरिष्ठ चिकित्सक विवाद मामला, हाईकोर्ट ने IAS और तत्कालीन थाना प्रभारी को दिया 6 हफ्तों का समय

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Published : Sep 11, 2020, 8:20 PM IST

महिला IAS और महिला वरिष्ठ चिकित्सक विवाद मामले में हाईकोर्ट ने आईएएस और तत्कालीन थाना प्रभारी को 6 हफ्तों का समय दिया है. हाईकोर्ट ने दोनों को 6 हफ्तों में जवाब देने के लिए तलब किया है.

Rajasthan High Court News,  Women IAS and Women Senior Doctor dispute case
महिला IAS और महिला वरिष्ठ चिकित्सक विवाद मामला

अजमेर. महिला वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी और महिला आईएएस अधिकारी के बीच हुई तीखी नोकझोंक के मामले में हाईकोर्ट ने अपना आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने तत्कालीन कोविड-19 महिला अधिकारी आईएएस आर्तिका शुक्ला और तत्कालीन सिविल लाइन थाना प्रभारी रवीश कुमार सांवरिया को 6 हफ्ते के बीच कोर्ट में पेश होकर अपना जवाब देने को कहा है.

महिला IAS और महिला वरिष्ठ चिकित्सक विवाद मामला

वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी ज्योत्सना रंगा के वकील राजेश टंडन ने जानकारी देते हुए बताया कि 21 अप्रैल को वरिष्ठ चिकित्सक ज्योत्सना रंगा को सीएमएचओ ने अपने कार्यालय में बुलाया. इस दौरान वहां नोडल अधिकारी आईएएस अर्तिका शुक्ला भी पहुंच गई. वहीं, आपस में बातचीत के दौरान दोनों में किसी बात को लेकर विवाद हो गया.

पढ़ें- विधायक के तौर पर बंगले पर काबिज हैं वसुंधरा राजे, अवमानना याचिका का करें निस्तारण

इसके बाद आर्तिका शुक्ला ने वरिष्ठ महिला चिकित्सक रंगा से मोबाइल छीन कर उनसे अभद्र व्यवहार करते हुए हाथापाई तक करने लग गई. इस पूरी घटना की शिकायत लेकर जब रंगा सिविल लाइन थाना मुकदमा दर्ज कराने पहुंची तो थाने में उनकी शिकायत दर्ज नहीं की गई.

वहीं, इसके बाद डॉ. ज्योत्स्ना रंगा ने एसीजेएम कोर्ट में इस्तगासा पेश कर न्याय की गुहार की. न्यायालय ने आदेश पारित करते हुए सिविल लाइन थाना पुलिस को महिला आईएएस और उनके गार्ड पर मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू करने के लिए कहा. लेकिन इसके अगले ही दिन तत्कालीन सिविल लाइन थाना प्रभारी रवीश कुमार सांवरिया ने डिस्ट्रिक्ट जज के पास पहुंचे और रिवीजन लगाते हुए कहा कि डॉक्टर रंगा की एफआईआर खारिज की जाए.

अधिवक्ता राजेश टंडन ने जानकारी देते हुए बताया कि मामला एडीजे कोर्ट 4 में पहुंचा, जहां से मुकदमे की प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई. जिसके बाद पीड़िता महिला चिकित्सक रंगा हाईकोर्ट पहुंची और हाईकोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए एडीजे 4 कोर्ट के आदेशों पर रोक लगा दी और जांच के आदेश दिए. साथ ही अर्तिका शुक्ला और रवीश कुमार सामरिया को 6 हफ्तों में जवाब देने के लिए तलब किया है.

अजमेर. महिला वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी और महिला आईएएस अधिकारी के बीच हुई तीखी नोकझोंक के मामले में हाईकोर्ट ने अपना आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने तत्कालीन कोविड-19 महिला अधिकारी आईएएस आर्तिका शुक्ला और तत्कालीन सिविल लाइन थाना प्रभारी रवीश कुमार सांवरिया को 6 हफ्ते के बीच कोर्ट में पेश होकर अपना जवाब देने को कहा है.

महिला IAS और महिला वरिष्ठ चिकित्सक विवाद मामला

वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी ज्योत्सना रंगा के वकील राजेश टंडन ने जानकारी देते हुए बताया कि 21 अप्रैल को वरिष्ठ चिकित्सक ज्योत्सना रंगा को सीएमएचओ ने अपने कार्यालय में बुलाया. इस दौरान वहां नोडल अधिकारी आईएएस अर्तिका शुक्ला भी पहुंच गई. वहीं, आपस में बातचीत के दौरान दोनों में किसी बात को लेकर विवाद हो गया.

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इसके बाद आर्तिका शुक्ला ने वरिष्ठ महिला चिकित्सक रंगा से मोबाइल छीन कर उनसे अभद्र व्यवहार करते हुए हाथापाई तक करने लग गई. इस पूरी घटना की शिकायत लेकर जब रंगा सिविल लाइन थाना मुकदमा दर्ज कराने पहुंची तो थाने में उनकी शिकायत दर्ज नहीं की गई.

वहीं, इसके बाद डॉ. ज्योत्स्ना रंगा ने एसीजेएम कोर्ट में इस्तगासा पेश कर न्याय की गुहार की. न्यायालय ने आदेश पारित करते हुए सिविल लाइन थाना पुलिस को महिला आईएएस और उनके गार्ड पर मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू करने के लिए कहा. लेकिन इसके अगले ही दिन तत्कालीन सिविल लाइन थाना प्रभारी रवीश कुमार सांवरिया ने डिस्ट्रिक्ट जज के पास पहुंचे और रिवीजन लगाते हुए कहा कि डॉक्टर रंगा की एफआईआर खारिज की जाए.

अधिवक्ता राजेश टंडन ने जानकारी देते हुए बताया कि मामला एडीजे कोर्ट 4 में पहुंचा, जहां से मुकदमे की प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई. जिसके बाद पीड़िता महिला चिकित्सक रंगा हाईकोर्ट पहुंची और हाईकोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए एडीजे 4 कोर्ट के आदेशों पर रोक लगा दी और जांच के आदेश दिए. साथ ही अर्तिका शुक्ला और रवीश कुमार सामरिया को 6 हफ्तों में जवाब देने के लिए तलब किया है.

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