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सुशीला किन्नर की पॉजिटिव जिद्द! दिवाली पर बेचेंगी मात्र 10 रुपए में देसी घी की मिठाइयां

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Published : Oct 18, 2022, 12:19 PM IST

सुशीला किन्नर की अजमेर में चारों ओर चर्चा है (Sushila Kinnar of Ajmer). वजह वो जिद्द है जिसका मकसद एक मैसेज देना है. आखिर क्या है वो मैसेज और क्यों उन्होंने 10 रुपए की दर से मिठाइयां बेचने की ठानी है! आइए जानते हैं वजह...

Sushila Kinnar of Ajmer
बेचेंगी 10 रुपए में देसी घी की मिठाइयां

अजमेर. पुष्कर में दिवाली पर सुशीला किन्नर (Sushila Kinnar of Ajmer) शुद्ध देशी घी की मिठाई महज 10 और डालडा घी में पकी मिठाई 5 रुपए किलो में बेचेंगी. उनके दावे की चर्चा हर ओर है. उनकी इस जिद्द ने पुष्कर के हलवाइयों की भी बेचैनी बढ़ा दी है. सुशीला ने पुष्कर के उन हलवाईयों को सबक सिखाने की ठानी है जो पूरे पैसे लेने के बावजूद ग्राहक को गुणवत्तापूर्ण मिठाई नहीं देते. सुशीला किन्नर ने पुष्कर में 3 हजार किलो मिठाई बांटने का टारगेट सेट किया है.

कौन है सुशीला किन्नर?: सुशीला दो दशक से पुष्कर में रहती हैं. गायों और भैसों को पाल रखा है. खास बात यह कि सुशीला किन्नर अन्य किन्नरों की तरह समूह में नही रहतीं. गांव में वो आम लोगों की तरह ही गुजर बसर करती हैं. सुशीला किन्नर गांव से वास्ता रखती हैं. उनके पहनावे और खान पान में ग्रामीण परिवेश की झलक साफ दिखती है.

सुशीला किन्नर दिवाली पर बेचेंगी 10 रुपए में देसी घी की मिठाइयां

कलेक्टर संग वायरल वीडियो: ऐसा पहली बार नहीं है कि सुशीला सुर्खियों में आई हों इससे पहले भी उन्होंने सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर शिरकत की है. हाल ही में वो सीधे सीधे कलेक्टर साहब के पास जा धमकीं. उन्होंने मिलावटखोरी का दर्द बयां किया और अपने फैसले के बारे में बताया. इतना ही नहीं उनके सामने नोटों से भरा रुमाल तक पटक दिया. सुशीला के इस एक्शन का वीडियो बन गया और फिर वो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.

क्या है पॉजिटिव जिद्द?: सुशीला ने फैसला किया है कि पुष्कर में दीपावली पर10 रुपए प्रति किलो के हिसाब से देशी घी की मिठाई और 5 रुपए में डालडे से बनी घी की मिठाई बेचेंगी (Deepawali 2022 in Ajmer). इसके साथ ही खरीदारों को नसीराबाद का 400 ग्राम का कचौरा भी मुफ्त में देंगी. दावा है कि दीपावली पर वो 3 हजार किलो मिठाई बनवा कर बेचेंगी. इसके लिए उन्होंने चामुंडा मंदिर चौराहे पर श्री तीर्थ गुरु पुरोहित ट्रस्ट संघ की धर्मशाला में जगह भी ली है. धर्मशाला में मिठाई बनवाने का सामान सोमवार को डलवा भी दिया है.

खर्च करेंगी 1 करोड़: सुशीला किन्नर का दावा है कि मंगलवार को पुष्कर राज की पूजा अर्चना करने के बाद हलवाई बैठाकर मिठाइयां बनवाना शुरू करेंगी.सुशीला किन्नर का दावा है कि वो सस्ती दर पर मिठाई बेचने के लिए 1 करोड़ रुपए खर्च करेंगी. अनुमान है कि यदि वो 3 हजार किलो मिठाई तयशुदा रेट पर बेचती हैं तो उन्हें महज 30 हजार रुपए की आमदनी होगी.

पढ़ें-अजमेर में कलेक्टर के चैंबर पहुंची सुशीला किन्नर, टेबल पर रखा नोटों से भरा रुमाल...जानें पूरा मामला

सबक सिखाना है: सुशीला मिलावटखोरों, मिठाई देने में कोताही करने वाले हलवाइयों और पुलिस प्रशासन से खफा हैं. एक उदाहरण के जरिए अपनी पीड़ा साझा करती हैं. कहती हैं कि वो गायों को खिलाने के लिए पुष्कर से मिठाइयां लेती हैं. इनमें पुष्कर के मशहूर मालपुए भी शामिल हैं. आरोप है कि 10 किलो रबड़ी के मालपुआ लेने पर उसमें 4 किलो चाशनी दी जाती है. जबकि मालपुए की रेट साढ़े चार सौ रुपए प्रति किलो है और चाशनी 40 रुपए प्रति किलो की बनाई जाती है. ऐसे में जितने पैसे रबड़ी के मालपुए के वो हलवाई को देती हैं इतने पैसे में 60 प्रतिशत ही मिलते हैं जबकि शेष पैसे की चाशनी होती है. सुशीला किन्नर ने कहा कि रबड़ी के मालपुए में रबड़ी नही होती है. मावे में भी मिलावट होती है लेकिन पुलिस और प्रशासन इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करता. यही वजह है कि वो पुष्कर के उन हलवाइयों को सबक सिखाना चाहती हैं जो मिलावट और गुणवत्तापूर्ण मिठाईयां नहीं देते हैं.

पुष्कर के हलवाईयों में बेचैनी: ईटीवी भारत की टीम ने पुष्कर के हलवाइयों से भी उनका पक्ष जानने की कोशिश की. ज्यादातर हलवाई इस मामले में कुछ भी कहने से बचते दिखे. आखिर में पुराने रंगजी मंदिर के समीप मिठाई की दुकान लगाने वाले सोहन लाल कुमावत ने बताया कि निश्चित रूप से सुशीला किन्नर की ओर से देसी घी की मिठाई बनवा कर सस्ते में बेचने से कुछ हद तक फर्क पड़ेगा. कहते हैं ज्यादा इसलिए नहीं पड़ेगा क्योंकि पुष्कर में मिठाई की दुकानों पर ग्राहकी तीर्थयात्रियों की वजह से ज्यादा होती है. ऐसे में दुकानदार लिमिट में प्रतिदिन मिठाई बनाते हैं और ऑर्डर मिलने पर ही ज्यादा मिठाई बनाई जाती है.

चूंकि त्योहारी सीजन है तो तैयारी पहले ही हो जाती है तो इसलिए असर पड़ना तय है. अपनी बात को विराम देते हुए कहते हैं- सुशीला किन्नर नाराज होकर बहुत ही कम रेट पर देसी घी की मिठाई बेचना चाहती हैं तो वो उनका सेवा कार्य है. उनके साथ कुछ तो हुआ होगा तभी वो नाराज हैं.

किशनगढ़ में भी बेची है कम कीमत में मिठाई : एक दशक पहले किशनगढ़ में सुशीला किन्नर ने कुछ ऐसा ही किया था. सरवादी गेट स्थित एक हलवाई ने गाय को मारा था. उसकी इस हरकत से नाराज हो उन्होंने लगातार 6 वर्ष तक हर दिवाली पर 25 रुपए प्रति किलो की दर से मिठाई बेची. ये सिलसिला तब टूटा जब उसने 2018 में माफी मांगी.

सुशीला किन्नर की अपील: सुशीला किन्नर आम लोगों से भी थोड़ी नाराज हैं. कहती हैं मिलावटखोरी के खिलाफ आमजन ने उनका साथ नहीं किया लेकिन अब उनसे अपील की है कि वो सभी उनके साथ चल कर जिला मुख्यालय के बाहर धरना दें. साथ ही कहती हैं कि क्योंकि आमजन उनको समर्थन नहीं दे रहे इसलिए उनका साथ देने वाले पुष्कर के पाराशर पंडितों को ही वो मिठाई बना कर देंगी.

स्ट्रैटजी के तहत बयान: सुशीला को जानने वाले उनके इस बयान के पीछे छुपे संदेश को बताते हैं. इसे सोची समझी रणनीति के तहत कैमरे के सामने दिया गया बयान बताते हैं. कहते हैं रणनीति है कि पुष्कर में मिठाई के दुकानदार निश्चिंत होकर मिठाइयां बनाएं ताकि जब वो 10 रुपए प्रति किलो देसी घी और 5 रुपए प्रति किलो की मिठाई आमजन को दें तो पुष्कर के मिठाई विक्रेताओं की मिठाइयां दुकानों की शोभा बढ़ाते रहें और खरीदार न मिल सके.

अजमेर. पुष्कर में दिवाली पर सुशीला किन्नर (Sushila Kinnar of Ajmer) शुद्ध देशी घी की मिठाई महज 10 और डालडा घी में पकी मिठाई 5 रुपए किलो में बेचेंगी. उनके दावे की चर्चा हर ओर है. उनकी इस जिद्द ने पुष्कर के हलवाइयों की भी बेचैनी बढ़ा दी है. सुशीला ने पुष्कर के उन हलवाईयों को सबक सिखाने की ठानी है जो पूरे पैसे लेने के बावजूद ग्राहक को गुणवत्तापूर्ण मिठाई नहीं देते. सुशीला किन्नर ने पुष्कर में 3 हजार किलो मिठाई बांटने का टारगेट सेट किया है.

कौन है सुशीला किन्नर?: सुशीला दो दशक से पुष्कर में रहती हैं. गायों और भैसों को पाल रखा है. खास बात यह कि सुशीला किन्नर अन्य किन्नरों की तरह समूह में नही रहतीं. गांव में वो आम लोगों की तरह ही गुजर बसर करती हैं. सुशीला किन्नर गांव से वास्ता रखती हैं. उनके पहनावे और खान पान में ग्रामीण परिवेश की झलक साफ दिखती है.

सुशीला किन्नर दिवाली पर बेचेंगी 10 रुपए में देसी घी की मिठाइयां

कलेक्टर संग वायरल वीडियो: ऐसा पहली बार नहीं है कि सुशीला सुर्खियों में आई हों इससे पहले भी उन्होंने सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर शिरकत की है. हाल ही में वो सीधे सीधे कलेक्टर साहब के पास जा धमकीं. उन्होंने मिलावटखोरी का दर्द बयां किया और अपने फैसले के बारे में बताया. इतना ही नहीं उनके सामने नोटों से भरा रुमाल तक पटक दिया. सुशीला के इस एक्शन का वीडियो बन गया और फिर वो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.

क्या है पॉजिटिव जिद्द?: सुशीला ने फैसला किया है कि पुष्कर में दीपावली पर10 रुपए प्रति किलो के हिसाब से देशी घी की मिठाई और 5 रुपए में डालडे से बनी घी की मिठाई बेचेंगी (Deepawali 2022 in Ajmer). इसके साथ ही खरीदारों को नसीराबाद का 400 ग्राम का कचौरा भी मुफ्त में देंगी. दावा है कि दीपावली पर वो 3 हजार किलो मिठाई बनवा कर बेचेंगी. इसके लिए उन्होंने चामुंडा मंदिर चौराहे पर श्री तीर्थ गुरु पुरोहित ट्रस्ट संघ की धर्मशाला में जगह भी ली है. धर्मशाला में मिठाई बनवाने का सामान सोमवार को डलवा भी दिया है.

खर्च करेंगी 1 करोड़: सुशीला किन्नर का दावा है कि मंगलवार को पुष्कर राज की पूजा अर्चना करने के बाद हलवाई बैठाकर मिठाइयां बनवाना शुरू करेंगी.सुशीला किन्नर का दावा है कि वो सस्ती दर पर मिठाई बेचने के लिए 1 करोड़ रुपए खर्च करेंगी. अनुमान है कि यदि वो 3 हजार किलो मिठाई तयशुदा रेट पर बेचती हैं तो उन्हें महज 30 हजार रुपए की आमदनी होगी.

पढ़ें-अजमेर में कलेक्टर के चैंबर पहुंची सुशीला किन्नर, टेबल पर रखा नोटों से भरा रुमाल...जानें पूरा मामला

सबक सिखाना है: सुशीला मिलावटखोरों, मिठाई देने में कोताही करने वाले हलवाइयों और पुलिस प्रशासन से खफा हैं. एक उदाहरण के जरिए अपनी पीड़ा साझा करती हैं. कहती हैं कि वो गायों को खिलाने के लिए पुष्कर से मिठाइयां लेती हैं. इनमें पुष्कर के मशहूर मालपुए भी शामिल हैं. आरोप है कि 10 किलो रबड़ी के मालपुआ लेने पर उसमें 4 किलो चाशनी दी जाती है. जबकि मालपुए की रेट साढ़े चार सौ रुपए प्रति किलो है और चाशनी 40 रुपए प्रति किलो की बनाई जाती है. ऐसे में जितने पैसे रबड़ी के मालपुए के वो हलवाई को देती हैं इतने पैसे में 60 प्रतिशत ही मिलते हैं जबकि शेष पैसे की चाशनी होती है. सुशीला किन्नर ने कहा कि रबड़ी के मालपुए में रबड़ी नही होती है. मावे में भी मिलावट होती है लेकिन पुलिस और प्रशासन इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करता. यही वजह है कि वो पुष्कर के उन हलवाइयों को सबक सिखाना चाहती हैं जो मिलावट और गुणवत्तापूर्ण मिठाईयां नहीं देते हैं.

पुष्कर के हलवाईयों में बेचैनी: ईटीवी भारत की टीम ने पुष्कर के हलवाइयों से भी उनका पक्ष जानने की कोशिश की. ज्यादातर हलवाई इस मामले में कुछ भी कहने से बचते दिखे. आखिर में पुराने रंगजी मंदिर के समीप मिठाई की दुकान लगाने वाले सोहन लाल कुमावत ने बताया कि निश्चित रूप से सुशीला किन्नर की ओर से देसी घी की मिठाई बनवा कर सस्ते में बेचने से कुछ हद तक फर्क पड़ेगा. कहते हैं ज्यादा इसलिए नहीं पड़ेगा क्योंकि पुष्कर में मिठाई की दुकानों पर ग्राहकी तीर्थयात्रियों की वजह से ज्यादा होती है. ऐसे में दुकानदार लिमिट में प्रतिदिन मिठाई बनाते हैं और ऑर्डर मिलने पर ही ज्यादा मिठाई बनाई जाती है.

चूंकि त्योहारी सीजन है तो तैयारी पहले ही हो जाती है तो इसलिए असर पड़ना तय है. अपनी बात को विराम देते हुए कहते हैं- सुशीला किन्नर नाराज होकर बहुत ही कम रेट पर देसी घी की मिठाई बेचना चाहती हैं तो वो उनका सेवा कार्य है. उनके साथ कुछ तो हुआ होगा तभी वो नाराज हैं.

किशनगढ़ में भी बेची है कम कीमत में मिठाई : एक दशक पहले किशनगढ़ में सुशीला किन्नर ने कुछ ऐसा ही किया था. सरवादी गेट स्थित एक हलवाई ने गाय को मारा था. उसकी इस हरकत से नाराज हो उन्होंने लगातार 6 वर्ष तक हर दिवाली पर 25 रुपए प्रति किलो की दर से मिठाई बेची. ये सिलसिला तब टूटा जब उसने 2018 में माफी मांगी.

सुशीला किन्नर की अपील: सुशीला किन्नर आम लोगों से भी थोड़ी नाराज हैं. कहती हैं मिलावटखोरी के खिलाफ आमजन ने उनका साथ नहीं किया लेकिन अब उनसे अपील की है कि वो सभी उनके साथ चल कर जिला मुख्यालय के बाहर धरना दें. साथ ही कहती हैं कि क्योंकि आमजन उनको समर्थन नहीं दे रहे इसलिए उनका साथ देने वाले पुष्कर के पाराशर पंडितों को ही वो मिठाई बना कर देंगी.

स्ट्रैटजी के तहत बयान: सुशीला को जानने वाले उनके इस बयान के पीछे छुपे संदेश को बताते हैं. इसे सोची समझी रणनीति के तहत कैमरे के सामने दिया गया बयान बताते हैं. कहते हैं रणनीति है कि पुष्कर में मिठाई के दुकानदार निश्चिंत होकर मिठाइयां बनाएं ताकि जब वो 10 रुपए प्रति किलो देसी घी और 5 रुपए प्रति किलो की मिठाई आमजन को दें तो पुष्कर के मिठाई विक्रेताओं की मिठाइयां दुकानों की शोभा बढ़ाते रहें और खरीदार न मिल सके.

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