अजमेर. निवेशकों का 70 करोड़ से अधिक धन हड़पकर फरार हुए रूबी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी लि. के प्रबंधन से जुड़े पदाधिकारियों को अजमेर पुलिस दो वर्षों में भी गिरफ्तार नहीं कर पाई है.पीड़ित निवेशकों (Fraud with investors by cooperative society) ने अजमेर रेंज पुलिस में नए आईजी रूपेंद्र सिंह से सोसायटी के प्रबंधन से जुड़े पदाधिकारी राहुल दवे, पूजा दवे सहित अन्य के खिलाफ कार्रवाई करने की गुहार लगाई है.
अजमेर में सोसायटी के अधिक ब्याज के प्रलोभन में पड़े 35 कर्मचारी और अधिकारियों का पैसा अटका हुआ है. पीड़ित निवेशकों का आरोप है कि प्रबंधन से जुड़े पदाधिकारी सरेआम खुले घूम रहे हैं. अपनी संपत्तियां बना चुके हैं, लेकिन पुलिस उन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. खाई लैंड मार्केट में स्थित रूबी क्रेडिट कॉपरेटिव सोसायटी के प्रबंधन से जुड़े पदाधिकारी निवेशकों का पैसा डकार कर दो वर्ष पहले कार्यालय बंद कर फरार हो गए थे. सोसायटी के अधिक ब्याज के प्रलोभन में एफडीआर करवाने वाले कई सरकारी, गैर-सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों का करीब 70 करोड़ रुपए अटक गए हैं. इनमें ज्यादात्तर निवेशकों ने अपनी पूरी पेंशन की रकम एफडीआर में लगा दी थी.
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पीड़ित निवेशक रूप नारायण अग्रवाल ने बताया कि वे यूको बैंक से सेवानिवृत्त हुए हैं. सोसायटी के अधिक ब्याज देने और सिक्कों की स्कीम के लालच में उन्होंने अपनी पेंशन की 40 लाख रुपए की राशि की तीन माह की एफडीआर करवाई थी. मेरी तरह कई लोगों ने अपनी मेहनत की कमाई सिसायटी में निवेश की थी. लेकिन सोसायटी हम निवेशकों का पैसा डकार कर फरार हो गई. कार्यालय बंद कर दिए गए. बता दें कि सोसायटी से ठगे गए 35 लोगों ने 10 दिसम्बर, 2019 को कोतवाली थाने में सामूहिक एफआईआर प्रबंधन के खिलाफ दर्ज करवाई थी. लेकिन अजमेर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. जबकि पड़ोसी जिले की भीलवाड़ा पुलिस ने सोसायटी के प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की.
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गुजरात के अहमदाबाद में भी सोसायटी प्रबंधन के पदाधिकारियों के खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई की है. अग्रवाल ने कहा कि प्रबंधन से जुड़े लोग अजमेर में सरेआम लग्जरी गाड़ियों में घूम रहे हैं. यहां संपत्तियां भी खरीद चुके हैं. उन्होंने बताया कि कार्रवाई के लिए दो वर्षों में एसपी और आईजी से कई बार गुहार लगा चुके हैं.
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उन्होंने बताया कि निवेशकों में रेलवे, शिक्षक, बैंक सहित कई विभागों के कर्मचारी और अधिकारी हैं. रेलवे में टिकट इंस्पेक्टर सीताराम शर्मा ने बताया कि सोसायटी में अधिक ब्याज के लालच में उन्होंने भी 20 लाख रुपए एफडीआर में निवेश किए थे. इस बीच हार्ट प्रॉब्लम के इलाज के लिए जब रुपयों की जरूरत पड़ी, तो सोसायटी प्रबंधन के लोग उन्हें झांसा देते रहे.