अजमेर. शहर के लिए आनासागर झील एक वरदान है. झील से शहर का भूमिगत जलस्तर (Anasagar Lake of Ajmer) बना रहता है. वहीं झील की सुंदरता के चलते पर्यटन भी बढ़ा है. अजमेर में विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा गरीब नवाज और पुष्कर में जगतपिता ब्रह्मा मंदिर के दर्शनों के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सदियों से आनासागर झील आकर्षण का केंद्र रहा है. वर्तमान में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए स्मार्ट सिटी योजना के तहत झील के चारों ओर करोड़ों के विकास कार्य किए गए. लेकिन झील के बदबू ने करोड़ों के विकास कार्य पर पानी फेर दिया है.
झील इतना प्रदूषित हो चुका है कि पानी का रंग भी बदरंग हो चुका है. ऑक्सीजन की कमी से असंख्य मछलियां झील में मर रही हैं. पिछले तीन दिन में चार ट्रेक्टर ट्रॉली भरकर पानी से मछलियां निकाली जा चुकी हैं. लेकिन अब भी हालत जस के तस हैं. झील के पानी में जमी काई भी बदबू का कारण है. नगर निगम की मेयर ब्रजलता हाड़ा भी मानती हैं कि झील का पानी प्रदूषित है. हाड़ा ने सोमवार को झील का निरीक्षण किया. ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने बताया कि जब तक शहर में सीवेज व्यवस्था सुचारू नहीं होती है तब तक झील में ये समस्या बनी रहेगी.
मत्स्य विभाग को नगर निगम भेजेगा नोटिस: मेयर ब्रजलता हाड़ा ने बातचीत में बताया कि मछलियों का ठेका मत्स्य विभाग की ओर से दिया जाता है. लाखों रुपए का राजस्व मत्स्य विभाग को मिलता है. झील में मछलियों के मरने के बाद उन्हें निकालने का जिम्मा भी मत्स्य विभाग को उठाना चाहिए. लेकिन जनहित के कार्य को देखते हुए नगर निगम ने जल से मरी हुई मछलियों को निकालने का बीड़ा उठाया है. इतना ही नहीं डीवीडी मशीन को लगातार चलवा कर झील के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाने का कार्य शुरू हो चुका है. वहीं नगर निगम झील के पानी में चूना भी डलवाएगा जिससे काई खत्म होगी. वहीं झील में लगे फव्वारे चलाने के लिए अजमेर विकास प्राधिकरण से भी संपर्क किया गया है.
विधायकों को नहीं है पूरी जानकारी: झील में मछलियों के लगातार मरने का सिलसिला जारी है. लिहाजा अजमेर उत्तर के विधायक वासुदेव देवनानी और अजमेर दक्षिण की विधायक अनिता भदेल ने नगर निगम की मेयर ब्रज लता हाड़ा को पत्र लिखकर कहा है कि झील के पानी को प्रदूषित होने से बचाने और मरी हुई मछलियों को निकालने की जिम्मेदारी नगर निगम की है. विधायकों की ओर से उठाए गए सवाल के बारे में जब मेयर से प्रश्न किया गया तो उन्होंने कहा कि विधायकों को पूरी जानकारी नहीं है. जब मछलियां निकाल कर राजस्व अर्जित करने का कार्य मत्स्य विभाग का है तो मरी हुई मछलियों को निकालने का कार्य भी मत्स्य विभाग को करना चाहिए. इसके लिए मत्स्य विभाग को नगर निगम की ओर से नोटिस दिया जाएगा.
झील में खुले है शहर के नाले : गर्मी के मौसम में आनासागर झील के पानी के बदबूदार होना नई बात नहीं है. पिछले 2 दशक से झील का पानी गर्मी के मौसम में बदबू मारता रहा है. हर बार झील के पानी में ऑक्सीजन बढ़ाने की कवायद होती है. लेकिन झील में खुलने वाले नालों की समस्या के समाधान पर अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया गया है. वहीं झील के चारों ओर बनाए गए पाथवे की वजह से झील के किनारे से मिट्टी नहीं निकाली गई. जिस कारण किनारों पर पानी कम हो गया है. मछलियों के मरने का ये भी एक बड़ा कारण है.
बदबू की वजह से पर्यटकों ने बनाई दूरी: आनासागर झील के बदबूदार होने से पर्यटक ही नहीं स्थानीय (Fishes dying in Ajmer Anasagar Lake) लोगों ने भी दूरी बना ली है. लोगों से आबाद रहने वाली चौपाटी और पाथवे सुनसान पड़े हैं. वहीं पाथवे पर साइकिलिंग के लिए भी कोई नजर नही आता. झील के आस-पास की कॉलोनियों में रहने वाले लोगों का बदबू से जीना दुभर हो गया है. हालात ये है कि झील के चारों ओर आधा किलोमीटर तक सिर्फ बदबू ही बदबू फैली हुई है.