ETV Bharat / city

शिकारी के शिकंजे में फंसी मादा पैंथर ने बढ़ाई वन विभाग की चिंता

author img

By

Published : Jan 13, 2020, 5:34 PM IST

अजमेर के माकड़वाली गांव के पदमपुरा ढाणी के आबादी क्षेत्र में शिकारियों के शिकंजे में फंसी मादा पैंथर को वन विभाग की रेस्क्यू टीम ने समय रहते बचा लिया. वरना मादा पैंथर का जीवन खतरे में था. मौके पर शिकंजा किसने लगाया फिलहाल इस सवाल का जवाब वन विभाग के पास भी नहीं है हालांकि वन विभाग मामले की गहन पड़ताल कर रहा है.

ajmer forest department, पदमपुरा ढाणी में पैंथर
Female panther caught in hunters grip

अजमेर. जिले में वन क्षेत्र में पैंथर की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है यह खबर ईटीवी भारत ने सबसे पहले प्रकाशित की थी जिसमें जवाजा, नसीराबाद, मसूदा और पुष्कर क्षेत्र में पैंथर के मूवमेंट को भी बताया था. जिले में बढ़ती पैंथर की संख्या को लेकर वन विभाग में खुशी थी लेकिन वन विभाग उस अनजान खतरे से अनभिज्ञ रहा.

शिकायिरयों की सक्रियता ने बढ़ाई वन विभाग की चिंता, शिकारी के पिंजरे में कैद मिली मादा पैंथर

दरअसल पैंथर की मूवमेंट के साथ ही जिले में शिकारियों की सक्रियता भी बढ़ गई है. सोमवार की सुबह पदमपुरा ढाणी में शिकंजे में फंसी मादा पैंथर इस मामले की पुष्टि करती है. हालांकि वन विभाग पदमपुरा क्षेत्र में शिकारियों द्वारा शिकंजा लगाए जाने से इनकार नहीं कर रहा है. वहीं, शिकंजा नीलगाय के लिए लगाए जाने की संभावनाएं भी व्यक्त कर रहा है.

बता दें कि नीलगाय से फसलों को बचाने के लिए किसान पटाखे या लाइसेंसशुदा टोपीदार बंदूक से हवाई फायर कर उन्हें भगाते हैं. नीलगाय को पकड़ने के लिए शिकंजा नहीं लगाते. वहीं किसानों के पास पशुओं को पकड़ने के लिए शिकंजा नहीं होता. शिकंजे का इस्तेमाल शिकारी ही करते हैं. पदमपुरा ढाणी में जिस तरीके से शिकंजा लगाया गया, शिकारियों का ही काम लग रहा है.

पढ़ेंः मादा पैंथर मिलने से गांव में फैली सनसनी, डॉक्टर की टीम ने किया ट्रेंकुलाइज

वन संरक्षक सुदीप कौर ने बताया कि सुबह 7:00 बजे उन्हें शिकंजे में फंसे पैंथर के बारे में सूचना मिली उसके बाद जयपुर वन्यजीव रेस्क्यू टीम को उन्होंने सूचना दी. वहीं वन्य जीव चिकित्सा अधिकारी जयपुर चिड़ियाघर के डॉक्टर अरविंद माथुर का पदमपुरा में पैंथर को शिकंजे से मुक्त करवाने का 55 वा रेस्क्यू था.

माथुर ने बताया कि शिकंजे में फंसी मादा पैंथर की उम्र 2 वर्ष एवं वजन 35 किलो है उन्होंने बताया कि पैंथर के सीधे हाथ का पंजा शिकंजे से घायल हुआ है. उसको आवश्यक दवाइयां दी गई है. जल्दी पैंथर को जंगल में छोड़ा जाएगा शिकंजे के सवाल पर उन्होंने कहा कि पदमपुरा में शिकंजा किसने लगाया यह गहन जांच का विषय है. जिले के वन क्षेत्र में जहां पैंथर की बड़ी संख्या से वन विभाग में खुशी थी वही शिकंजे में फंसे पैंथर की घटना ने वन विभाग की अब चिंता बढ़ा दी है ऐसे में वन विभाग को और भी ज्यादा सजग रहने की जरूरत है.

पढ़ेंः 2 साल से इलाज को तरस रहा है गुलेरिया का 'राजूराम', बूढ़ी मां ने कहा- हमारी भी सुन लो सरकार

10 साल से नही मिली ट्रंकुलाइजर गन
अजमेर में पिछले एक दशक से दर्जनों घटनाएं हुई है जहां आबादी क्षेत्र में पैंथर का मोमेंट देखा गया है. कई बार पैंथर को रेस्क्यू भी किया गया है. ऐसी स्थिति में हमेशा वन विभाग जयपुर की ओर देखता नजर आया है. अजमेर वन विभाग की एक दशक से ट्रंकुलाइजर गन की मांग रही है. पदमपुरा में फंसी मादा पैंथर के मामले में भी जयपुर से टीम आई तब जाकर पैंथर को ट्रंकुलाइजर दिया गया. गनीमत रही कि वन विभाग की सजगता से शिकारियों के मंसूबे पूरे नहीं हो पाए और मादा पैंथर की जान बच गई.

अजमेर. जिले में वन क्षेत्र में पैंथर की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है यह खबर ईटीवी भारत ने सबसे पहले प्रकाशित की थी जिसमें जवाजा, नसीराबाद, मसूदा और पुष्कर क्षेत्र में पैंथर के मूवमेंट को भी बताया था. जिले में बढ़ती पैंथर की संख्या को लेकर वन विभाग में खुशी थी लेकिन वन विभाग उस अनजान खतरे से अनभिज्ञ रहा.

शिकायिरयों की सक्रियता ने बढ़ाई वन विभाग की चिंता, शिकारी के पिंजरे में कैद मिली मादा पैंथर

दरअसल पैंथर की मूवमेंट के साथ ही जिले में शिकारियों की सक्रियता भी बढ़ गई है. सोमवार की सुबह पदमपुरा ढाणी में शिकंजे में फंसी मादा पैंथर इस मामले की पुष्टि करती है. हालांकि वन विभाग पदमपुरा क्षेत्र में शिकारियों द्वारा शिकंजा लगाए जाने से इनकार नहीं कर रहा है. वहीं, शिकंजा नीलगाय के लिए लगाए जाने की संभावनाएं भी व्यक्त कर रहा है.

बता दें कि नीलगाय से फसलों को बचाने के लिए किसान पटाखे या लाइसेंसशुदा टोपीदार बंदूक से हवाई फायर कर उन्हें भगाते हैं. नीलगाय को पकड़ने के लिए शिकंजा नहीं लगाते. वहीं किसानों के पास पशुओं को पकड़ने के लिए शिकंजा नहीं होता. शिकंजे का इस्तेमाल शिकारी ही करते हैं. पदमपुरा ढाणी में जिस तरीके से शिकंजा लगाया गया, शिकारियों का ही काम लग रहा है.

पढ़ेंः मादा पैंथर मिलने से गांव में फैली सनसनी, डॉक्टर की टीम ने किया ट्रेंकुलाइज

वन संरक्षक सुदीप कौर ने बताया कि सुबह 7:00 बजे उन्हें शिकंजे में फंसे पैंथर के बारे में सूचना मिली उसके बाद जयपुर वन्यजीव रेस्क्यू टीम को उन्होंने सूचना दी. वहीं वन्य जीव चिकित्सा अधिकारी जयपुर चिड़ियाघर के डॉक्टर अरविंद माथुर का पदमपुरा में पैंथर को शिकंजे से मुक्त करवाने का 55 वा रेस्क्यू था.

माथुर ने बताया कि शिकंजे में फंसी मादा पैंथर की उम्र 2 वर्ष एवं वजन 35 किलो है उन्होंने बताया कि पैंथर के सीधे हाथ का पंजा शिकंजे से घायल हुआ है. उसको आवश्यक दवाइयां दी गई है. जल्दी पैंथर को जंगल में छोड़ा जाएगा शिकंजे के सवाल पर उन्होंने कहा कि पदमपुरा में शिकंजा किसने लगाया यह गहन जांच का विषय है. जिले के वन क्षेत्र में जहां पैंथर की बड़ी संख्या से वन विभाग में खुशी थी वही शिकंजे में फंसे पैंथर की घटना ने वन विभाग की अब चिंता बढ़ा दी है ऐसे में वन विभाग को और भी ज्यादा सजग रहने की जरूरत है.

पढ़ेंः 2 साल से इलाज को तरस रहा है गुलेरिया का 'राजूराम', बूढ़ी मां ने कहा- हमारी भी सुन लो सरकार

10 साल से नही मिली ट्रंकुलाइजर गन
अजमेर में पिछले एक दशक से दर्जनों घटनाएं हुई है जहां आबादी क्षेत्र में पैंथर का मोमेंट देखा गया है. कई बार पैंथर को रेस्क्यू भी किया गया है. ऐसी स्थिति में हमेशा वन विभाग जयपुर की ओर देखता नजर आया है. अजमेर वन विभाग की एक दशक से ट्रंकुलाइजर गन की मांग रही है. पदमपुरा में फंसी मादा पैंथर के मामले में भी जयपुर से टीम आई तब जाकर पैंथर को ट्रंकुलाइजर दिया गया. गनीमत रही कि वन विभाग की सजगता से शिकारियों के मंसूबे पूरे नहीं हो पाए और मादा पैंथर की जान बच गई.

Intro:अजमेर। अजमेर में माकड़वाली गांव के पदमपुरा ढाणी के आबादी क्षेत्र में शिकारियों के शिकंजे में फंसी मादा पैंथर को वन विभाग की रेस्क्यू टीम ने समय रहते बचा लिया। वरना मादा पैंथर का जीवन खतरे में था मौके पर शिकंजा किसने लगाया फिलहाल इस सवाल का जवाब वन विभाग के पास भी नहीं है हालांकि वन विभाग मामले की गहन पड़ताल कर रहा है।

अजमेर जिले में वन क्षेत्र में पैंथर की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है यह खबर ईटीवी भारत ने सबसे पहले प्रकाशित की थी जिसमें जवाजा नसीराबाद मसूदा और पुष्कर क्षेत्र में पैंथर के मूवमेंट को भी बताया था। जिले में बढ़ती पैंथर की संख्या को लेकर वन विभाग में खुशी थी लेकिन वन विभाग उस अनजान खतरे से अनभिज्ञ रहा। दरअसल 10th की मोमेंट के साथ ही जिले में शिकारियों की भी सक्रियता बढ़ गई है सोमवार की सुबह पदमपुरा ढाणी में शिकंजे में फंसी मादा पैंथर इस मामले की पुष्टि करती है। हालांकि वन विभाग पदमपुरा क्षेत्र में शिकारियों द्वारा शिकंजा लगाए जाने से इनकार नहीं कर रहा है वहीं शिकंजा नीलगाय के लिए लगाए जाने की संभावनाएं भी व्यक्त कर रहा है। बता दें कि नीलगाय से फसलों को बचाने के लिए किसान फटाके या लाइसेंस धारी टोपीदार बंदूक से हवाई फायर कर उन्हें भगाते हैं नीलगाय को पकड़ने के लिए शिकंजा नहीं लगाते। वहीं किसानों के पास घटक पशुओं को पकड़ने के लिए शिकंजा नहीं होता शिकंजे का इस्तेमाल शिकारी करते हैं। पदमपुरा ढाणी में जिस तरीके से शिकंजा लगाया गया वे शिकारियों का ही काम लग रहा है। वन संरक्षक सुदीप कौर ने बताया कि सुबह 7:00 बजे उन्हें शिकंजे में फंसे पैंथर के बारे में सूचना मिली उसके बाद जयपुर वन्यजीव रेस्क्यू टीम को उन्होंने सूचना दी....
बाइट- सुदीप कौर वन संरक्षक अजमेर

वन्य जीव चिकित्सा अधिकारी जयपुर चिड़ियाघर के डॉक्टर अरविंद माथुर का पदमपुरा में पैंथर को शिकंजे से मुक्त करवाने का 55 वा रेस्क्यू था। माथुर ने बताया कि शिकंजे में फंसी मादा पैंथर की उम्र 2 वर्ष एवं वजन 35 किलो है उन्होंने बताया कि पैंथर के सीधे हाथ का पंजा शिकंजे से घायल हुआ है। उसको आवश्यक दवाइयां दी गई है। जल्दी पैंथर को जंगल में छोड़ा जाएगा शिकंजे के सवाल पर उन्होंने कहा कि पदमपुरा में शिकंजा किसने लगाया यह गहन जांच का विषय है....
बाइट डॉ अरविंद माथुर वन्यजीव चिकित्सा अधिकारी चिड़ियाघर जयपुर

जिले के वन क्षेत्र में जहां पैंथर की बड़ी संख्या से वन विभाग में खुशी थी वही शिकंजे में फंसे पैंथर की घटना ने वन विभाग की अब चिंता बढ़ा दी है ऐसे में वन विभाग को और भी ज्यादा सजग रहने की जरूरत है।

एक दशक चाहिए ट्रंकुलाइजर गन नही मिली ...

अजमेर में पिछले एक दशक से दर्जनों घटनाएं हुई है जहां आबादी क्षेत्र में पैंथर का मोमेंट देखा गया है कई बार पैंथर को रेस्क्यू भी किया गया है ऐसी स्थिति में हमेशा वन विभाग जयपुर की ओर देखता नजर आया है अजमेर वन विभाग की एक दशक से ट्रंकुलाइजर गन की मांग रही है। पदमपुरा में फंसी मादा पैंथर के मामले में भी जयपुर से टीम आई तब जाकर पैंथर को ट्रंकुलाइजर दिया गया। गनीमत रही कि वन विभाग की सजगता से शिकारियों के मंसूबे पूरे नहीं हो पाए और मादा पैंथर की जान बच गई।


Body:प्रियांक शर्मा
अजमेर


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.