अजमेर. धार्मिक पर्यटन नगरी अजमेर में कोरोना का संकट एक बार फिर से मंडराने लगा है. एक ओर पुष्कर में विश्व का इकलौता जगतपिता ब्रह्मा का मंदिर है, वहीं दूसरी ओर सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह है. दोनों ही प्रमुख स्थलों पर बड़ी संख्या में लोग बाहर से आ रहे हैं. ऐसे में दोनों ही क्षेत्र में कोरोना फैलने का खतरा ज्यादा है. बता दें कि पिछले लॉकडाउन में दोनों ही प्रमुख धार्मिक स्थल करीब 6 माह बंद रहे थे.
इस दौरान होटल, गेस्ट हाउस, दुकानदार, टूर ऑपरेटर्स, टैक्सी, ओटो सहित इन व्यवसायिक क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों को जबरदस्त आर्थिक झटका लगा था. 1 साल बाद वक्त ने उसी जगह लाकर खड़ा कर दिया है, जहां से शुरुआत हुई थी. इस बार कोरोना संक्रमण फैलने की रफ्तार पहले से दोगनी है.
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अजमेर जिले में प्रतिदिन 100 के करीब कोरोना पॉजिटिव मरीज पाए जा रहे है. पिछली बार दरगाह के कई क्षेत्र सुपर स्पाइडर बनकर उभरे थे. बावजूद इसके लोगों ने कोई सबक नहीं लिया. प्रशासनिक सख्ती होने पर लोग मास्क लगा रहे हैं. इसके बाद वहीं ढाक के तीन पात. यह लापरवाही फिर से लोगों को महंगी पड़ सकती है. खासकर तीर्थ की वजह से चलने वाले व्यवसायियों पर भी कोरोना की गाज गिर सकती है.
व्यापारी एसोसिएशन के पदाधिकारी बताते हैं कि पिछली बार 6 महीने पुष्कर जगतपिता ब्रह्मा का मंदिर और दरगाह बंद रहने से व्यापारियों को जबरदस्त आर्थिक झटका लगा था. सितंबर 2020 के बाद सामान्य स्थिति बनने लगी थी, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर शुरू होने के साथ ही व्यापार फिर से मंदा हो गया है. जायरीन और तीर्थयात्रियों की आवक कम हो रही है. कोरोना इस तरह ही बढ़ता गया तो हालात और भी मुश्किल हो जाएंगे. कई लोग बेरोजगार हो जाएंगे.
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व्यापार एसोसिएशन की ओर से दुकानदारों को बार-बार मास्क लगाने के लिए कहा जाता है. व्यापारी पहले ही आर्थिक संकट से जूझ रहा है, ऐसे में बाहर से आने वाले जायरीन और तीर्थयात्री यदि मास्क नहीं लगाते हैं, तो उसका खामियाजा भी दुकानदार को भुगतना होता है. प्रशासन 72 घंटे के लिए दुकाने सीज कर रहा है. लॉकडाउन के फिर से हालात बने तो पहले से भी बदतर हालात होंगे. इसलिए व्यापार एसोसिएशन लोगों से मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग रखने की अपील कर रहा है, ताकि लॉकडाउन के हालात ना बने. कोरोना की दूसरी लहराने से व्यापारी चिंतित है.
व्यापारियों की अपनी चिंता और पीड़ा है. वहीं कोरोना से निपटने के लिए प्रशासन भी अब सख्त हो गया है. प्रशासन ने अजमेर शहर को 9 जोन में विभक्त कर उनमें इंसीडेंट कमांडर लगाए गए हैं. इनके नीचे एंटी कोविड-19 टीम गठित की गई है. कोरोना गाइडलाइन की पालना नहीं करने वाले लोगों के खिलाफ यह टीमें कार्रवाई कर रही है. पुलिस, प्रशासन, नगर निगम, रसद विभाग, तहसील सहित कई विभागों को कोरोना गाइडलाइन की पालना करवाने के लिए निर्देशित किया गया है. कोरोना गाइडलाइन सबके लिए बराबर है.
एडीएम सिटी और कोरोना बचाव समिति के प्रभारी गजेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि नई गाइडलाइन के अनुसार प्रशासन ने कोरोना के लिए ना केवल रणनीति बनाई है, बल्कि उसकी पालना भी की जा रही है. राठौड़ ने बताया कि अभी तक 52 दुकानों को सीज किया जा चुका है. वहीं कोरोना गाइडलाइन की पालना नहीं करने वाले लोगों के चालान भी काटे जा रहे हैं. राठौड़ ने कहा कि कोरोना से बचाव के लिए लोगों को जागरूक रहना ज्यादा जरूरी है, कोरोना जात पात नहीं देखता है.
अजमेर में कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं. तीन दिन से हर रोज 100 से अधिक कोरोना पॉजीटिव मरीज सामने आ रहे है. खास बात यह कि कोरोना की जांच करवाने से लोग कतराते है. खासकर दरगाह क्षेत्र में यह स्थिति बनी हुई है और यदि कोई जांच करवा भी लेता है तो अपना मोबाइल नम्बर गलत देता है, जिससे कांटेक्ट हिस्ट्री निकालना जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को मुश्किल हो रहा है. कोरोना से हालात विकट होते जा रहे हैं. यह अब लोगों को ही समझना होगा कि वह अपने जिले को सामान्य रखना चाहते हैं या लॉक डाउन की ओर धकेलना चाहते हैं.