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स्वाइन फ्लू के इलाज में न हो देरी... समय पर इलाज ही है बचाव

अजमेर जिले में ईटीवी भारत की स्वाइन फ्लू को लेकर जारी मुहिम के अंतर्गत उप स्वास्थ्य केंद्र और जिले के अस्पतालों पर लोगों से स्वाइन फ्लू के इलाज से संबंधित उनकी राय पूछी गई. लोगों ने बताया कि मरीज को सही समय पर इलाज मिल जाए तो स्वाइन फ्लू से उसे बचाया जा सकता है.

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Published : Aug 9, 2019, 9:54 AM IST

Updated : Aug 9, 2019, 2:39 PM IST

स्वाइन फ्लू के इलाज में ना हो देरी... समय पर इलाज ही है बचाव

अजमेर. जिले में ईटीवी भारत की स्वाइन फ्लू को लेकर जारी मुहिम के अंतर्गत उप स्वास्थ्य केंद्र और जिले के अस्पतालों पर लोगों से स्वाइन फ्लू के इलाज से संबंधित उनकी राय पूछी गई. लोगों ने बताया कि मरीज को सही समय पर इलाज मिल जाए तो स्वाइन फ्लू से उसे बचाया जा सकता है ,लेकिन इसके लिए आवश्यक है कि स्वाइन फ्लू की जांच उपखंड स्तर के अस्पतालों तक हो ताकि मर्ज पकड़ में आते ही इसका इलाज भी संभव हो सके.

स्वाइन फ्लू के इलाज में ना हो देरी... समय पर इलाज ही है बचाव


बता दें कि स्वाइन फ्लू का इलाज है बशर्ते सही समय पर मरीज को सही इलाज मिल जाए. इसके लिए मरीज और उसके परिजन को सजग रहने की जरूरत है, वहीं इलाज के लिए तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना आवश्यक है.

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ईटीवी भारत की स्वाइन फ्लू को लेकर जारी मुहिम में शुक्रवार को आमजन से बात की गई कि उप स्वास्थ्य केंद्र उपखंड और जिला स्तर के अस्पतालों में स्वाइन फ्लू के इलाज को लेकर उनकी क्या राय है. स्थानीय पीके श्रीवास्तव ने बताया कि स्वाइन फ्लू के प्रति लोगों में दहशत कायम है. मरीज अपनी मूल बीमारी को भूलकर स्वाइन फ्लू से तनाव में आ जाता है, जिससे उसकी हालत और गंभीर हो जाती है. मरीज की गंभीर हालत तक पहुंचने का कारण भी इलाज में होने वाली देरी है. उन्होंने बताया कि यदि उप स्वास्थ्य केंद्र पर मरीज को सही समय पर सही इलाज मिल जाए तो स्वाइन फ्लू से मृत्यु का बढ़ता आंकड़ा बहुत हद तक कम हो सकता है.

पढ़ें - नेताजी चाहते हैं महंगाई सूचकांक की तरह ही उनके वेतन-भत्ते भी बढ़ते रहें
स्थानीय कांति शर्मा ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों के उप स्वास्थ्य केंद्र में यदि कोई मरीज सर्दी, खांसी, जुकाम, और बुखार की शिकायत लेकर जाता है तो उसका इलाज भी उसी तरीके से किया जाता है. 4 दिन बाद यदि उसे आराम नहीं मिलता तो उसकी जांच की जाती है और सैंपल जिला मुख्यालय पर स्थित मेडिकल कॉलेज भेजे जाते हैं. सैंपल रिपोर्ट के बाद मरीज का इलाज शुरू होता है, तब तक उसकी हालत और बिगड़ जाती है. इसके बाद उसे उपखंड स्तर के अस्पताल में रेफर किया जाता है. बीमारी पर काबू नहीं हो पाने की स्थिति में मरीज को जिला स्तर के अस्पताल में भेजा जाता है, तब तक 8-10 दिन का समय बीत जाता है. ऐसी स्थिति में मरीज की हालत और ज्यादा गंभीर हो जाती है. यदि उपखंड स्तर पर ही मरीज की जांच हो जाए और रिपोर्ट सामने आ जाए तो जिला स्तर तक पहुंचने की जो लंबी प्रक्रिया है उससे बचा जा सकता है और समय पर इलाज मरीज को मिलने से उसकी जान भी बचाई जा सकती है.

पढ़ें - कांग्रेस नेता रामेश्वर डूडी अब नागौर जिला क्रिकेट संघ के अध्यक्ष बने, खेल क्षेत्र में नई पारी का आगाज​​​​​​​
स्थानीय प्रताप यादव का कहना है कि उपखंड स्तर पर जांच और रिपोर्ट यदि मरीजों की मिल जाए तो चिकित्सक भी समय पर मरीज का इलाज कर सकते हैं. वहीं स्थानीय ग्रामीण अरविंद कुमार मीणा ने बताया कि स्वाइन फ्लू के इलाज की लंबी प्रक्रिया है, यदि इस प्रक्रिया को कम किया जाए तो समय पर मरीज को इलाज मिल सकता है.

पढ़ें - अजमेर : स्वाइन फ्लू को लेकर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने पूरी की तैयारियां​​​​​​​
स्थानीय लता राठी का भी यही कहना है कि स्वाइन फ्लू के लक्षण प्रतीत होने से लेकर जांच रिपोर्ट आने तक, मरीज के उप स्वास्थ्य केंद्र से उपखंड और उपखंड से जिला अस्पताल तक पहुंचने की प्रक्रिया काफी लंबी हो जाती है, जिस पर मरीज की जान पर बन आती है. यदि इस प्रक्रिया को कम करके उपखंड स्तर के अस्पतालों में ही रिपोर्ट मिल जाए तो मरीज का समय पर इलाज शुरू हो सकता है.

अजमेर. जिले में ईटीवी भारत की स्वाइन फ्लू को लेकर जारी मुहिम के अंतर्गत उप स्वास्थ्य केंद्र और जिले के अस्पतालों पर लोगों से स्वाइन फ्लू के इलाज से संबंधित उनकी राय पूछी गई. लोगों ने बताया कि मरीज को सही समय पर इलाज मिल जाए तो स्वाइन फ्लू से उसे बचाया जा सकता है ,लेकिन इसके लिए आवश्यक है कि स्वाइन फ्लू की जांच उपखंड स्तर के अस्पतालों तक हो ताकि मर्ज पकड़ में आते ही इसका इलाज भी संभव हो सके.

स्वाइन फ्लू के इलाज में ना हो देरी... समय पर इलाज ही है बचाव


बता दें कि स्वाइन फ्लू का इलाज है बशर्ते सही समय पर मरीज को सही इलाज मिल जाए. इसके लिए मरीज और उसके परिजन को सजग रहने की जरूरत है, वहीं इलाज के लिए तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना आवश्यक है.

पढ़ें - दौसा में ट्रेन की चपेट में आने से दो युवतियों की मौत

ईटीवी भारत की स्वाइन फ्लू को लेकर जारी मुहिम में शुक्रवार को आमजन से बात की गई कि उप स्वास्थ्य केंद्र उपखंड और जिला स्तर के अस्पतालों में स्वाइन फ्लू के इलाज को लेकर उनकी क्या राय है. स्थानीय पीके श्रीवास्तव ने बताया कि स्वाइन फ्लू के प्रति लोगों में दहशत कायम है. मरीज अपनी मूल बीमारी को भूलकर स्वाइन फ्लू से तनाव में आ जाता है, जिससे उसकी हालत और गंभीर हो जाती है. मरीज की गंभीर हालत तक पहुंचने का कारण भी इलाज में होने वाली देरी है. उन्होंने बताया कि यदि उप स्वास्थ्य केंद्र पर मरीज को सही समय पर सही इलाज मिल जाए तो स्वाइन फ्लू से मृत्यु का बढ़ता आंकड़ा बहुत हद तक कम हो सकता है.

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स्थानीय कांति शर्मा ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों के उप स्वास्थ्य केंद्र में यदि कोई मरीज सर्दी, खांसी, जुकाम, और बुखार की शिकायत लेकर जाता है तो उसका इलाज भी उसी तरीके से किया जाता है. 4 दिन बाद यदि उसे आराम नहीं मिलता तो उसकी जांच की जाती है और सैंपल जिला मुख्यालय पर स्थित मेडिकल कॉलेज भेजे जाते हैं. सैंपल रिपोर्ट के बाद मरीज का इलाज शुरू होता है, तब तक उसकी हालत और बिगड़ जाती है. इसके बाद उसे उपखंड स्तर के अस्पताल में रेफर किया जाता है. बीमारी पर काबू नहीं हो पाने की स्थिति में मरीज को जिला स्तर के अस्पताल में भेजा जाता है, तब तक 8-10 दिन का समय बीत जाता है. ऐसी स्थिति में मरीज की हालत और ज्यादा गंभीर हो जाती है. यदि उपखंड स्तर पर ही मरीज की जांच हो जाए और रिपोर्ट सामने आ जाए तो जिला स्तर तक पहुंचने की जो लंबी प्रक्रिया है उससे बचा जा सकता है और समय पर इलाज मरीज को मिलने से उसकी जान भी बचाई जा सकती है.

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स्थानीय प्रताप यादव का कहना है कि उपखंड स्तर पर जांच और रिपोर्ट यदि मरीजों की मिल जाए तो चिकित्सक भी समय पर मरीज का इलाज कर सकते हैं. वहीं स्थानीय ग्रामीण अरविंद कुमार मीणा ने बताया कि स्वाइन फ्लू के इलाज की लंबी प्रक्रिया है, यदि इस प्रक्रिया को कम किया जाए तो समय पर मरीज को इलाज मिल सकता है.

पढ़ें - अजमेर : स्वाइन फ्लू को लेकर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने पूरी की तैयारियां​​​​​​​
स्थानीय लता राठी का भी यही कहना है कि स्वाइन फ्लू के लक्षण प्रतीत होने से लेकर जांच रिपोर्ट आने तक, मरीज के उप स्वास्थ्य केंद्र से उपखंड और उपखंड से जिला अस्पताल तक पहुंचने की प्रक्रिया काफी लंबी हो जाती है, जिस पर मरीज की जान पर बन आती है. यदि इस प्रक्रिया को कम करके उपखंड स्तर के अस्पतालों में ही रिपोर्ट मिल जाए तो मरीज का समय पर इलाज शुरू हो सकता है.

Intro:अजमेर। अजमेर में ईटीवी भारत जारी मुहिम के अंतर्गत हमने आमजन से स्वाइन फ्लू के इलाज को लेकर उप स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिले के अस्पतालों पर लोगों से राय जानी लोगों की राय में एक बात समान लगी है कि मरीज को सही समय पर इलाज मिल जाए तो स्वाइन फ्लू से मरीज को बचाया जा सकता है इसके लिए आवश्यक है कि स्वाइन फ्लू की जांच उपखंड स्तर के अस्पतालों तक हो ताकि मर्ज पकड़ में आते ही इसका इलाज भी संभव हो सके।

स्वाइन फ्लू का इलाज है बशर्ते सही समय पर मरीज को सही इलाज मिल जाए इसके लिए मरीज और उसके परिजन को सजग रहने की जरूरत है वही इलाज के लिए तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना आवश्यक है ईटीवी भारत की स्वाइन फ्लू को लेकर जारी मुहिम में आज हमने आमजन से जानने की कोशिश की है कि उप स्वास्थ्य केंद्र उपखंड और जिला स्तर के अस्पतालों में स्वाइन फ्लू के इलाज को लेकर उनकी क्या राय है।

स्थानीय पीके श्रीवास्तव ने बताया कि स्वाइन फ्लू के प्रति लोगों में दहशत कायम है मरीज अपनी मूल बीमारी को भूलकर स्वाइन फ्लू से तनाव में आ जाता है जिससे उसकी हालत और गंभीर हो जाती है मरीज की गंभीर हालत तक पहुंचने का कारण भी इलाज में होने वाली देरी है श्रीवास्तव ने कहा कि यदि उप स्वास्थ्य केंद्र पर मरीज को सही समय पर सही इलाज मिल जाए तो स्वाइन फ्लू से मृत्यु का बढ़ता आंकड़ा बहुत हद तक कम हो सकता है। स्थानीय कांति शर्मा ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में उप स्वास्थ्य केंद्र में यदि कोई मरीज सर्दी खांसी जुकाम बुखार की शिकायत लेकर जाता है तो उसका इलाज भी उसी तरीके से किया जाता है 4 दिन बाद यदि उसे आराम नहीं मिलता तो उसकी जांच की जाती है और सैंपल जिला मुख्यालय पर स्थित मेडिकल कॉलेज भेजे जाते हैं सैंपल रिपोर्ट के बाद मरीज का इलाज शुरू होता है तब तक उसकी हालत और बिगड़ जाती है इसके बाद उसे उपखंड स्तर के अस्पताल में रेफर किया जाता है यह भी बीमारी पर काबू नहीं हो पाने की स्थिति में मरीज को जिला स्तर के अस्पताल में भेजा जाता है तब तक आठ 10 दिन का समय व्यतीत हो जाता है ऐसी स्थिति में मरीज की हालत और ज्यादा गंभीर हो जाती है यदि उपखंड स्तर पर ही मरीज की जांच हो जाए और रिपोर्ट सामने आ जाए तो जिला स्तर तक पहुंचने की जो लंबी प्रक्रिया है। उसे बचा जा सकता है और समय पर इलाज मरीज को मिलने से उसकी जान भी बचाई जा सकती है। स्थानीय प्रताप यादव का कहना है कि उपखंड स्तर पर जांच और रिपोर्ट यदि मरीजों की मिल जाए तो चिकित्सक भी समय पर मरीज का इलाज कर सकते हैं। स्थानीय ग्रामीण अरविंद कुमार मीणा ने बताया कि स्वाइन फ्लू के इलाज की लंबी प्रक्रिया है यदि इस प्रक्रिया को कम किया जाए तो समय पर मरीज को इलाज मिल सकता है स्थानीय लता राठी का भी यही कहना है कि स्वाइन फ्लू के लक्षण प्रतीत होने से लेकर जांच रिपोर्ट आने तक और मरीज के उप स्वास्थ्य केंद्र से उपखंड और उपखंड से जिला अस्पताल तक पहुंचने की प्रक्रिया काफी लंबी हो जाती है जिस पर मरीज की जान पर बन आती है यदि इस प्रक्रिया को कम करके उपखंड स्तर के अस्पतालों में ही जाजो रिपोर्ट मिल जाए तो मरीज का समय पर इलाज शुरू हो सकता है....
बाईट पीके श्रीवास्तव स्थानीय
बाइट कांति शर्मा स्थानीय
बाइट प्रताप यादव स्थानीय
बाइट अरविंद मीणा स्थानीय ग्रामीण
बाइट लता राठी स्थानीय ग्रामीण


Body:प्रियांक शर्मा अजमेर


Conclusion:
Last Updated : Aug 9, 2019, 2:39 PM IST
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