अजमेर. देश में जनसंख्या बढ़ोतरी को लेकर केंद्र सरकार चिंतित है और जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाने जा रही है. हालांकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत परिवार नियोजन के कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं. जिनमें पुरुष और महिला नसबंदी के जरिए जनसंख्या को नियंत्रण करने के प्रयास जारी है. लेकिन हैरान कर देने वाली बात यह है कि नसबंदी के लिए महिलाओं की अपेक्षा पुरुष की नसबंदी के आंकड़े पिछले एक दशक से लगातार गिरते जा रहे हैं.
बता दें कि सन् 2010 से पहले पुरुष नसबंदी का सालाना आंकड़ा 500 था लेकिन सन् 2011 के बाद पुरुष नसबंदी के आंकड़े में जबरदस्त गिरावट आई है. हालात यह है कि सन 2011 से हर वर्ष औसतन 50 पुरुषों की नसबंदी की जा रही है. ऐसे में जनसंख्या नियंत्रण के लिए हर वर्ष चलाए जा रहे अभियान को पलीता लग रहा है.
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साथ ही पुरुष नसबंदी के घटते आंकड़ों का विश्लेषण करें, तो विभाग की उदासीनता पुरुष प्रधानता और जागरूकता में कमी इसके प्रमुख कारण माने जा रहे हैं. ऐसे में अजमेर जिला पुरुष नसबंदी के मामले में काफी पिछड़ गया है. जबकि एक दशक पहले तक पुरुष नसबंदी में जिले की स्थिति कुछ हद तक ठीक थी.
जिला कलेक्टर विश्व मोहन शर्मा ने नवाचार किया है कि इसके तहत इनाम की घोषणा की गई है. जिनमें प्रथम पुरस्कार 50 पुरुषों को नसबंदी के लिए प्रेरित करने पर प्रेरक को ₹63000 की मोटरसाइकिल देने की घोषणा की गई है. इसके अलावा द्वितीय पुरस्कार तीन प्रेरकों को 35 पुरुषों की नसबंदी करवाने पर तीन टीवीएस एक्सएल बाइक और आठ प्रेरकों को 25 पुरुषों की नसबंदी करवाने के लिए प्रेरणा स्वरुप स्मार्ट एलईडी देने की घोषणा कलेक्टर ने की है.
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अतिरिक्त जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ गजेंद्र सिंह ने बताया कि इस वर्ष अभी तक 46 पुरुष नसबंदी करवा चुके हैं. अगली तिमाही में नवाचार से विभाग 500 का आंकड़ा छूने का प्रयास करेगा. साथ ही हाल ही में नवाचार के तहत जिन पुरुषों की नसबंदी हो गई है, उन्हें अपने जीवन साथी के साथ बुलाकर विभाग ने उन्हें सम्मानित कर प्रशस्ति पत्र भी दिए है. वहीं पुरुषों को विभिन्न ब्लॉक में पुरुष नसबंदी अभियान का ब्रांड एंबेसडर भी बनाया है, ताकि अन्य पुरुष भी उनसे प्रेरित हो सकें.