अजमेर. महान सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में लोगों की दिली मुराद पूरी होती है और उन्हें यहां आकर सुकून मिलता है. विश्व विख्यात ख्वाजा गरीब नवाज का 808 वां सालाना उर्स जारी है. उर्स के मुबारक मौके पर दरगाह में स्थित हर इमारत को जगमगाती रोशनी से सजाया गया है. दरगाह में रात को जगमगाती रोशनी और रूहानी फ़ैज़ का नजारा अकीदतमंदों को जन्नत से कम नहीं लग रहा है.
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हर इमारत जगमगाती रोशनी से नहाई
ईटीवी भारत ने अपने दर्शकों के लिए ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में उर्स के मुबारक मौके पर की गई रोशनी की सजावट को पहुंचाया है. रात को दरगाह में स्थित हर इमारत जगमगाती रोशनी से नहाई हुई प्रतीत होती है. दरगाह में सबसे ऊंची इमारत बुलंद दरवाजे से यह तस्वीरें ली गई है. गुबंद शरीफ, शाहजानी मजीद, महफिल खाना, लंगर खाना, संदली मस्जिद, अकबरी मस्जिद, बुलंद दरवाजा, निजाम गेट सहित छोटी बड़ी इमारतें शामिल हैं.
अकीदत में डूबा हुआ सा नजर आता हर कोई शख्स
दरगाह में रात के वक्त कव्वालियां और दरगाह दीवान की सदारत में महफिल होती है. देर रात तक अकीदतमंद दरगाह में इबादत के लिए रुककर रूहानी फेज पा रहे है. दरगाह में रात का नजारा अकीदतमंदों को ना केवल दिली सुकून दे रहा है, बल्कि उन्हें आकर्षित भी कर रहा है. हर कोई शख्स यहां अकीदत में डूबा हुआ सा नजर आता है. अकीदतमंदों को यकीन है कि ख्वाजा के नूर से उनकी मुरादें पूरी होगी. यही वजह है कि रात के वक्त के इस खूबसूरत नजारें में अपनी अकीदत का नजराना पेश करने से कोई नहीं चूकता.
दरगाह में जगमगाती रोशनी दे रही आंखों को सुकून
दरगाह के खादिम सैयद इमरान चिश्ती ने बताया कि दरगाह में जगमगाती रोशनी आंखों को सुकून देती है और ख्वाजा साहब का नूर से फेज पाकर जिंदगी संवर जाती है. उन्होंने कहा कि इरादे रोज बनते है और टूट जाते है, अजमेर वहीं आते है जिन्हें ख्वाजा बुलाते है. उर्स के मौके पर दरगाह में आने वाले जायरीन को रूहानी फेज हासिल होना यह ख्वाजा गरीब नवाज का करम है.
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हर जायरीन का अपना अलग अनुभव
दरगाह में रात को रूहानी फेज लूट रहे हर जायरीन का अपना अलग अनुभव है. लेकिन सभी का मकसद ख्वाजा गरीब नवाज की निगाहें करम हासिल करना है. जायरीन बताते है रात के वक्त ख्वाजा के दरबार किसी जन्नत से कम नहीं है. दरगाह में रूहानियत हमेशा रहती है, चौखट पर आते ही जायरीन यह खुद महसूस कर लेता हैं. ख्वाजा के नूर की बारिश में भीगने की तलब हर जायरीन को यहां दरगाह ले आई है. यहीं वजह है कि दूर दराज से आए जायरीन रात को दरगाह में सुकून से इबादत कर अपने बिगड़े मुकद्दर को संवार रहे हैं.