अजमेर. देश में फैले कोरोना वायरस ने छोटे-बड़े सभी व्यापारियों के व्यापार पर गहरी चोट मारी है. जिसके कारण कई व्यापारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. कुछ ऐसा ही नजारा अजमेर के बैग व्यापारियों के साथ भी देखने को मिल रहा है.
अनलॉक-1 होने के बाद भी नहीं बिक रहे स्कूल बैग...
वैश्विक कोरोना महामारी के चलते लगाए गए लॉकडाउन ने अजमेर के बैग निर्माण उद्योग की कमर तोड़कर रख दी है. हालात ये हैं कि अनलॉक-1 के बावजूद बैग निर्माण कार्य से जुड़े लोगों को राहत नहीं है. दरअसल, स्कूल नहीं खुलने से बैग की बिक्री नहीं हो रही है. वहीं, लॉकडाउन की वजह से अजमेर में ना जायरीन आ रहे हैं और ना ही लोग सफर में कोई रुचि दिखा रहे है. यही वजह है कि ट्रैवलिंग बैग भी कोई नहीं खरीद रहा. इस कारण बैग निर्माण करने वाले आर्थिक संकट से जूझने को मजबूर हो रहे हैं. वहीं, लेबरों को भी काम नहीं मिलने से उनकी हालत भी काफी खराब है.
स्कूल और ट्रैवलिंग बैग व्यापारियों पर भी कोरोना की मार...
वैश्विक कोरोना महामारी ने इंसान के स्वास्थ पर ही नहीं, बल्कि उसके रोजगार पर भी अटैक किया है. खासकर छोटे-छोटे व्यवसाय की कमर तोड़कर रख दी है. इनमें स्कूल और ट्रैवलिंग बैग बनाने वाले छोटे व्यवसायी भी शामिल हैं, जो इन विकट परिस्थितयों में आर्थिक संकट का दंश झेल रहे हैं.
लॉकडाउन से पहले ही तैयार हो गया था माल...
बता दें कि अजमेर में करीब 50 परिवार बैग निर्माण के कारोबार से जुड़ा है. वहीं, इनके साथ करीब 150 से ज्यादा लेबर भी जुड़े हैं. लॉकडाउन ने पूरे व्यवसाय को अस्त-व्यस्त कर दिया है. साल भर बैग निर्माण करने वाले इन छोटे व्यापारियों को स्कूल खुलने का इंतजार रहता है. लॉकडाउन से पहले स्कूल बैग का काफी स्टॉक तैयार हो चुका था. वहीं, लॉकडाउन में काम ठप्प होने से व्यापार बंद ही हो गया है. वर्तमान में हालात ये है कि अनलॉक-1 में बैग निर्माण से जुड़े छोटे कारोबारियों ने बिना लेबर के बैग निर्माण शुरू कर दिया, लेकिन बिक्री नहीं होने से उन्हें निराशा ही हाथ लग रही है.
साल भर की मेहनत स्कूल बैग की बिक्री से होती है वसूल...
बैग निर्माण व्यवसाय से जुड़े आकाश खत्री ने बताया कि स्कूल खुलने से उनके व्यापार में काफी रंगत आ जाती है. सालभर की मेहनत स्कूल बैग की बिक्री से वसूल हो जाती है, लेकिन लॉकडाउन की मार और स्कूल नहीं खुलने से उनके हाथ खाली है.
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व्यापारियों के पास पड़ा माल...
अजमेर में बैग निर्माण व्यवसाय बेहद ही बुरे दौर से गुजर रहा है. व्यापारियों के पास माल पड़ा है, लेकिन बिक नहीं रहा. नया माल बनाने के लिए रकम नहीं है तो कच्चा माल कहा से खरीदे. दुकानदारों को बेचे गए माल का भुगतान भी नहीं हो रहा है.
व्यापारी को हुआ काफी नुकसान...
बैग निर्माण कारोबारी तुलसीराम खत्री बताते है कि लेबरों को देने के लिए उनके पास ना तो काम हैं और ना ही पैसा. उन्होंने बताया कि उन्हें ढाई लाख का नुकसान हुआ है. इस काम से जुड़े अन्य लोगों को भी इसी तरह ही काफी नुकसान हुआ है. खत्री ने बताया कि स्कूल खुलने पर ही कुछ उम्मीद है. बैग निर्माण कारोबारी स्कूल खुलने की राह देख रहे है. ताकि उनके व्यापार को कुछ गति मिल सके. वहीं, स्कूल बैग की बिक्री उन्हें आर्थिक सम्बल दे सके और दम तोड़ रहे व्यापार को ऑक्सीजन मिल सके.