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अजमेर: JLN अस्पताल का हाल बेहाल, अपनों की सांसें बचाने के लिए परिजन खींच रहे ऑक्सीजन सिलेंडर की ट्रॉली - Rajasthan News

अजमेर के जेएलएन अस्पताल का हाल बेहाल है. हालात यह है कि जिन मरीजों के साथ परिजन हैं वे खुद मशक्कत कर मरीज तक ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचा रहे हैं. लेकिन जिन मरीजों के साथ कोई परिजन नहीं है उनका भगवान ही मालिक है.

JLN Hospital of Ajmer,  Rajasthan News
JLN अस्पताल का हाल बेहाल
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Published : Apr 24, 2021, 8:17 PM IST

अजमेर. संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल पर लगातार कोरोना मरीजों का दबाव बढ़ता जा रहा है. अस्पताल में बेड खाली होने की सूचना पर कई जिलों से मरीज इलाज के लिए भर्ती हुए हैं. बता दें अभी 499 मरीज अस्पताल में भर्ती हैं, जबकि अस्पताल में बेड 1028 है. अस्पताल में अव्यवस्थाओं को आलम है. अपनों की सांसें बचाने के लिए परिजन खुद ही गैस सिलेंडर की ट्रॉली खींच रहे हैं.

JLN अस्पताल का हाल बेहाल

पढ़ें- राजस्थान में Corona बेकाबू: रिकॉर्ड 74 मरीजों की मौत...15,355 नए मामले आए सामने

जेएलएन अस्पताल में ऐसे हालात हैं कि जिन मरीजों के साथ परिजन है उस मरीज की सांस बचाने के लिए परिजन खुद ऑक्सीजन गैस सिलेंडर पहुंचाने में मशक्कत कर रहे हैं. लेकिन, जिन मरीजों के साथ कोई परिजन नहीं है उनका भगवान ही मालिक है. इतना ही नहीं अस्पताल में कोरोना के उन गंभीर मरीजों को ही भर्ती किया जा रहा है, जिन्हें सांस लेने में तकलीफ है.

वहीं, अस्पताल में भर्ती करने में ही कई घंटों लग रहे हैं. उखड़ी हुई सांस लेने वाले मरीजों को वार्ड तक जाना मुश्किल हो रहा है. उन्हें ट्रॉली से वार्ड तक छोड़ने की कोई व्यवस्था नहीं है. ट्रॉली बॉय के अभाव में मरीज को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

क्या कहना है परिजनों का...

बता दें, धोलाभाटा निवासी मुन्नी शर्मा अपने पति ललित शर्मा को अस्पताल में इलाज के लिए लेकर आई क्योंकि वह ठीक से सांस नही ले पा रहे हैं. मुन्नी शर्मा ने बताया कि 2 घंटे उन्हें अस्पताल में भर्ती की औपचारिकताएं पूरी करने में लग गए. जब दाखिला मिल गया तो वार्ड में पहुचाने के लिए कोई ट्रॉली बॉय नहीं मिला. साथ ही अस्पताल में ट्रॉली भी नहीं मिल रही है.

वहीं, मेड़ता सिटी से संभाग स्तर के अस्पताल में अपनी मां का इलाज करवाने आए राजू ने बताया कि उनकी मां अस्पताल में भर्ती है. उन्हें ऑक्सीजन पर रखा गया है. स्टाफ सिलेंडर में ऑक्सीजन की कमी बताते हैं और उन्हें ऑक्सीजन प्लांट में गैस सिलेंडर लेने आना पड़ता है. गनीमत है कि राजू के साथ दो परिजन और भी हैं जो ऑक्सीजन सिलेंडर को ट्रॉली में रखकर खींच लेते हैं.

पढ़ें- राजस्थान में कोरोना से लड़ने के लिए चिकित्सा विभाग के पास पर्याप्त संसाधन: मंत्री रघु शर्मा

गौरतलब है कि अस्पताल में ट्रॉली और वार्ड बॉय के लिए प्रशासन ने जल्द व्यवस्था किए जाने का दावा किया था. लेकिन प्रशासन के ये दावे मरीजों और परिजनों की परेशानियों को देखते हुए खोखले साबित हो रहे हैं.

अजमेर. संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल पर लगातार कोरोना मरीजों का दबाव बढ़ता जा रहा है. अस्पताल में बेड खाली होने की सूचना पर कई जिलों से मरीज इलाज के लिए भर्ती हुए हैं. बता दें अभी 499 मरीज अस्पताल में भर्ती हैं, जबकि अस्पताल में बेड 1028 है. अस्पताल में अव्यवस्थाओं को आलम है. अपनों की सांसें बचाने के लिए परिजन खुद ही गैस सिलेंडर की ट्रॉली खींच रहे हैं.

JLN अस्पताल का हाल बेहाल

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जेएलएन अस्पताल में ऐसे हालात हैं कि जिन मरीजों के साथ परिजन है उस मरीज की सांस बचाने के लिए परिजन खुद ऑक्सीजन गैस सिलेंडर पहुंचाने में मशक्कत कर रहे हैं. लेकिन, जिन मरीजों के साथ कोई परिजन नहीं है उनका भगवान ही मालिक है. इतना ही नहीं अस्पताल में कोरोना के उन गंभीर मरीजों को ही भर्ती किया जा रहा है, जिन्हें सांस लेने में तकलीफ है.

वहीं, अस्पताल में भर्ती करने में ही कई घंटों लग रहे हैं. उखड़ी हुई सांस लेने वाले मरीजों को वार्ड तक जाना मुश्किल हो रहा है. उन्हें ट्रॉली से वार्ड तक छोड़ने की कोई व्यवस्था नहीं है. ट्रॉली बॉय के अभाव में मरीज को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

क्या कहना है परिजनों का...

बता दें, धोलाभाटा निवासी मुन्नी शर्मा अपने पति ललित शर्मा को अस्पताल में इलाज के लिए लेकर आई क्योंकि वह ठीक से सांस नही ले पा रहे हैं. मुन्नी शर्मा ने बताया कि 2 घंटे उन्हें अस्पताल में भर्ती की औपचारिकताएं पूरी करने में लग गए. जब दाखिला मिल गया तो वार्ड में पहुचाने के लिए कोई ट्रॉली बॉय नहीं मिला. साथ ही अस्पताल में ट्रॉली भी नहीं मिल रही है.

वहीं, मेड़ता सिटी से संभाग स्तर के अस्पताल में अपनी मां का इलाज करवाने आए राजू ने बताया कि उनकी मां अस्पताल में भर्ती है. उन्हें ऑक्सीजन पर रखा गया है. स्टाफ सिलेंडर में ऑक्सीजन की कमी बताते हैं और उन्हें ऑक्सीजन प्लांट में गैस सिलेंडर लेने आना पड़ता है. गनीमत है कि राजू के साथ दो परिजन और भी हैं जो ऑक्सीजन सिलेंडर को ट्रॉली में रखकर खींच लेते हैं.

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गौरतलब है कि अस्पताल में ट्रॉली और वार्ड बॉय के लिए प्रशासन ने जल्द व्यवस्था किए जाने का दावा किया था. लेकिन प्रशासन के ये दावे मरीजों और परिजनों की परेशानियों को देखते हुए खोखले साबित हो रहे हैं.

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