अजमेर. मोहर्रम पर देश के अलग-अलग हिस्सों से जायरीनों का अजमेर शरीफ में आना शुरू हो चुका है. इसके चलते कायड़ विश्राम असली और दरगाह क्षेत्र में मिनी उर्स का माहौल सा नजर आने लगा है. ख्वाजा साहब की दरगाह में स्थित बाबा फरीद का चिल्ला भी बुधवार सुबह 4 बजे जियारत के लिए खोल दिया गया.
यह चिल्ला साल में सिर्फ एक बार ही मोहर्रम के वक्त खोला जाता है. ये सिर्फ 72 घंटे के लिए खोला जाता है, जिसकी जियारत के लिए देश-विदेश से जायरीन यहां पहुंचने लगे हैं. इस मौके पर मुस्लिम समुदाय के लोग के अलावा सभी समाजों के लोग बाबा फरीद की जियारत करने के लिए पहुंचते हैं.
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बता दें कि बाबा फरीद की मजार पाकिस्तान स्थित पाक-पठन में मौजूद है. जहां मोहर्रम की 5 तारीख को उर्स बनाया जाता है. उनके उर्स के मौके पर ही अजमेर में चिल्ले को भी जियारत के लिय खोल दिया जाता है. बाबा फरीद गंज-शकर के नाम से भी जाने जाते हैं, जहां उन्होंने ख्वाजा साहब की दरगाह में 40 दिन इस स्थान पर इबादत की थी. उसी जगह को बाबा फरीद का चिल्ला कहा जाता है.
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दरगाह क्षेत्र में हर कोई हजरत इमाम हुसैन की याद में चिश्तिया रंग में डूबा हुआ नजर आने लगा है. क्षेत्र में ढोल - ताशों की गूंज के बीच मर्सियाख्यानी और शहादत का दौर शुरू हो चुका है. जहां चारों तरफ हरे कपड़े पहने अकीदतमंद हजरत इमाम हुसैन की याद में हुए नजर आने लगे हैं.