अजमेर. देश का एकमात्र मंदिर जहां मां दुर्गे अपने नौ स्वरूपों के साथ विद्यमान हैं अजमेर में है. नाम नौसर माता मंदिर है. नाम भी इसलिए पड़ा क्योंकि मां अपने नौ सिर के साथ नाग पहाड़ी के मुख पर विराजमान हैं. मां कई समाज की कुलदेवी हैं. साल में दो बार नवरात्र (navratri celebration 2022) में यहां मेला सा लगता है. कोरोना की वजह से 2 साल तक तो ब्रेक लगा लेकिन अब फिर श्रद्धावान तैयार हैं मां की आराधना को.
पुराण में उल्लेख: मंदिर के बारे में पदम पुराण में उल्लेख है कि पुष्कर में सृष्टि यज्ञ की रक्षा के लिए जगत पिता ब्रह्मा ने नवदुर्गा का आह्वान किया था. दानवों से यज्ञ की रक्षा के लिए माता अपने नौ रूपों में नाग पहाड़ी के मुख पर प्रकट हुई थीं. नवदुर्गा नौसर माता मंदिर (Ajmer Mata Nausar mandir) के पीठाधिश्वर स्वामी राम कृष्ण बताते है कि माता एक शरीर में 9 मुख धारण किए हुए हैं. ऐसा अद्भुत मंदिर देश में और कहीं नहीं है, जो यकीनन अद्भुत और अकल्पनीय है. '
ब्रह्मा की नगरी पुष्कर की रक्षा करती हैं माता: मां जगजननी यूं ही नहीं विराजी हैं यहां बल्कि एक ध्येय है उनका. उनकी उपस्थिति से ब्रह्म नगरी की रक्षा होती है. ऐसा ही कुछ पीठाधिश्वर स्वामी राम कृष्ण बताते हैं. कहते हैं कि धार्मिक शास्त्रों में मंदिर का उल्लेख है. जगत पिता ब्रह्मा ने जब सृष्टि यज्ञ किया तो उससे ठीक पहले नकारात्मक शक्तियों से यज्ञ की रक्षा के लिए नवदुर्गा की आराधना की. यानी माता का यहां प्रादुर्भाव सृष्टि यज्ञ के समय से जुड़ा हुआ अपने भक्तों की रक्षार्थ मां यहां मौजूद हैं.
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औरंगजेब भी कुछ नहीं कर पाया: किंवदंती है कि मुगल काल में औरंगजेब ने जब हिंदू मंदिरों को ध्वस्त किया था तब माता के इस मंदिर को भी नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया था. मंदिर को औरंगजेब की सेना ने तोड़ दिया, लेकिन माता के नौ स्वरूप वाले प्रतिमाओं को वह नुकसान नहीं पहुंचा पाए, उसके बाद मराठा काल में मंदिर की पुनः स्थापना की गई. लंबे समय से रखरखाव के अभाव में मंदिर जीर्ण शीर्ण होता गया. उसके बाद 130 साल बाद पूर्व संत बुध करण महाराज ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया.
उजड़ के संवरने की कहानी: खास बात यह है कि पहाड़ी के आसपास कोई जलाशय नहीं था. ऐसे में संत बुध करण के लिए मंदिर का जीर्णोद्धार करवाना आसान नहीं था. तब माता ने उन्हें स्वप्न में दर्शन दिए और कहा कि मंदिर के नीचे विशाल पत्थर है जिसे हटाने पर पर्याप्त जल मिलेगा. ऐसा ही हुआ वो कुंड आज भी मौजूद है. कहते हैं कि उस कुंड में कभी पानी सूखता नहीं है.
2 साल बाद धार्मिक अनुष्ठान: पीठाधिश्वर स्वामी राम कृष्ण ने बताया कि चैत्र नवरात्रि में सुबह शाम माता की विशेष पूजा अर्चना और श्रृंगार होगा. मंदिर प्रांगण में सप्तशती के पाठ होंगे. वहीं दोपहर 12 बजे महाआरती का आयोजन होगा. उन्होंने बताया कि नवरात्रि पर्व पर देश के विभिन्न राज्यों में रह रहे गुर्जर, माहेश्वरी सहित कई समाज के लोग दर्शनों के लिए आते हैं.