अजमेर. बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं का आरोप है कि राजस्थान में दलितों पर अत्याचार के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. थानों में दलित वर्ग के व्यक्ति की सुनवाई नहीं होती. गवाह दबाव में मुकर जाते हैं और मामले को झूठा साबित कर दिया जाता है.
प्रदेश में दलितों पर हो रहे अत्याचार के बढ़ते मामलों पर अंकुश लगाने की मांग बहुजन समाज पार्टी ने ज्ञापन के माध्यम से राष्ट्रपति से की है. पार्टी के जिला अध्यक्ष ओमप्रकाश बौद्ध ने कहा, 2 अप्रैल 2018 को पूरे देश में दलितों का आंदोलन चल रहा था. इस दौरान अजमेर में कई युवाओं के खिलाफ पुलिस ने मुकदमे दर्ज किए थे. सरकार उन मुकदमों को वापस लेकर उन युवाओं को राहत दे.
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पार्टी के उपाध्यक्ष पवन कुमार बेरवा ने बताया, कोरोना काल में कई लोग बेरोजगार हो गए हैं. वहीं उनके बच्चे पूरे साल से स्कूल नहीं गए. बावजूद इसके बच्चों को स्कूल की परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जा रही है. अभिभावकों पर पूरी फीस जमा कराने का दबाव बनाया जा रहा है. अभिभावक आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. कोर्ट के आदेश के मुताबिक स्कूल प्रशासन फीस नहीं जमा करवाने पर अभिभावकों स्कूल से नाम काटने स्कूल एग्जाम से वंचित करने एवं बच्चों का 1 साल बर्बाद होने की धमकियां दे रहे हैं. पार्टी कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि स्कूल प्रशासन की ओर से ली जा रही फीस में 50 प्रतिशत कटौती की जाए.
नेता जी सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क भूले
कहते हैं नेताजी की कथनी और करनी में अंतर होता है. यही सब देखने को मिला अजमेर के अंबेडकर सर्किल पर. दरअसल, कांग्रेस के पूर्व विधायक डॉक्टर राजकुमार जयपाल का जन्मदिन मनाने के लिए कांग्रेस से जुड़े कई लोग और अन्य यहां एकत्रित हुए. यहां पर भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माला पहनाकर जयपाल के जन्मदिन का कार्यक्रम शुरू किया गया, जिसमें जयपाल को माला और साफा पहनाकर इसके बाद तलवार से केक भी काटा गया.
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इन सब के बावजूद भी डॉक्टर जयपाल ने मीडिया से कहा, दो साल पहले एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ उठाई गई. आवाज पर पुलिस द्वारा बर्बरता करने को लेकर वह जन्मदिन को काला दिवस मना रहे हैं. उन्होंने कहा कि पुलिस के खिलाफ उन्होंने न्यायालय में भी मामला दर्ज करवाया था, जो विचाराधीन है.
डॉ. जयपाल ने अपना जन्मदिन मनाने के दौरान अपनी ही पार्टी की सरकार द्वारा निर्धारित की गई गाइडलाइन की भी धज्जियां उड़ा दी. अंबेडकर सर्किल पर डॉ. जयपाल का जन्मदिन मनाते समय अधिकांश लोगों के चेहरे से मास्क गायब था और यहां सोशल डिस्टेंसिंग भी कहीं नजर नहीं आई. जबकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगातार कोरोना के बढ़ते आंकड़ों को लेकर गाइड लाइन की पालना करने की अपील कर रहे हैं.