अजमेर. पंचायती राज चुनाव के तहत भाजपा ने रविवार को जिला परिषदों की प्रत्याशियों की सूची जारी की. सूची में रावत समाज की उपेक्षा के बाद रावत समाज में धड़े में बंट गई है. जिला परिषद प्रत्याशियों की सूची में रावत समाज से दो नेताओं के टिकट कटने के बाद रावत समाज का एक धड़ा खुलकर BJP के विरोध में भी आ चुका है.
भाजपा प्रदेश संगठन ने जिला परिषद सदस्यों के उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है. जिसके साथ ही जिले के राजनीति गरमाने लगी है. पार्टी ने जिन नामों पर मुहर लगाई है. उनमें से कुछ उम्मीदवारों को लेकर राजनीतिक हलके में चर्चा है तो वहीं भाजपा ने रावत वोट बैंक को साधने के लिए वरिष्ठ व पूर्व नेता को मैदान में उतारा है. रावत समाज का एक नेता कांग्रेस खेमे में पहुंचकर भाजपा को चुनौती देने के लिए तैयार हो चुका है.
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रावत समाज में असरदार एडवोकेट राजेंद्र रावत ने जिला परिषद वार्ड नंबर 30 और निवर्तमान पीसांगन प्रधान अशोक सिंह रावत ने जिला परिषद के वार्ड एक से टिकट देने की मांग की थी लेकिन BJP ने दोनों को ही दरकिनार कर एक दिन पहले ही कांग्रेस से बीजेपी में आए पूर्व जिला परिषद सदस्य श्रवण सिंह रावत को वार्ड 30 से टिकट दे दिया. जिसके बाद अब दोनों ही भाजपा से उम्मीदवारी कर रहे प्रत्याशी को दरकिनार करने के बाद उन्होंने भाजपा को खुले में चुनौती दे दी है.
टिकट कटने पर कांग्रेस में शामिल हुए भाजपा नेता
वहीं एडवोकेट राजेंद्र रावत ने भी खुली चुनौती देते हुए भाजपा से बगावत कर डाली है. उन्होंने अपना टिकट कटने के बाद कांग्रेस में शामिल होने का ऐलान भी कर दिया है, जहां रविवार को प्रमोद जैन भाया से उनकी मुलाकात हुई. जिसके बाद उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली है, जहां प्रभारी मंत्री प्रमोद जैन भाया द्वारा वरिष्ठ नेता राजेंद्र रावत को कांग्रेस में शामिल कर लिया है.
मौजूदा विधायक पर लगाया टिकट काटने का आरोप
राजेंद्र रावत ने कहा कि टिकट काटने का श्रेय पूरी तरह से मौजूदा विधायक को जाता है क्योंकि वह नहीं चाहते कि कोई भी रावत समाज का व्यक्ति उनसे आगे निकल कर राजनीतिक क्षेत्र में आगे बढ़े. जिसके चलते श्रवण रावत को वार्ड 30 से टिकट दिया गया है कि मौजूदा विधायक सुरेश रावत के भाई हैं. उन्होंने कहा कि इसका असर उन्हें जल्द ही देखने को मिलेगा. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी को चुनावी समय में इस अनदेखी के भयंकर परिणाम देखने को मिलेंगे.