अजमेर. भारतीय किसान संघ के प्रदेश व्यापी आंदोलन के तहत जुड़े किसानों ने लंबित 21 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदर्शन किया. किसानों का आरोप है कि कोरोना महामारी के दौरान केंद्र और राज्य सरकारों ने कर्मचारियों को घर बैठे पूरा वेतन दिया. लोगों को खाद्य सामाग्री बांटी, लेकिन सरकार यह भूल गई कि लोगों का पेट भरने के लिए वह अन्न किसान ने अपनी मेहनत से उगाया था.
किसानों का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकार ने उन लोगों के लिए कुछ नहीं किया. 2 हजार 200 रुपए समर्थन मूल्य होने के बावजूद किसान 1500-1600 रुपए में किसान मंडियों में गेंहू बेचने को मजबूर हैं. उन्होंने गत खरीफ पिजन से ही लगातार किसान बेमौसम बरसात ओलावृष्टि, टिड्डी हमले और पाला गिरने जैसी प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहे थे. इस दौरान ब्याज मुक्त सहकारी ऋण में कटौती, कम विद्युत उपभोग को आधार मानकर गलत विजिलेंस कार्रवाई, बांधों में पर्याप्त पानी होने के बावजूद सिंचाई के लिए पानी नहीं देने, समर्थन मूल्य पर खरीद औपचारिकता के साथ ही विद्युत विभाग की ओर से विद्युत बिलों में मिलने वाला 833 रुपए मासिक का अनुदान रोककर और विद्युत बिलों में विजिलेंस कार्रवाई शुरू कर दी गई है. इससे किसानों के लिए कोढ़ में खाज वाला काम सरकार ने कर दिया है.
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शर्मा ने बताया कि कोरोना महामारी संकट से जल्द खराब होने वाली सब्जियां,फल, व फूलों की फसलों मैं बड़ा आर्थिक नुकसान हूं उठाना पड़ा है वहीं शेष कृषि जिंसों के भाव में आई भारी गिरावट से किसानों की आर्थिक स्थिति बदतर हो गई है जिससे किसान कृषि विद्युत के बिल जमा करवाने में समर्थ नहीं है। ऐसे में प्रदेश के किसान अनुदान समायोजित हुए बिना पेनल्टी जोड़कर गलत जारी किए गए कृषि विद्युत बिलों के बहिष्कार का निर्णय करने को मजबूर हो गए हैं.
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भारतीय किसान संघ के पदाधिकारी महेंद्र सिंह ने बताया सरकार ने किसानों के साथ अन्याय किया है. उन्होंने कहा कि समर्थन मूल्य पर न गेंहू बिक रहा है और न ही विद्युत बिल माफ किए जा रहे हैं. किसान अपनी लंबित मांगों को लेकर बड़ा आंदोलन करेंगे.