केकड़ी(अजमेर).आंख है तो जहां है, आंख शरीर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. मनुष्य हो या प्राणी आंख से ही वह पूरे संसार को देखता है. लेकिन इस सांसारिक जीवन से सांस टूटने के बाद आप किसी को नेत्र ज्योति देकर किसी की आंखों की रोशन लौटा दे तो यह किसी फरिस्ते से कम नहीं है. इसी बात को सार्थक किया केकड़ी के स्वर्गीय सागर सिंह कर्णावत ने जिनका स्वर्गवास के बाद मंगलवार को मरणोपरांत नेत्रदान किया गया.
स्व.सागर सिंह कर्णावत की अंतिम इच्छा थी कि उनके मरने के बाद उनकी आंखों से कोई दूसरा व्यक्ति भी इस संसार को देख सके. मंगलवार को कर्णावत के निधन के बाद उनकी अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए परिवार के सदस्यों व बढ़ते कदम संस्थान के लोगों ने अजमेर के जेएलएन हॉस्पिटल में संपर्क किया. जहां पर नेत्रदान करने की सूचना दी गई. सूचना मिलने पर जेएलएन हॉस्पिटल के डॉ.भरत कुमार शर्मा व कुलदीप सिंह केकड़ी पहुंचे और उन्होंने स्वर्गीय सागर सिंह कर्णावत की मरणोपरांत नेत्रदान की इच्छा को पूरा किया.
इस दौरान जेएलएन हॉस्पिटल के डॉ.भरत कुमार शर्मा ने आम लोगों से जुड़ी हुई कई भ्रांतियों को भी दूर किया. उन्होंने कहा कि कई लोगों में ऐसी भ्रांतियां है कि नेत्रदान के दौरान उनकी आंखों को निकाल लिया जाता है. लेकिन ऐसा सच नहीं है, उन्होंने बताया कि 3 से 80 साल की उम्र में नेत्रदान किया जा सकता है.
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इस दौरान सिर्फ मृत शरीर की आंखों से सिर्फ कार्निया निकाला जाता है. जिसे 14 से 18 दिनों के बीच में ट्रांसप्लांट किया जाता है. उन्होंने लोगों से अपील की कि ज्यादा से ज्यादा लोग इस सामाजिक कार्य से जुड़े ताकि जो लोग इस जिंदगी को ठीक से देख नहीं पाए हैं उनको नेत्र ज्योति मिल सके.
स्व.सागर सिंह कर्णावत के मरणोपरांत नेत्रदान के दौरान बढ़ते कदम संस्थान के आनन्दीराम सोमाणी, पार्षद सुरेन्द्र जोशी, रामगोपाल किरोड़ीवाल, महेन्द्र प्रधान, नाथूलाल न्याती, त्रिलोक मेवाड़ा, यज्ञनारायण सिंह सहित कई पदाधिकारी व शहरवासी मौजूद रहें.