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अगर बाइक पर पीछे बैठते हैं तो हो जाएं सावधान...हेलमेट के उपयोग के साथ रखें यह विशेष सावधानियां

अक्सर मोटरसाइकिलों या स्‍कूटरों पर आपने बेधड़क पिलियन राइडर को पीछे वाली सीट पर बैठकर सवारी करते हुए देखा होगा. ऐसे में कभी यह पिलियन राइडर हेलमेट का उपयोग करते है, तो कभी यह महज खानापूर्ति के लिए हेलमेट हाथ में रखकर बिन बुलाएं हादसों को दावत देते है. ऐसे में पिलियन राइडर टिप्स में ईटीवी भारत आपको बताएगा कि किस तरह से पिलियन राइडर को राइड करने से पहले विशेष बातों का ध्यान सावधानी पूर्वक रखना चाहिए. देखिए यह रिपोर्ट....

पिलियन राइडर अपनाएं सावधानियां, Pillion Rider Follow Precautions
पिलियन राइडर अपनाएं सावधानियां
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Published : Dec 19, 2020, 12:39 PM IST

अजमेर. सड़कों पर सरपट दौड़ते हुए वाहनों के बीच दोपहिया वाहन अपनी जगह बना ही लेते हैं. दोपहिया वाहन चलाने में जितनी विशेष सावधानी वाहन चालक को रखनी होती है. उतनी ही सावधानी पीछे बैठे पिलियन राइडर को भी रखनी होती है. दोपहिया हादसों में ज्यादा जोखिम पिलियन राइडर को ही होता है. आंकड़ों की ओर जाएं तो, अजमेर में दोपहिया वाहनों के हादसों में 60 फीसदी मामलों में पिलियन राइडर को अपनी जान गवानी पड़ती है.

पिलियन राइडर अपनाएं सावधानियां

जहां दोपहिया वाहन पर राइड करना अधिकांश लोगों को अच्छा लगता है. ज्यादात्तर लोग दोपहिया वाहनों का उपयोग ऑफिस या अपने कार्य स्थल पर जाने के लिए करते है, वहीं कई लोग दोपहिया वाहन पर पिलियन राइड करते है. वह दोस्त, रिश्तेदार या कोई अपना करीबी भी हो सकता है. ऐसे में पिलियन राइडर टिप्स में ईटीवी भारत आपको बताएगा कि किस तरह से पिलियन राइडर को राइड करने से पहले विशेष बातों का ध्यान सावधानी पूर्वक रखना चाहिए.

पढे़ं- अलवर: रीको ने 200 लोगों को भेजा नोटिस, प्लॉट पर औद्योगिक इकाई नहीं शुरू करने पर भरना होगा जुर्माना

हैलमेट लगाना आवश्यक

यातायात नियमों के अंतर्गत दोपहिया वाहन चालकों को ही नहीं बल्कि पिलियन राइडर को भी हैलमेट लगाना आवश्यक है. महानगरों में पिलियन राइडर के हेलमेट लगाने के नियमों की सख्ती से पालना होती है, लेकिन छोटे शहरों और कस्बों में पिलियन राइडर को हेलमेट लगाने के नियम उतने प्रभावी नहीं है.

बता दें कि कोई भी हादसा होने पर पिलियन राइडर को सबसे ज्यादा जोखिम होता है. दोपहिया वाहन में बैठने से उतारने तक कई बातों का ध्यान रखना पिलीयन राइडर के लिए बहुत जरूरी है. मसलन पैर रखने के पैडल, कपड़ों का विशेष ध्यान और सबसे महत्वपूर्ण हेलमेट लगाना अति आवश्यक है. हादसों की रोकथाम के लिए नियम कायदों की पालना करना जरूरी है.

पिलियन राइडर अपनाएं सावधानियां, Pillion Rider Follow Precautions
पिलियन राइडर हेलमेट का करे उपयोग

पिलियन राइडर के लिए सावधानी ही सुरक्षा

अजमेर यातायात पुलिस उप अधीक्षक मुकुल शर्मा बताते हैं कि दोपहिया वाहनों में दो राइडर्स को अनुमति है. इसे अधिक होने पर वाहन चालक के विरुद्ध चालान की कार्रवाई की जाती है. आवश्यकता पड़ने पर वाहन को सीज भी किया जाता है. उन्होंने बताया कि दोपहिया वाहन चालक वाहन से जुड़ा हुआ होता है, लेकिन पिलियन राइडर के लिए कोई सुरक्षा नहीं होती. हादसा होने पर पिलियन राइडर असंतुलित होकर दूर गिरता है. ऐसे में यदि पिलियन राइडर ने हेलमेट नहीं पहना होता है, तो उसके लिए हादसा प्राण घातक साबित होता है.

दोपहिया वाहन चलाने वालों में सबसे ज्यादा संख्या युवाओं और महिलाओं की है. खासकर टीन एजर्स के लिए हाई स्पीड की बाइक उन्हें बेहद पसंद आती है. शहर में कई टीन एजर्स बाइक का उपयोग जॉय राइड के रूप में करते है. मसलन शहर की सड़कों पर तेज रफ्तार से वाहन चलाते है. वहीं कई युवा बाइक में तेज आवाज करने के लिए उसमे डिवाइस भी लगाते है. जिससे ध्वनि प्रदूषण होता है. साथ ही आसपास के लोग उससे भृमित और चकित होते है. जिससे हादसे के चांस और भी बढ़ जाते है. अजमेर यातायात पुलिस विभाग ऐसे जॉय राइडर्स पर विशेष निगरानी रख रही है. तेज रफ्तार में दोपहिया वाहन चलाना राइडर और पिलियन राइडर दोनों के लिए खतरनाक साबित होता है.

31 स्थान डार्क स्पॉट के रूप में चिन्हित

यातायात पुलिस उपअधीक्षक मुकुल शर्मा बताते हैं कि गैर जिम्मेदाराना तरीके से दोपहिया वाहन चलाने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के साथ ही अदालत से आग्रह किया जाता है कि आरोपी का वाहन तभी छोड़ा जाए, जब उसमें लगे डिवाइस को हटाया जाए. उन्होंने बताया कि हादसे की रोकथाम के लिए शहर में 31 स्थानों को डार्क स्पॉट के रूप में चिन्हित किया है. जहां आवश्यकता अनुरूप कार्य कर हादसों को रोकने का भी प्रयास किया जा रहा है.

पढे़ं- Special : कोरोना से जंग लड़ रहे उद्योग-धंधे...बजट है ना ऑर्डर, बस सरकारी 'संजीवनी' का इंतजार

इधर मोटर व्हीकल एक्ट के जानकार एडवोकेट संदीप धाबाई बताते है कि दोपहिया वाहनों के 60 फीसदी मामलों में सबसे ज्यादा दुष्परिणाम पिलियन राइडर को भुगतने होते है. कई हादसों में तो पिलियन राइडर अपनी जान भी गवा चुके होते है. यातायात नियमों के अनुसार पिलियन राइडर को हेलमेट लगाना आवश्यक है. वहीं लोगों में जागरूकता की भी कमी है. सरकार को नियमों की पालना करवाने के साथ जागरूकता अभियान भी चलना चाहिए.

इधर अजमेरवासियों के प्रतिक्रिया पिलियन राइड को लेकर अलग-अलग है. स्थानीय गोपाल बंजारा मानते हैं कि हादसा होने पर सबसे ज्यादा रिस्क पिलियन राइडर को होता है. उनका कहना है कि जयपुर जैसे शहर में पिलीयन राइडर हेलमेट लगाते हैं. वह नियम अजमेर में भी लागू होने चाहिए. स्थानीय गंगा सिंह गुर्जर बताते हैं कि अजमेर छोटा शहर है, यहां जयपुर की तरह चौड़ी सड़कें नहीं है. यातायात के दबाव के कारण शहरी सीमा में वैसे ही वाहन धीमी गति से चलते हैं.

गुर्जर का कहना है कि हाईवे पर पिलीयन राइडर को हेलमेट लगाना अनिवार्य कर देना चाहिए. शहरी सीमा में फिलहाल यह नियम लागू करना व्यवहारिक तौर पर उचित नहीं है. बड़े शहरों की सड़कों और यातायात की तुलना छोटे शहरों से नहीं की जा सकती है.देखा जाए तो पिलियन राइडर को दोपहिया वाहन की राइड करने के लिए संयम और सावधानी रखना बहुत ही जरूरी है. साथ ही हादसों से बचने के लिए हेलमेट का जरूर से प्रयोग करे.

अजमेर. सड़कों पर सरपट दौड़ते हुए वाहनों के बीच दोपहिया वाहन अपनी जगह बना ही लेते हैं. दोपहिया वाहन चलाने में जितनी विशेष सावधानी वाहन चालक को रखनी होती है. उतनी ही सावधानी पीछे बैठे पिलियन राइडर को भी रखनी होती है. दोपहिया हादसों में ज्यादा जोखिम पिलियन राइडर को ही होता है. आंकड़ों की ओर जाएं तो, अजमेर में दोपहिया वाहनों के हादसों में 60 फीसदी मामलों में पिलियन राइडर को अपनी जान गवानी पड़ती है.

पिलियन राइडर अपनाएं सावधानियां

जहां दोपहिया वाहन पर राइड करना अधिकांश लोगों को अच्छा लगता है. ज्यादात्तर लोग दोपहिया वाहनों का उपयोग ऑफिस या अपने कार्य स्थल पर जाने के लिए करते है, वहीं कई लोग दोपहिया वाहन पर पिलियन राइड करते है. वह दोस्त, रिश्तेदार या कोई अपना करीबी भी हो सकता है. ऐसे में पिलियन राइडर टिप्स में ईटीवी भारत आपको बताएगा कि किस तरह से पिलियन राइडर को राइड करने से पहले विशेष बातों का ध्यान सावधानी पूर्वक रखना चाहिए.

पढे़ं- अलवर: रीको ने 200 लोगों को भेजा नोटिस, प्लॉट पर औद्योगिक इकाई नहीं शुरू करने पर भरना होगा जुर्माना

हैलमेट लगाना आवश्यक

यातायात नियमों के अंतर्गत दोपहिया वाहन चालकों को ही नहीं बल्कि पिलियन राइडर को भी हैलमेट लगाना आवश्यक है. महानगरों में पिलियन राइडर के हेलमेट लगाने के नियमों की सख्ती से पालना होती है, लेकिन छोटे शहरों और कस्बों में पिलियन राइडर को हेलमेट लगाने के नियम उतने प्रभावी नहीं है.

बता दें कि कोई भी हादसा होने पर पिलियन राइडर को सबसे ज्यादा जोखिम होता है. दोपहिया वाहन में बैठने से उतारने तक कई बातों का ध्यान रखना पिलीयन राइडर के लिए बहुत जरूरी है. मसलन पैर रखने के पैडल, कपड़ों का विशेष ध्यान और सबसे महत्वपूर्ण हेलमेट लगाना अति आवश्यक है. हादसों की रोकथाम के लिए नियम कायदों की पालना करना जरूरी है.

पिलियन राइडर अपनाएं सावधानियां, Pillion Rider Follow Precautions
पिलियन राइडर हेलमेट का करे उपयोग

पिलियन राइडर के लिए सावधानी ही सुरक्षा

अजमेर यातायात पुलिस उप अधीक्षक मुकुल शर्मा बताते हैं कि दोपहिया वाहनों में दो राइडर्स को अनुमति है. इसे अधिक होने पर वाहन चालक के विरुद्ध चालान की कार्रवाई की जाती है. आवश्यकता पड़ने पर वाहन को सीज भी किया जाता है. उन्होंने बताया कि दोपहिया वाहन चालक वाहन से जुड़ा हुआ होता है, लेकिन पिलियन राइडर के लिए कोई सुरक्षा नहीं होती. हादसा होने पर पिलियन राइडर असंतुलित होकर दूर गिरता है. ऐसे में यदि पिलियन राइडर ने हेलमेट नहीं पहना होता है, तो उसके लिए हादसा प्राण घातक साबित होता है.

दोपहिया वाहन चलाने वालों में सबसे ज्यादा संख्या युवाओं और महिलाओं की है. खासकर टीन एजर्स के लिए हाई स्पीड की बाइक उन्हें बेहद पसंद आती है. शहर में कई टीन एजर्स बाइक का उपयोग जॉय राइड के रूप में करते है. मसलन शहर की सड़कों पर तेज रफ्तार से वाहन चलाते है. वहीं कई युवा बाइक में तेज आवाज करने के लिए उसमे डिवाइस भी लगाते है. जिससे ध्वनि प्रदूषण होता है. साथ ही आसपास के लोग उससे भृमित और चकित होते है. जिससे हादसे के चांस और भी बढ़ जाते है. अजमेर यातायात पुलिस विभाग ऐसे जॉय राइडर्स पर विशेष निगरानी रख रही है. तेज रफ्तार में दोपहिया वाहन चलाना राइडर और पिलियन राइडर दोनों के लिए खतरनाक साबित होता है.

31 स्थान डार्क स्पॉट के रूप में चिन्हित

यातायात पुलिस उपअधीक्षक मुकुल शर्मा बताते हैं कि गैर जिम्मेदाराना तरीके से दोपहिया वाहन चलाने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के साथ ही अदालत से आग्रह किया जाता है कि आरोपी का वाहन तभी छोड़ा जाए, जब उसमें लगे डिवाइस को हटाया जाए. उन्होंने बताया कि हादसे की रोकथाम के लिए शहर में 31 स्थानों को डार्क स्पॉट के रूप में चिन्हित किया है. जहां आवश्यकता अनुरूप कार्य कर हादसों को रोकने का भी प्रयास किया जा रहा है.

पढे़ं- Special : कोरोना से जंग लड़ रहे उद्योग-धंधे...बजट है ना ऑर्डर, बस सरकारी 'संजीवनी' का इंतजार

इधर मोटर व्हीकल एक्ट के जानकार एडवोकेट संदीप धाबाई बताते है कि दोपहिया वाहनों के 60 फीसदी मामलों में सबसे ज्यादा दुष्परिणाम पिलियन राइडर को भुगतने होते है. कई हादसों में तो पिलियन राइडर अपनी जान भी गवा चुके होते है. यातायात नियमों के अनुसार पिलियन राइडर को हेलमेट लगाना आवश्यक है. वहीं लोगों में जागरूकता की भी कमी है. सरकार को नियमों की पालना करवाने के साथ जागरूकता अभियान भी चलना चाहिए.

इधर अजमेरवासियों के प्रतिक्रिया पिलियन राइड को लेकर अलग-अलग है. स्थानीय गोपाल बंजारा मानते हैं कि हादसा होने पर सबसे ज्यादा रिस्क पिलियन राइडर को होता है. उनका कहना है कि जयपुर जैसे शहर में पिलीयन राइडर हेलमेट लगाते हैं. वह नियम अजमेर में भी लागू होने चाहिए. स्थानीय गंगा सिंह गुर्जर बताते हैं कि अजमेर छोटा शहर है, यहां जयपुर की तरह चौड़ी सड़कें नहीं है. यातायात के दबाव के कारण शहरी सीमा में वैसे ही वाहन धीमी गति से चलते हैं.

गुर्जर का कहना है कि हाईवे पर पिलीयन राइडर को हेलमेट लगाना अनिवार्य कर देना चाहिए. शहरी सीमा में फिलहाल यह नियम लागू करना व्यवहारिक तौर पर उचित नहीं है. बड़े शहरों की सड़कों और यातायात की तुलना छोटे शहरों से नहीं की जा सकती है.देखा जाए तो पिलियन राइडर को दोपहिया वाहन की राइड करने के लिए संयम और सावधानी रखना बहुत ही जरूरी है. साथ ही हादसों से बचने के लिए हेलमेट का जरूर से प्रयोग करे.

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