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स्पेशल रिपोर्ट: अजमेर में HIV एड्स का कहर, 1 साल में 600 मरीज आए सामने

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Published : Oct 16, 2019, 1:25 PM IST

Updated : Oct 16, 2019, 5:58 PM IST

अजमेर में एचआईवी की रोकथाम के लिए चलाए जा रहे जागरुकता अभियान के बावजूद मरीजों की बढ़ती संख्या में कोई कमी नहीं आई है. जिले में एचआईवी संक्रमण से ग्रसित औसतन हर रोज 35 से 40 और साल में 600 नए मरीज सामने आ रहे हैं.

अजमेर एचआईवी की खबर, ajmer news of HIV, एचआईवी के 600 नए मरीज अजमेर में, 600 new HIV patients in Ajmer

अजमेर. एचआईवी से संक्रमित मरीजों की संख्या हर साल बढ़ रही है. साल 2011 से 2019 तक अजमेर में एचआईवी से संक्रमित मरीजों की संख्या लगभग 5 हजार हो चुकी है. एचआईवी की रोकथाम के लिए चलाए जा रहे जागरुकता अभियान के बावजूद मरीजों की बढ़ती संख्या में कोई कमी नहीं आई है. बल्कि हर साल सरकारी आंकड़ों में औसतन 600 नए मरीजों का इजाफा हो रहा है.

अजमेर में HIV के रोकथाम के लिए चलाया जा रहा जागरुकता अभियान

बता दें कि एचआईवी लाइलाज बीमारी है, इसके संक्रमण में आने पर एक स्वस्थ व्यक्ति 10 सालों में एड्स का रोगी बन जाता है. एचआईवी संक्रमण से बचने का महज एक ही माध्यम है. स्वयं की ओर से बरती गई सावधानी. एचआईवी की रोकथाम के लिए साल भर जागरुकता अभियान चलाए जाते हैं. मगर आंकड़ों को देखें तो चलाए जा रहे अभियान में असर दिखाई दे रहे हैं. अजमेर जिले में एड्स से अब तक 239 मौतें हो चुकी है. यह तो सरकारी आंकड़े हैं, वैसे तो एड्स से होने वाली मौतों का आंकड़ा कहीं ज्यादा है.

पढ़ेंः अजमेर: उत्तर विधानसभा क्षेत्र में निकाली गई गांधी संकल्प यात्रा, झाड़ू लगाकर दिया स्वच्छता का संदेश

जिले में एचआईवी संक्रमण से ग्रस्त औसतन हर रोज 35 से 40 और साल में 600 नए मरीज सामने आ रहे हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि एचआईवी की रोकथाम के लिए चलाए जा रहे जागरुकता अभियान को लेकर सरकार गंभीर भी है या नहीं. बता दें कि विश्व में 33.5 मिलियन, देश में 22 लाख और राजस्थान में 1 लाख 3 हजार 148 एचआईवी संक्रमण के रोगी सामने आ चुके हैं. राजस्थान में हर साल 5 हजार एचआईवी पॉजिटिव नए मरीज सामने आ रहे हैं.

पढ़ेंः अजमेर में नहीं थम रही चोरी की वारदात..मोबाइल स्टोर को चोरों ने बनाया निशाना

राजस्थान में हर साल सबसे ज्यादा एचआईवी पॉजिटिव मरीज भीलवाड़ा में पाए जाते हैं. वहीं अजमेर जिले में ब्यावर में एचआईवी मरीज ज्यादा सामने आ रहे हैं. अजमेर के जेएलएन अस्पताल में आईसीटीसी केंद्र की प्रभारी डॉ. ज्योत्स्ना चंदवानी ने बताया कि मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए एचआईवी को लेकर लोगों में पहले से अधिक जागरुकता अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है. वहीं संक्रमण से ग्रस्त लोगों की काउंसलिंग को प्रमुखता से लिया जाना चाहिए.

पढ़ेंः अजमेर के पुष्कर में तलाकशुदा महिला के साथ दुष्कर्म का मामला

एचआईवी से बचने के लिए सावधानी बहुत ही जरूरी है. एचआईवी संक्रमण 4 वजह से ही फैलता है. बताया जाता है कि एचआईवी एक जानलेवा वायरस है जो इंसान के खून को संक्रमित करता है. वायरस संक्रमित व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को नष्ट कर देता है, जिससे रोगी को कई अन्य बीमारियां लग जाती हैं और उसकी मौत हो जाती है.

एचआईवी संक्रमण 4 वजह

  • रक्त और रक्त उत्पाद
  • संक्रमित सूई और सीरींज के साजा उपयोग
  • संक्रमित गर्भवती माता से उसके शिशु को
  • असुरक्षित यौन संबंध

अजमेर में 2011 से 2019 तक के सरकारी आंकड़े:

साल सरकारी आंकड़े गर्भवती महिलाएं
2011-12 667 नए मरीज 46 गर्भवती महिलाएं
2012-13 598- नए मरीज 58 गर्भवती महिलाएं
2013-14 682- नए मरीज 34 गर्भवती महिलाएं
2014-15 605-नए मरीज 31 गर्भवती महिलाएं
2014-15 605-नए मरीज 44 गर्भवती महिलाएं
2016-17 603-नए मरीज 34 गर्भवती महिलाएं
2017-18 460-नए मरीज 39 गर्भवती महिलाएं
2018-19 460-नए मरीज 41 गर्भवती महिलाएं

एचआईवी संक्रमण को लेकर लोग आज भी बात करने से कतराते हैं समाज में एचआईवी को लेकर जागरुकता की काफी कमी है. एक बार कोई व्यक्ति एचआईवी संक्रमण का शिकार हो गया तो उससे यह जानलेवा वायरस अन्य को भी फैलने का खतरा रहता है. लिहाजा एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति की काउंसलिंग होना सबसे ज्यादा जरुरी है. अजमेर आईसीटीसी सेंटर में काउंसलर रितेश सैमसन बताते हैं कि हर संक्रमित व्यक्ति कि अपनी मनोदशा एवं परिस्थितियां होती है. काउंसलिंग के जरिए संक्रमित व्यक्ति को बीमारी से लड़ने एवं संक्रमण नहीं फैलाने वाले सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं से अवगत करवाया जाता है.

अजमेर. एचआईवी से संक्रमित मरीजों की संख्या हर साल बढ़ रही है. साल 2011 से 2019 तक अजमेर में एचआईवी से संक्रमित मरीजों की संख्या लगभग 5 हजार हो चुकी है. एचआईवी की रोकथाम के लिए चलाए जा रहे जागरुकता अभियान के बावजूद मरीजों की बढ़ती संख्या में कोई कमी नहीं आई है. बल्कि हर साल सरकारी आंकड़ों में औसतन 600 नए मरीजों का इजाफा हो रहा है.

अजमेर में HIV के रोकथाम के लिए चलाया जा रहा जागरुकता अभियान

बता दें कि एचआईवी लाइलाज बीमारी है, इसके संक्रमण में आने पर एक स्वस्थ व्यक्ति 10 सालों में एड्स का रोगी बन जाता है. एचआईवी संक्रमण से बचने का महज एक ही माध्यम है. स्वयं की ओर से बरती गई सावधानी. एचआईवी की रोकथाम के लिए साल भर जागरुकता अभियान चलाए जाते हैं. मगर आंकड़ों को देखें तो चलाए जा रहे अभियान में असर दिखाई दे रहे हैं. अजमेर जिले में एड्स से अब तक 239 मौतें हो चुकी है. यह तो सरकारी आंकड़े हैं, वैसे तो एड्स से होने वाली मौतों का आंकड़ा कहीं ज्यादा है.

पढ़ेंः अजमेर: उत्तर विधानसभा क्षेत्र में निकाली गई गांधी संकल्प यात्रा, झाड़ू लगाकर दिया स्वच्छता का संदेश

जिले में एचआईवी संक्रमण से ग्रस्त औसतन हर रोज 35 से 40 और साल में 600 नए मरीज सामने आ रहे हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि एचआईवी की रोकथाम के लिए चलाए जा रहे जागरुकता अभियान को लेकर सरकार गंभीर भी है या नहीं. बता दें कि विश्व में 33.5 मिलियन, देश में 22 लाख और राजस्थान में 1 लाख 3 हजार 148 एचआईवी संक्रमण के रोगी सामने आ चुके हैं. राजस्थान में हर साल 5 हजार एचआईवी पॉजिटिव नए मरीज सामने आ रहे हैं.

पढ़ेंः अजमेर में नहीं थम रही चोरी की वारदात..मोबाइल स्टोर को चोरों ने बनाया निशाना

राजस्थान में हर साल सबसे ज्यादा एचआईवी पॉजिटिव मरीज भीलवाड़ा में पाए जाते हैं. वहीं अजमेर जिले में ब्यावर में एचआईवी मरीज ज्यादा सामने आ रहे हैं. अजमेर के जेएलएन अस्पताल में आईसीटीसी केंद्र की प्रभारी डॉ. ज्योत्स्ना चंदवानी ने बताया कि मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए एचआईवी को लेकर लोगों में पहले से अधिक जागरुकता अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है. वहीं संक्रमण से ग्रस्त लोगों की काउंसलिंग को प्रमुखता से लिया जाना चाहिए.

पढ़ेंः अजमेर के पुष्कर में तलाकशुदा महिला के साथ दुष्कर्म का मामला

एचआईवी से बचने के लिए सावधानी बहुत ही जरूरी है. एचआईवी संक्रमण 4 वजह से ही फैलता है. बताया जाता है कि एचआईवी एक जानलेवा वायरस है जो इंसान के खून को संक्रमित करता है. वायरस संक्रमित व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को नष्ट कर देता है, जिससे रोगी को कई अन्य बीमारियां लग जाती हैं और उसकी मौत हो जाती है.

एचआईवी संक्रमण 4 वजह

  • रक्त और रक्त उत्पाद
  • संक्रमित सूई और सीरींज के साजा उपयोग
  • संक्रमित गर्भवती माता से उसके शिशु को
  • असुरक्षित यौन संबंध

अजमेर में 2011 से 2019 तक के सरकारी आंकड़े:

साल सरकारी आंकड़े गर्भवती महिलाएं
2011-12 667 नए मरीज 46 गर्भवती महिलाएं
2012-13 598- नए मरीज 58 गर्भवती महिलाएं
2013-14 682- नए मरीज 34 गर्भवती महिलाएं
2014-15 605-नए मरीज 31 गर्भवती महिलाएं
2014-15 605-नए मरीज 44 गर्भवती महिलाएं
2016-17 603-नए मरीज 34 गर्भवती महिलाएं
2017-18 460-नए मरीज 39 गर्भवती महिलाएं
2018-19 460-नए मरीज 41 गर्भवती महिलाएं

एचआईवी संक्रमण को लेकर लोग आज भी बात करने से कतराते हैं समाज में एचआईवी को लेकर जागरुकता की काफी कमी है. एक बार कोई व्यक्ति एचआईवी संक्रमण का शिकार हो गया तो उससे यह जानलेवा वायरस अन्य को भी फैलने का खतरा रहता है. लिहाजा एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति की काउंसलिंग होना सबसे ज्यादा जरुरी है. अजमेर आईसीटीसी सेंटर में काउंसलर रितेश सैमसन बताते हैं कि हर संक्रमित व्यक्ति कि अपनी मनोदशा एवं परिस्थितियां होती है. काउंसलिंग के जरिए संक्रमित व्यक्ति को बीमारी से लड़ने एवं संक्रमण नहीं फैलाने वाले सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं से अवगत करवाया जाता है.

Intro:स्पेशल स्टोरी :-

अजमेर। अजमेर में एचआईवी से संक्रमित मरीजों की संख्या हर वर्ष बढ़ रही है। सन 2011 से 2019 तक अजमेर में एचआईवी से संक्रमित मरीजों की संख्या लगभग 5000 है एचआईवी की रोकथाम के लिए चलाए जा रहे जागरूकता अभियान के बावजूद मरीजों की बढ़ती संख्या में कोई कमी नहीं आई है। बल्कि हर वर्ष सरकारी आंकड़ों में औसतन 600 नए मरीजों का इजाफा हो रहा है।

एचआईवी लाइलाज बीमारी है। इसके संकरण में आने पर एक स्वस्थ व्यक्ति 10 वर्षों में एड्स करोगी बन जाता है। एचआईवी संक्रमण से बचने का महज एक ही माध्यम है। स्वयं के द्वारा सावधानी। एचआईवी की रोकथाम के लिए वर्षभर जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं मगर आंकड़ों को देखें तो चलाए जा रहे अभियान में असर दिखाई दे रहे हैं। अजमेर जिले में एड्स से अब तक 239 मौतें हो चुकी है। यह तो सरकारी आंकड़े हैं वैसे तो एड्स से होने वाली मौतों का आंकड़ा कई ज्यादा है। जिले में एचआईवी संक्रमण से ग्रस्त औसतन हर रोज 35 से 40 एवं साल में 600 नए मरीज सामने आ रहे हैं ऐसे में सवाल यह उठता है कि एचआईवी की रोकथाम के लिए चलाए जा रहे जागरूकता अभियान को लेकर सरकार गंभीर भी है या नहीं। बता दें कि विश्व में 33.5 मिलियन, देश में 22 लाख और राजस्थान में 1 लाख 3 हजार 148 एचआईवी संक्रमण के रोगी सामने आ चुके हैं। राजस्थान में हर वर्ष 5 हजार एचआईवी पॉजिटिव नए मरीज सामने आ रहे हैं।

राजस्थान में हर वर्ष सबसे ज्यादा एचआईवी पॉजिटिव मरीज भीलवाड़ा में पाए जाते हैं वही अजमेर जिले में ब्यावर में एचआईवी मरीज ज्यादा सामने आ रहे हैं। अजमेर जेएलएन अस्पताल में आईसीटीसी केंद्र की प्रभारी डॉ ज्योत्स्ना चंदवानी ने बताया कि मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए एचआईवी को लेकर लोगों में पहले से अधिक जागरूकता अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है वही संक्रमण से ग्रस्त लोगों की काउंसलिंग को प्रमुखता से लिया जाना चाहिए....
बाइट डॉ ज्योत्सना चंदवानी प्रभारी आईसीटीसी

एचआईवी से बचने के लिए सावधानी बहुत ही जरूरी है। एचआईवी संक्रमण 4 वजह से ही फैलता है। इसके अलावा पांचवा और कोई कारण नहीं है बताया जाता है कि एचआईवी एक जानलेवा वायरस है जो इंसान के खून को संक्रमित करता है। वायरस संक्रमित व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को नष्ट कर देता है। जिससे रोगी को कई अन्य बीमारियां लग जाती है और उसकी मौत हो जाती है। एचआईवी का वायरस नेम ने 4 तारीख को से ही स्वस्थ इंसान के खून को संक्रमित करता है।

1. रक्त एवं रक्त उत्पाद
2. संक्रमित सूई व सीरीज के साजा उपयोग
3. संक्रमित गर्भवती माता से उसके शिशु को
4. असुरक्षित यौन संबंध

अजमेर में 2011 से 2019 तक के सरकारी आंकड़े:-

2011-12---667 नए मरीज--46 गर्भवती महिलाएं
2012-13---598- नए मरीज-- 58 गर्भवती महिलाएं
2013-14--- 682-- नए मरीज--34 गर्भवती महिलाएं
2014--15-- 620 नए मरीज -- 31 गर्भवती महिलाएं
2015-16--- 605 नए मरीज-- 44 गर्भवती महिलाएं
2016-17--- 603 नए मरीज-- 34 गर्भवती महिलाएं
2017-18---460 नए मरीज-- 39 गर्भवती महिलाएं
2018-19--- 460 नए मरीज-- 41 गर्भवती महिलाएं

एचआईवी संक्रमण को लेकर लोग आज भी बात करने से कतराते हैं समाज में एचआईवी को लेकर जागरूकता की काफी कमी है एक बार कोई व्यक्ति एचआईवी संक्रमण का शिकार हो गया तो उससे यह जानलेवा वायरस अन्य को भी फैलने का खतरा रहता है। लिहाजा एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति की काउंसलिंग होना सबसे ज्यादा जरूरी है। अजमेर आईसीटीसी सेंटर में काउंसलर रितेश सैमसन बताते हैं कि हर संक्रमित व्यक्ति कि अपनी मनोदशा एवं परिस्थितियां होती है। काउंसलिंग के जरिए संक्रमित व्यक्ति को बीमारी से लड़ने एवं संक्रमण नहीं फैलाने वाले सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं से अवगत करवाया जाता है....
बाइट रितेश सैमसन काउंसलर

व्यक्ति को काउंसलिंग की जरूरत एचआईवी संक्रमित होने पर पड़ती है। लेकिन एचआईवी की रोकथाम के लिए कोशिशे होने का दावा किया जा रहा है। मगर इन दावों की हकीकत सरकारी आंकड़े साफ दिखा रहे हैं।




Body:प्रियांक शर्मा
अजमेर


Conclusion:
Last Updated : Oct 16, 2019, 5:58 PM IST
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