अजमेर. कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन की वजह से कई राज्यों के मजदूर अन्य राज्यों में फंस गए थे. जिन्हें सरकार की मदद से उनके घर पहुंचाया गया. मजदूरों के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन का भी संचालन किया गया. जिसकी मदद से लाखों मजदूर अपने घर जा सके. आपको बता दें की अजमेर में अभी तक छत्तीसगढ़ के 1850 मजदूर फंसे हुए हैं. मजदूरों ने जिला प्रशासन से गुहार लगाई की उन्हें जल्द से जल्द घर भेजा जाए.
मजदूरों ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि पिछले 3 महीनों से ज्यादा का समय बीत चुका है वह अपने घर जाना चाहते हैं. लेकिन अभी तक प्रशासन की ओर से उनके लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किया गया. सभी मजदूर अधिकतर छत्तीसगढ़ के बताए जा रहे हैं. हालांकि अजमेर से छत्तीसगढ़ के लिए कोई भी ट्रेन अभी तक चलाई नहीं गई है. जिस वजह से मजदूर अजमेर में फंसे हुए हैं. जिनकी रोजी-रोटी पर भी संकट आ चुका है.
वहीं, केंद्र सरकार, राज्य सरकार और जिला प्रशासन के जरिए मजदूरों को अपने-अपने घर पहुंचाने की कवायत की जा रही थी, लेकिन अभी कुछ मजदूर ऐसे हैं जो अपने घर जाने को तरस रहे हैं. ऐसे में कुछ मजदूर अजमेर जिला मुख्यालय पर पहुंचे और उन्होंने राजस्थान प्रदेश ईंट भट्ठा मजदूर यूनियन के बैनर तले अपनी मांग को जिला कलेक्टर के समक्ष रखा.
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वहीं मजदूरों ने जानकारी देते हुए बताया कि अजमेर जिले में लगभग 100 चिमनी ईंट भट्ठें के हैं जिनमें से 20 पदों पर काम करने वाले प्रवासी मजदूरों में छत्तीसगढ़ राज्य के 1850 मजदूर अभी तक अजमेर में फंसे हुए हैं. मजदूरों ने बताया कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनें भी चलाई जा रही हैं लेकिन अभी तक नारेली और उसके आसपास के गांव में ईंट भट्टों में कार्यरत कर्मचारी यहीं फंसे हुए हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि उन्हें खाना भी पूरा नहीं मिल पा रहा है. मजदूरों ने बताया कि अगर घर नजदीक होता तो पैदल ही चले जाते. लेकिन छत्तीसगढ़ का सफल पैदल पार नहीं किया जा सकता.
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प्रदेश ईंट भट्ठा यूनियन के पदाधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि अगर जिला प्रशासन और राजस्थान सरकार की तरफ से उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वह आने वाले समय में सभी मजदूरों के साथ जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन करेंगे. जिसकी समस्त जिम्मेदारी प्रशासन की होगी. क्योंकि काफी समय से जिंदगी गुजार रहे यह मजदूर अब अपने घर जाना चाहते हैं.