अजमेर. राजस्थान की हृदय स्थली कही जाने वाली अजमेर नगरी अग्रेजों की पसंदीदा थी. वहीं, केंद्र शासित होने की वजह से अजमेर को उस दौर में कई सौगातें मिलीं. इनमें से एक है तोपदड़ा स्कूल. जिले का राजकीय तोपदड़ा स्कूल सबसे पुराना है. साल 1818 में अंग्रेजों ने पहले पहले इसका निर्माण प्राथमिक स्कूल के तौर पर करवाया था. समय के साथ इसमें कई बदलाव हुए.
जब अंग्रेज नई दिल्ली में मौजूद राष्ट्रपति भवन की इमारत की आधारशिला रख रहे थे, तभी साल 1921 में माली समाज से स्कूल के लिए जमीन खरीदकर यहां स्कूल की नई इमारत की आधारशिला रखी गई. खास बात ये है कि दोनों ही ऐतिहासिक इमारतों के नक्शे ब्रिटेश वास्तुकार एडमिन लुटियंस ने तैयार किया था. दोनों ही इमारतों की मजबूती और सुंदरता के लिए आज भी एडविन लुटियंस को याद किया जाता है. साल 1931 में तोपदड़ा स्कूल की नई इमारत बनकर तैयार हो गई. इसके बाद यहां स्कूल के साथ संचालित कॉलेज को पृथक कर दिया गया. इतिहासकार ओम प्रकाश दुबे बताते हैं कि स्कूल के निर्माण में 10 साल लगे. इसके निर्माण में 7789 रुपये 10 आने और 2 पैसे निर्माण की लागत आई थी.
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तोपदड़ा स्कूल एडविन लुटियंस की वास्तुकला का शानदार उदाहरण है. स्कूल के हर कमरे की ऊंचाई 40 फीट है. वहीं, स्कूल में वेंटिलेशन का भी पूरा ध्यान रखा गया है. उस दौर में बिजली नहीं होने पर भी पंखों की गर्मियों में आवश्यकता नहीं पड़ती थी. पूरी इमारत पत्थरों और चूने से निर्मित की गई है. ई-शेप में बने स्कूल का प्रांगण इतना बड़ा था कि इसमें प्रिंसिपल और शिक्षकों के रहने के लिए बंगले और हॉस्टल भी थे. वर्तमान में उन बंगलों और हॉस्टल में शिक्षा विभाग के दफ्तर संचालित हैं.
शुरुआत में इमारत में इंटर कॉलेज होने की वजह से इसमें भौतिक विज्ञान थिएटर और रसायन विज्ञान थिएटर क्लास भी बनाई गई थी. यानी वर्तमान में स्कूलों और कॉलेजों में स्मार्ट क्लास और थियटर क्लास बनाने की जो सोच विकसित हुई, उसकी शुरुआत 100 साल पहले वास्तुकार एडविन लुटियंस के वक्त हो चुकी थी.
निर्माण से लेकर अब तक स्कूल की इमारत बुलंदी के साथ खड़ी है. बदलते वक्त के थपेड़ों में स्कूल में कुछ जगहों पर मरम्मत की दरकार है. यही वजह है कि अजमेर स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने शहर की 2 सरकारी स्कूलों के जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया है. तोपदड़ा स्कूल की मरमत उसके मूल स्वरूप को ध्यान में रखकर की जा रही है.
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स्कूल के प्राचार्य शंभु सिंह लांबा बताते हैं कि स्कूल इमारत में चूने के मिश्रण से ही प्लास्टर होगा. इसके मूल स्वरूप को बरकरार रखते हुए ही शेष मरम्मत के कार्य अजमेर स्मार्ट सिटी योजना के अंतर्गत हो रहे हैं. अजमेर में ब्रिटिश हुकूमत के समय कई ऐतिहासिक इमारतें भी बनीं, लेकिन तोपदड़ा स्कूल का महत्व विशेष इसलिए है कि ये नई दिल्ली और राष्ट्रपति भवन के वास्तुकार की सोच का परिणाम है.