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Special : अजमेर के इस हिंदू परिवार के पास है दुनिया की सबसे छोटी कुरान, मंदिर में रख करते हैं पूजा-अर्चना - हिंदू परिवार के पास कुरान

अजमेर में एक ऐसा हिंदू परिवार है जिसके पास मुसलमानों की पवित्र ग्रन्थ कुरान शरीफ है. इसकी सबसे खास बात यह है कि यह दुनिया की सबसे छोटी कुरान है. कुरान के मालिक बालकिशन खंडेलवाल ने बताया कि इस कुरान की लंबाई लगभग 1.8 सेंटीमीटर है, जबकि चौड़ाई 1.8 सेंटीमीटर है. वहीं, इसका वजन लगभग 1 ग्राम 950 मिलीग्राम है, जिसे मेग्नीफाई लेंस के माध्यम से पढ़ा जा सकता है. पढ़ें ये खास खबर...

मुस्लिम ग्रंथ कुरान शरीफ, Holy Quran Sharif of Muslims
दुनिया की सबसे छोटी कुरान
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Published : Sep 29, 2020, 12:26 PM IST

Updated : Sep 29, 2020, 1:32 PM IST

अजमेर. ख्वाजा गरीब नवाज की नगरी हमेशा से ही सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल के लिए विश्व प्रसिद्ध है. भाईचारे की प्रतीक इसी मिट्टी की सौगात है कि एक हिन्दू परिवार अपने मंदिर में मुस्लिमों के पवित्र ग्रन्थ कुरान शरीफ सजाकर रखता है और रोज पूजा-अर्चना करता है. यह भी कोई साधारण कुरान नहीं, दुनिया में सबसे छोटा कुरान होने का दावा किया जा रहा है. आइए मिलते हैं अजमेर के इस परिवार से.

हिंदू परिवार के पास है दुनिया की सबसे छोटी कुरान

बालकिशन खंडेलवाल का परिवार बरसों से सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश कर रहा है. खंडेलवाल के घर में सजे मंदिर में जब हिन्दूओं के पवित्र ग्रन्थ गीता की पूजा होती है तो वहां एक कुरान शरीफ सजाकर रखा जाता है. जिसकी सुबह शाम बड़े अदब और अहतराम के साथ पूजा और देखभाल की जाती है. इसके पीछे खास वजह यह भी है कि हिंदू परिवार के पास मौजूद कुरान शरीफ की यह एक ऐसी नायाब प्रतिनिधि है. जिसको दुनिया की सबसे छोटी कुरान होने का दावा किया जाता है.

मुस्लिम ग्रंथ कुरान शरीफ, Holy Quran Sharif of Muslims
मंदिर में रखा गया कुरान

मेग्नीफाई लेंस से पढ़ी जाती हैं अयातें

ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत करते हुए बालकिशन खंडेलवाल ने बताया कि इस कुरान की लंबाई लगभग 1.8 सेंटीमीटर है, जबकि चौड़ाई 1.8 सेंटीमीटर है. वहीं, इसका वजन लगभग 1 ग्राम 950 मिलीग्राम है. सबसे खास बात यह है कि कुरान में लगभग 258 पेज हैं, जो कि अपने आप में इस सबसे छोटी कुरान को नायाब बनाते हैं. 258 पेज की इस पवित्र कुरान शरीफ में कुरान की समस्त आयतें दर्ज हैं, जिसको मेग्नीफाई लेंस के माध्यम से ही पढ़ा जा सकता है.

मुस्लिम ग्रंथ कुरान शरीफ, Holy Quran Sharif of Muslims
चांदी के डिब्बे में रखा गया

पढ़ेंः Special : स्कूल बंद होने से किताब, स्टेशनरी और स्कूल यूनिफॉर्म व्यवसाय की कमाई ठप, आर्थिक संकट से जूझ रहे व्यवसायी

पारिवारिक विरासत है कुरान

बालकिशन खंडेलवाल बताते हैं कि लगभग 45 साल पहले उनके पिता ने इसे देहावसान से पहले बड़ी इबादत के साथ सौंपा था. उस वक्त उन्हें कहा गया था यह कुरान परिवार में खुशहाली और बरकत का प्रतीक है. इसको हमेशा संभाल कर अपने पास रखना. वहीं, पिता के देहांत के बाद बालकिशन खंडेलवाल ने पूरे अदब और अहतराम के साथ जिस तरह से हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ गीता को पूजा में रखा जाता है ठीक उसी तरह रोजाना सुबह-शाम पिछले 45 सालों से इस सबसे छोटे कुरान की भी हिफाजत करते हुए दिलों जान से इसकी सेवा और पूजा करते आ रहे हैं.

मुस्लिम ग्रंथ कुरान शरीफ, Holy Quran Sharif of Muslims
मेग्नीफाई लेंस के माध्यम से पढ़ सकते हैं

बता दें कि यह कुरान इस परिवार के पास पुरखों के जमाने से है. बालकिशन खंडेलवाल के पिता को भी यह कुरान उनके पिता से मिली थी. इसलिए अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है कि यह कुरान इस परिवार के पास कब से है और कहां से आई है.

मुस्लिम ग्रंथ कुरान शरीफ, Holy Quran Sharif of Muslims
अपने घर की मंदिर में पूजा करते बालकिशन खंडेलवाल

चांदी की डिब्बी रखते हैं संभालकर

बालकिशन ने कुरान की देखभाल करने के लिए माचिस की डिब्बी से भी छोटी एक चांदी की कलात्मक डिब्बी बनवाई है. जो दिखने में नक्काशीदार है. बालकिशन बताते हैं कि जब भी हिंदू या मुस्लिम या जो भी त्योहार आता है तब वे इस कुरान शरीफ को बकायदा इस चांदी की डिब्बी से बाहर निकालकर पूरा पूजा-पाठ करते हैं. बाद में इत्र लगाकर दोबारा इस डिब्बी में रख दिया जाता है.

मुस्लिम ग्रंथ कुरान शरीफ, Holy Quran Sharif of Muslims
गीता के साथ रखी जाती है कुरान

पढ़ेंः Special : जयपुर का कपड़ा व्यवसाय 6 महीने से ठप...कोरोना की मार से डांवाडोल हुई आर्थिक स्थिति

बालकिशन ने जानकारी देते हुए बताया कि उनके पास जो कुरान है उसको राजस्थान बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया है. साथ ही गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दुनिया की सबसे छोटी कुरान होने के लिए भी उन्होंने अप्लाई किया था, लेकिन उनसे यह नायाब प्रतिलिपि मांगी गई जिसको उन्होंने देने से साफ तौर पर इनकार कर दिया. इस मुस्लिम ग्रंथ कुरान की हिफाजत के साथ वह आज तक इसकी देखभाल कर रहे हैं.

अजमेर. ख्वाजा गरीब नवाज की नगरी हमेशा से ही सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल के लिए विश्व प्रसिद्ध है. भाईचारे की प्रतीक इसी मिट्टी की सौगात है कि एक हिन्दू परिवार अपने मंदिर में मुस्लिमों के पवित्र ग्रन्थ कुरान शरीफ सजाकर रखता है और रोज पूजा-अर्चना करता है. यह भी कोई साधारण कुरान नहीं, दुनिया में सबसे छोटा कुरान होने का दावा किया जा रहा है. आइए मिलते हैं अजमेर के इस परिवार से.

हिंदू परिवार के पास है दुनिया की सबसे छोटी कुरान

बालकिशन खंडेलवाल का परिवार बरसों से सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश कर रहा है. खंडेलवाल के घर में सजे मंदिर में जब हिन्दूओं के पवित्र ग्रन्थ गीता की पूजा होती है तो वहां एक कुरान शरीफ सजाकर रखा जाता है. जिसकी सुबह शाम बड़े अदब और अहतराम के साथ पूजा और देखभाल की जाती है. इसके पीछे खास वजह यह भी है कि हिंदू परिवार के पास मौजूद कुरान शरीफ की यह एक ऐसी नायाब प्रतिनिधि है. जिसको दुनिया की सबसे छोटी कुरान होने का दावा किया जाता है.

मुस्लिम ग्रंथ कुरान शरीफ, Holy Quran Sharif of Muslims
मंदिर में रखा गया कुरान

मेग्नीफाई लेंस से पढ़ी जाती हैं अयातें

ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत करते हुए बालकिशन खंडेलवाल ने बताया कि इस कुरान की लंबाई लगभग 1.8 सेंटीमीटर है, जबकि चौड़ाई 1.8 सेंटीमीटर है. वहीं, इसका वजन लगभग 1 ग्राम 950 मिलीग्राम है. सबसे खास बात यह है कि कुरान में लगभग 258 पेज हैं, जो कि अपने आप में इस सबसे छोटी कुरान को नायाब बनाते हैं. 258 पेज की इस पवित्र कुरान शरीफ में कुरान की समस्त आयतें दर्ज हैं, जिसको मेग्नीफाई लेंस के माध्यम से ही पढ़ा जा सकता है.

मुस्लिम ग्रंथ कुरान शरीफ, Holy Quran Sharif of Muslims
चांदी के डिब्बे में रखा गया

पढ़ेंः Special : स्कूल बंद होने से किताब, स्टेशनरी और स्कूल यूनिफॉर्म व्यवसाय की कमाई ठप, आर्थिक संकट से जूझ रहे व्यवसायी

पारिवारिक विरासत है कुरान

बालकिशन खंडेलवाल बताते हैं कि लगभग 45 साल पहले उनके पिता ने इसे देहावसान से पहले बड़ी इबादत के साथ सौंपा था. उस वक्त उन्हें कहा गया था यह कुरान परिवार में खुशहाली और बरकत का प्रतीक है. इसको हमेशा संभाल कर अपने पास रखना. वहीं, पिता के देहांत के बाद बालकिशन खंडेलवाल ने पूरे अदब और अहतराम के साथ जिस तरह से हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ गीता को पूजा में रखा जाता है ठीक उसी तरह रोजाना सुबह-शाम पिछले 45 सालों से इस सबसे छोटे कुरान की भी हिफाजत करते हुए दिलों जान से इसकी सेवा और पूजा करते आ रहे हैं.

मुस्लिम ग्रंथ कुरान शरीफ, Holy Quran Sharif of Muslims
मेग्नीफाई लेंस के माध्यम से पढ़ सकते हैं

बता दें कि यह कुरान इस परिवार के पास पुरखों के जमाने से है. बालकिशन खंडेलवाल के पिता को भी यह कुरान उनके पिता से मिली थी. इसलिए अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है कि यह कुरान इस परिवार के पास कब से है और कहां से आई है.

मुस्लिम ग्रंथ कुरान शरीफ, Holy Quran Sharif of Muslims
अपने घर की मंदिर में पूजा करते बालकिशन खंडेलवाल

चांदी की डिब्बी रखते हैं संभालकर

बालकिशन ने कुरान की देखभाल करने के लिए माचिस की डिब्बी से भी छोटी एक चांदी की कलात्मक डिब्बी बनवाई है. जो दिखने में नक्काशीदार है. बालकिशन बताते हैं कि जब भी हिंदू या मुस्लिम या जो भी त्योहार आता है तब वे इस कुरान शरीफ को बकायदा इस चांदी की डिब्बी से बाहर निकालकर पूरा पूजा-पाठ करते हैं. बाद में इत्र लगाकर दोबारा इस डिब्बी में रख दिया जाता है.

मुस्लिम ग्रंथ कुरान शरीफ, Holy Quran Sharif of Muslims
गीता के साथ रखी जाती है कुरान

पढ़ेंः Special : जयपुर का कपड़ा व्यवसाय 6 महीने से ठप...कोरोना की मार से डांवाडोल हुई आर्थिक स्थिति

बालकिशन ने जानकारी देते हुए बताया कि उनके पास जो कुरान है उसको राजस्थान बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया है. साथ ही गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दुनिया की सबसे छोटी कुरान होने के लिए भी उन्होंने अप्लाई किया था, लेकिन उनसे यह नायाब प्रतिलिपि मांगी गई जिसको उन्होंने देने से साफ तौर पर इनकार कर दिया. इस मुस्लिम ग्रंथ कुरान की हिफाजत के साथ वह आज तक इसकी देखभाल कर रहे हैं.

Last Updated : Sep 29, 2020, 1:32 PM IST
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