अजमेर. शहर को लिगेसी वेस्ट (पुराना एवं प्रत्यक्त कूड़ा) से निजात मिलेगी. 3 लाख 60 हजार टन कचरा साफ करने के लिए अजमेर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत वित्तीय निविदा खोली जा चुकी है. अब शीघ्र ही कार्यादेश जारी किए जाएंगे.
वर्तमान में अजमेर शहर में लगभग 250 टन कचरा प्रतिदिन उत्पन्न हो रहा है, जो कि माखुपुरा ट्रेंचिंग ग्राउंड में डाला जा रहा है. यह व्यवस्था गत 15 साल से जारी है. जिसके चलते वहां 3 बीघा क्षेत्र में कचरा फैल चुका है. यहां पर 15 से 20 फीट लिगेसी वेस्ट के पहाड़ बने हुए है और उक्त भूमि का उपयोग नहीं हो पा रहा है.
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लिगेसी वेस्ट के कार्यादेश के पश्चात उपलब्ध कचरे का पुन: सर्वे किया जाएगा. उसके पश्चात कचरे को अलग-अलग करने हेतु ट्रोमल ( मशनी ) लगाई जाएगी. जिससे विभिन्न साइज और विभिन्न प्रकार के कचरे को अलग-अलग किया जाएगा. कचरे में प्राप्त उपयोगी वस्तु जैसे प्लास्टिक, कागज आदि को उपयोग के अनुसार ठेकेदार निस्तारित किया जाएगा. शेष रही मिट्टी को ट्रेंचिंग ग्राउंड में ही बिछाकर समतल किया जाएगा. इस कार्य पर लगभग 9 करोड़ व्यय होने का अनुमान है. प्लांट में पुराने कूड़े से प्लास्टिक, पॉलीथिन आदि ज्वलनशील पदार्थ को अलग किया जाएगा. इसके अलावा मिट्टी और कंक्रीट को भी अलग-अलग किया जा सकेगा. लिगेसी वेस्ट से निकलने वाले प्लास्टिक का इस्तेमाल ईंधन के रूप में हो सकेगा. इस ईंधन की डिमांड सीमेंट फैक्ट्रियों में रहती है.
300 टन की क्षमता का लगेगा परिशोधन संयंत्र
प्रतिदिन नए आने वाले कचरे के लिए 300 टन प्रतिदिन क्षमता के परिशोधन संयंत्र लगाने हेतु निविदा प्राप्त की जा चुकी है. जिसकी वित्तीय निविदा 26 फरवरी को खोली जा चुकी है. इस कार्य पर 15 करोड़ के खर्च का अनुमान है. प्रोसेंसिंग संयंत्र में सूखा और गीला कचरे को अलग-अलग किया जाएगा. गीले कचरे से खाद बनाई जाएगी. जिसका उपयोग जैविक खेती के लिए किया जा सकेगा.
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वहीं दूसरी ओर सूखे कचरे में से प्लास्टिक, कागज इत्यादि को अलग करके ईंधन की ब्रिक्स बनाई जा सकेगी, जो कि बायलर आदि में ईंधन के रूप में कार्य में ली जा सकेगी. एकत्र किए गए कचरे में 10 प्रतिशत कचरा ऐसा होता है, जिसका कोई उपयोग नहीं किया जा सकता. ऐसे कचरे का सैनेटरी लैंडफिल में डाला जाता है. जिसके लिए आगामी 15 साल की गणना करते हुए 1 लाख 25 हजार घन मीटर क्षमता की सैनेटरी लैंडफिल भी बनाया जाना प्रस्तावित है.
ये होगा लाभ
माखुपुरा में बार बार कचरे में आग लग जाती है और धुआं से आस-पास का वातावरण दूषित होता है. कचरे का समय पर परिशोधन होने से वातावरण शुद्ध होगा और यहां पर बनने वाले बैक्टिरिया भी समाप्त होगा. बरसात के दिनों में कचरे में पानी जाने के कारण भूमिगत जल दूषित होने की संभावना बनी रहती है. उससे भी पूर्ण रूप से मुक्ति मिलेगी.