अजमेर. खूबसूरत आना सागर झील के किनारे स्थित मुगलकालीन बारादरी पर आकाशीय बिजली गिरने से उसका एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है. बारादरी का ऊपरी आवरण संगमरमर से बना हुआ है. जिसमें 12 दरवाजे हैं. इनमें से एक दरवाजे को बिजली गिरने से काफी नुकसान पहुंचा है. अजमेर में मौसम के बदले मिजाज के साथ ही आसमान में से कड़कती बिजलियां से लोग सहम गए.
बारिश के बाद पता चला कि आकाश से बिजली आनासागर झील से सटी बारादरी पर गिरी है. बारादरी का एक हिस्सा पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है. सूचना मिलते ही समिति स्थित भारतीय पुरातत्व विभाग के स्थानीय अधिकारी देवरथ अन्य कर्मचारियों सहित मौके पर पहुंचे.
बारादरी के ऊपरी हिस्से से कड़कती हुई बिजली टेलर को चीरती हुई जमीन में चली गई. बारादरी के गेट के ऊपरी हिस्से से लेकर पिलर और दीवार के बीच गहरी दरार आ गई है. वहीं, पिलर का भी काफी हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ है. जानकारी के मुताबिक स्थानीय अधिकारियों ने जोधपुर एक्सप्रेस भारतीय पुरातत्व विभाग के आला अधिकारियों को घटना की जानकारी दी है.
लॉकडाउन की वजह से बन्द थी बारादरीः
कोरोना महामारी की वजह से हुए लॉकडाउन में आमजन और पर्यटकों के लिए 12 तारीख को बंद रखा गया था. घटना के वक्त बारादरी पर कोई भी मौजूद नहीं था. बता दें कि 12 तारीख पर पहले जाने के लिए कोई शुल्क नहीं लगता था लेकिन पिछले 2 सालो से भारतीय पुरातत्व विभाग 25 रुपए प्रति व्यक्ति वसूल करता है. इसलिए बारादरी पर अब लोगों का पहले की तुलना में आना जाना काफी कम हो गया है.
मुगल बादशाह शाहजहां ने करवाया था बारादरी का निर्माणः
यह बारादरी और दौलत बाग शाहजहां ने 1637 में बनवाई थी. इस बारादरी के 12 दरवाजे हैं. यह सभी दरवाजे संगमरमर के बने हुए हैं. इसलिए इमारत को बारादरी का नाम दिया गया है. माना जाता है कि मुगल बादशाह शाहजहां अजमेर में काफी समय तक रहे थे. इस दौरान वह अजमेर के किले से दौलत बाग होता हुआ बारादरी आया करते थे और बारादरी से आनासागर झील खूबसूरती को निहारा करता थे.