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अब राज्य योजनाओं में हो सकेगा आधार का प्रयोग, कैबिनेट ने दी मंजूरी

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Published : Jul 24, 2019, 7:34 PM IST

केंद्रीय योजनाओं के लिए जिस तरीके से केंद्रीय कोष से सब्सिडी लाभार्थी को स्थानांतरित की जाती है उसी तरह आधार के इस्तेमाल से राज्य सब्सिडी को भी स्थानांतरित किया जा सकेगा. संसद में इससे पहले इसी महीने आधार एवं अन्य कानून में संशोधनों को मंजूरी दी गई थी.

अब राज्य योजनाओं में हो सकेगा आधार का प्रयोग, कैबिनेट ने दी मंजूरी

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को आधार एवं अन्य कानून (संशोधन) विधेयक 2019 में लाये गये आधिकारिक बदलावों को मंजूरी दे दी है. कानून के इससंशोधन के तहत एक नया प्रावधान शामिल किया जा रहा है जिससे की आधार आंकड़ों का इस्तेमाल राज्य योजनाओं और सब्सिडी के लिए किया जा सकेगा.

आधार कानून में संशोधन के बाद राज्य के समेकित कोष द्वारा वित्तपोषित योजनाओं के लिए राज्य सरकारें राष्ट्रीय बायोमीट्रिक पहचान का इस्तेमाल कर सकेंगी. सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को संवाददाताओं को मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि राज्य इसकी मांग कर रहे थे. उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार ऐसे मामलों में आधार के इस्तेमाल की अनुमति है, जहां कोष सीधे केंद्र सरकार से आता है. इससे इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.

जानकारी देते सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर

ये भी पढ़ें- भारतीयों को लुभाने को नेटफ्लिक्स ने 199 रुपये का 'मोबाइल ओनली' प्लान किया पेश

केंद्रीय योजनाओं के लिए जिस तरीके से केंद्रीय कोष से सब्सिडी लाभार्थी को स्थानांतरित की जाती है उसी तरह आधार के इस्तेमाल से राज्य सब्सिडी को भी स्थानांतरित किया जा सकेगा. संसद में इससे पहले इसी महीने आधार एवं अन्य कानून में संशोधनों को मंजूरी दी गई थी.

यह संशोधन मोबाइल फोन का सिम कार्ड लेने या बैंक खाता खोलने के लिए 12 अंकों की इस विशिष्ट पहचान संख्या का इस्तेमाल स्वैच्छिक रूप से करने की अनुमति दिये जाने से संबंधित था. सरकार ने अब इसमें एक नया प्रावधान जोड़ने के लिये संशोधन का प्रस्ताव किया है जिसमें कि राज्यों को अपनी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए आधार के इस्तेमाल की अनुमति दिये जाने का प्रावधान है.

एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि विधेयक को संसद में पेश किए जाने के बाद संबंधित प्रावधान को जोड़ा गया है ऐसे में मंत्रिमंडल की मंजूरी बाद में दी गई सहमति की तरह है. आधार एवं अन्य कानून (संशोधन) विधेयक, 2019 में एक नई धारा 5ए को जोड़ा गया है. इसमें कहा गया है कि प्रमुख कानून की धारा 7 में भारत के समेकित कोष के साथ ही राज्य का समेकित कोष शब्द जोड़ा गया है.

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को आधार एवं अन्य कानून (संशोधन) विधेयक 2019 में लाये गये आधिकारिक बदलावों को मंजूरी दे दी है. कानून के इससंशोधन के तहत एक नया प्रावधान शामिल किया जा रहा है जिससे की आधार आंकड़ों का इस्तेमाल राज्य योजनाओं और सब्सिडी के लिए किया जा सकेगा.

आधार कानून में संशोधन के बाद राज्य के समेकित कोष द्वारा वित्तपोषित योजनाओं के लिए राज्य सरकारें राष्ट्रीय बायोमीट्रिक पहचान का इस्तेमाल कर सकेंगी. सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को संवाददाताओं को मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि राज्य इसकी मांग कर रहे थे. उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार ऐसे मामलों में आधार के इस्तेमाल की अनुमति है, जहां कोष सीधे केंद्र सरकार से आता है. इससे इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.

जानकारी देते सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर

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केंद्रीय योजनाओं के लिए जिस तरीके से केंद्रीय कोष से सब्सिडी लाभार्थी को स्थानांतरित की जाती है उसी तरह आधार के इस्तेमाल से राज्य सब्सिडी को भी स्थानांतरित किया जा सकेगा. संसद में इससे पहले इसी महीने आधार एवं अन्य कानून में संशोधनों को मंजूरी दी गई थी.

यह संशोधन मोबाइल फोन का सिम कार्ड लेने या बैंक खाता खोलने के लिए 12 अंकों की इस विशिष्ट पहचान संख्या का इस्तेमाल स्वैच्छिक रूप से करने की अनुमति दिये जाने से संबंधित था. सरकार ने अब इसमें एक नया प्रावधान जोड़ने के लिये संशोधन का प्रस्ताव किया है जिसमें कि राज्यों को अपनी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए आधार के इस्तेमाल की अनुमति दिये जाने का प्रावधान है.

एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि विधेयक को संसद में पेश किए जाने के बाद संबंधित प्रावधान को जोड़ा गया है ऐसे में मंत्रिमंडल की मंजूरी बाद में दी गई सहमति की तरह है. आधार एवं अन्य कानून (संशोधन) विधेयक, 2019 में एक नई धारा 5ए को जोड़ा गया है. इसमें कहा गया है कि प्रमुख कानून की धारा 7 में भारत के समेकित कोष के साथ ही राज्य का समेकित कोष शब्द जोड़ा गया है.

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विवाद सुलझाने के पक्ष में हैं इंडिगो के प्रवर्तक, कई नई नीतियों को दी मंजूरी

नई दिल्ली: इंटरग्लोब एविएशन देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो की मूल कंपनी है. सूत्रों ने दावा किया कि सह प्रवर्तकों के बीच विवाद सुलझ गया है और अब कंपनी वृद्धि की राह पर है. 

इंटरग्लोब एविएशन के निदेशक मंडल ने संबंधित पक्ष लेनदेन पर नई नीति को मंजूरी दे दी है. सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी. कंपनी के सह प्रवर्तकों के बीच कंपनी के संचालन के मुद्दे पर जारी विवाद के बीच यह कदम उठाया गया है.

कंपनी के सह प्रवर्तकों राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल के बीच मतभेद इस महीने उस समय खुलकर सामने आ गए जब गंगवाल ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को पत्र लिखा. 

गंगवाल ने सेबी को लिखे पत्र में कंपनी के कामकाज के संचालन में खामियों पर चिंता जताई थी. हालांकि, भाटिया गुट ने इन आरोपों को खारिज कर दिया. सूत्रों ने बताया कि संबंधित पक्ष लेनदेन (आरपीटी) से संबंधित नीति को निदेशक मंडल ने सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी है. 

कंपनी के निदेशक मंडल में गंगवाल और भाटिया सहित कुल छह सदस्य है. बोर्ड की बैठक 19 और 20 जुलाई को हुई थी. 

सूत्रों के अनुसार बैठक में लिए कुछ महत्वपूर्ण फैसले:-

नई नीति के तहत दो करोड़ रुपये से अधिक से आरपीटी के लिए बाहरी सलाह ली जाएगी. 

किसी भी अनुबंध के लिए निविदा प्रक्रिया जरूरी होगी. 

आरपीटी में किसी भी तरह के बदलाव पर कंपनी के स्वतंत्र निदेशकों की सर्वसम्मति होनी चाहिए. 

कंपनी के निदेशक मंडल में सदस्यों की संख्या बढ़ाकर दस करने का भी निर्णय लिया गया है. इनमें चार स्वतंत्र निदेशक भी होंगे. 

भाटिया समूह बोर्ड में पांच सदस्य मनोनीत करेगा. इसमें मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी शामिल होगा. 

 


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