जयपुर. फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष को गुरुवार को आमलकी एकादशी है. होली से पहले आने वाली इस एकादशी पर आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है, इसलिए इसे आंवला एकादशी भी कहा जाता है. इस दिन आंवले के वृक्ष में विष्णु भगवान और माता लक्ष्मी का वास होता है इसलिए पद्य पुराण में भगवान विष्णु को आंवले का वृक्ष प्रिय बताया गया है.
ज्योतिषाचार्य पंडित विशाल सेवग ने बताया कि, 25 मार्च को उदया तिथि में एकादशी का व्रत रखना उत्तम रहेगा. तो वही अगले दिन 26 मार्च को व्रत का पारण सुबह 6.20 बजे से 8.20 बजे तक करना होगा. मान्यता है कि, इस व्रत को रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसलिए सुबह जल्दी उठकर स्नानादि के बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें.
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वहीं, उनकी विधि विधान से पूजा कर उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं और प्रसाद स्वरूप आंवला अर्पित करें. वही पूजन के बाद किसी जरूरतमंद व्यक्ति या फिर ब्राह्मण को भोजन अवश्य करवाएं और गरीबो को कलश, वस्त्र व आंवला का दान करें. शास्त्रों के अनुसार एकादशी के दिन दान करना उत्तम माना गया है.