हनुमानगढ़. राजस्थान में हनुमानगढ़ जंक्शन के बस स्टैंड पर पहुंचने वाले यात्री पानी घर से लाएं. ये इसलिए क्योंकि जिले के अंतरराज्यीय बस स्टैंड (Interstate Bus Stand) पर भीषण गर्मी में दो बूंद पानी तक मयस्सर (water problem) नहीं है. इस प्रचंड गर्मी में यहां न तो पानी की व्यवस्था है और न ही पंखों की, और यहां आने वाले यात्री हलकान हो रहे हैं. पानी की कमी से हलक सूख रहे हैं. वहीं बसों का घंटों तक इंतजार करने वाले यात्रियों पंखों के अभाव में पसीने से लथपथ परेशान हो रहे हैं, लेकिन इस ओर नगर परिषद के अधिकारियों का कोई ध्यान नहीं जा रहा है.
यात्रियों ने ये कहा...
हरियाणा से हनुमानगढ़ पहुंचे यात्री कहते हैं कि वे इतनी दूर से आये हैं, जहां करीब-करीब सभी बस स्टैंड पर पानी उपलब्ध था, लेकिन इस बस स्टैंड पर पानी ही नहीं है. हालात ये है कि कोई संगरिया से हनुमानगढ़ 20 रुपये किराया देकर आता है और 25 रुपये की पानी की बोतल खरीदकर प्यास बुझानी पड़ती है. वहीं बस स्टैंड मैनेजर लखवीर सिंह कहते है कि नगर परिषद के आधीन आने वाले इस बस स्टैंड पर पानी और पंखों की समस्याएं हैं. इसके लिए नगरपरिषद अधिकारियों और ठेकेदार को अवगत करवाया गया है, लेकिन समस्या का हल नहीं हुआ है.
नहीं लगाया अभी तक पंखा
ठेकेदार पुराने पंखे ये कहकर उतारकर ले गया कि इनकी जगह नए पंखे लगाये जायेंगे, लेकिन डेढ़ माह हो गया नए पंखे नहीं लगे हैं. लोगबाग या तो प्यासे रहते हैं या फिर उन्हें मजबूरन पानी खरीद कर पीना पड़ता है. हालांकि बस स्टैंड के नजदीक मात्र एक वाटरकूलर स्थापित है, लेकिन वहां यात्री भार अधिक होने से उसमे भी कुछ समय तक पानी शीतल बचता है. जब नगर परिषद अधिकारियों से इसके बारे में पूछा गया, तो रटारटाया जवाब समस्या का निस्तारण शीघ्र करवाया जाएगा और अगर वाटरकूलर खराब है तो टेंडर करवाकर नया लगाया जाएगा.
दुकानदार कर रहे पानी की व्यवस्था
एक तरफ जहां जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं. वहीं यात्रियों की परेशानी को देखते हुए बस स्टैंड के दुकानदारों ने स्वयं के खर्चे से यात्रियों के लिए ठंडे पानी की व्यवस्था कर रखी है, ताकि उनके शहर में आने वाले यात्री प्यासे नहीं जाए. हर रोज यहां 40 से 50 पानी के कैम्पर की खपत हो जाती है. दुकानदारों का कहना है कि स्टैंड पर पानी की किल्लत अक्सर रहती है और अब पानी की पाइप भी 3 दिन से टूटी पड़ी है, जिससे समस्या और बढ़ गई है.
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सरकारी काम काज में लेटलतीफी और लापरवाही कोई नई बात नहीं है, लेकिन सवाल ये है कि जिस तरह अधिकारी गर्मी सिर पर आने के बाद टेंडर प्रक्रिया की कार्रवाई की बात कर रहे हैं. ऐसे कार्य निरीक्षण कर पहले भी किये जा सकते थे. इस भीषण गर्मी में पानी और हवा जैसी अति आवश्यक समस्याओं का हल नहीं होगा तो फिर सर्दियों में इसके क्या मायने रह जाएंगे. बता दें कि बस स्टैंड की सार-संभाल का जिम्मा ठेकेदार को दिया गया है, लेकिन इस तरह की अव्यवस्थाओं से ठेका प्रथा पर सवाल उठना स्वभाविक है.