जयपुर. राजस्थान वित्त निगम और रीको को मर्ज करने का मामला ठंडे बस्ते में चला गया था. दरअसल तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने कार्यकाल में राजस्थान वित्त निगम और रीको को मर्ज करने को लेकर एक प्रस्ताव तैयार किया था, लेकिन कानूनी अड़चन होने के चलते उस समय यह संभव नहीं हो सका. ऐसे में एक बार फिर राजस्थान वित्त निगम को रीको में मर्ज करने की बात सामने आ रही है.
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इसे लेकर वित्त विभाग ने फाइल पर एक बार फिर से काम करने के निर्देश भी दिए हैं. दरअसल राजस्थान वित्त निगम फिलहाल एनपीए और घाटे से जूझ रही है. ऐसे में घाटा पूरा करने के लिए वित्त निगम को रीको में मर्ज करने की तैयारी एक बार फिर शुरू करने की बात सामने आई है. हालांकि अभी भी कानूनी रूप से अड़चनें आने के चलते दोनों विभागों को आसानी से मर्ज नहीं किया जा सकता, क्योंकि रीको कंपनी एक्ट के तहत गठित की गई है. वहीं राजस्थान वित्त निगम का गठन स्टेट फाइनेंशियल कॉरपोरेशन एक्ट के तहत किया गया है. ऐसे में कानूनी रूप से दोनों कंपनियों को मर्ज करना संभव नहीं है.
आरएफसी घाटे में
बताया जा रहा है कि राजस्थान वित्त निगम लंबे समय से घाटे में चल रही है और कैग द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट में भी बताया गया है कि राजस्थान वित्त निगम की हालत खराब है. जानकारी के अनुसार फिलहाल वित्त निगम पर करीब 200 करोड़ से अधिक का कर्ज है और माना जा रहा है कि इसी घाटे से उबरने के लिए राजस्थान वित्त निगम का विलय रीको में किया जा सकता है. मामले को लेकर वित्त विभाग के मुखिया ने एक बार फिर से ठंडे बस्ते में पड़े इस मामले पर काम करने के निर्देश भी दिए हैं.