अलवर. शहर की मंडी सरसों के लिए देशभर में जानी जाती है. अलवर में सबसे ज्यादा तेल मिल है. तो वहीं अलवर के आसपास क्षेत्र में सरसों की पैदावार बंपर होती है. लेकिन, इस साल पैदावार बेहतर होने के बाद भी मंडी में कम सरसों की आवक हो रही है. इससे व्यापारी और किसान दोनों परेशान है. गर्मी के चलते किसान मंडी नहीं पहुंच रहा है. तो वहीं मंडी में सरसों नहीं आने के कारण व्यापारी को खासी दिक्कत आ रही है. ऐसे में तेल मिल संचालकों की परेशानी बढ़ गई है.
अलवर में 10 से अधिक तेल मिल हैं. जिनमें साल भर सरसों की डिमांड रहती है. तो वहीं इन तेल मिल से देशभर में सरसों का तेल सप्लाई किया जाता है. अलवर में पैदा होने वाली 70 प्रतिशत सरसों की खपत अलवर में होती हैं. लेकिन इस साल सरकारी खरीद में सरसों के बेहतर दाम मिलने के कारण सरकारी खरीदने बंपर सरसों पहुंची थी. तो वहीं सरकार की तरफ से भी किसानों को बेहतर दाम सरसों के दिए गए. ऐसे में अब मंडी में बिक्री के लिए सरसों नहीं पहुंच रही है. आमतौर पर अलवर मंडी में प्रतिदिन 10 से 15 हजार सरसों के कट्टे आते थे. लेकिन अभी केवल तीन से पांच हजार कट्टे सरसों बिक्री के लिए मंडी में आ रहा है.
वहीं मंडी व्यापारी जितिन महावर ने बताया कि इस समय सरसों के भाव 4150 से 4224 मिल रहे हैं. भीषण गर्मी के चलते कम संख्या में किसान सरसों बेचने के लिए मंडी में पहुंच रहे हैं. इसलिए अलवर मंडी का व्यापारी परेशान है. व्यापार खासा प्रभावित हो रहा है. इस साल मंडी में सरसों की आवक बीते सालों की तुलना में बहुत कम है. इसलिए व्यापारी खासा परेशान है.
आमतौर पर सीजन के मौसम में अलवर मंडी में 40 से 50 हजार कट्टों की प्रतिदिन आवक होती है. तो वहीं सामान्य तौर पर 25 से 30 कट्टे प्रतिदिन आते हैं. व्यापारियों को आगामी समय में नेफेड की सरसों का इंतजार है. क्योंकि अलवर के लिए सरसों खासी अहम है. अलवर से देश भर में सरसों सप्लाई होती है. तो वहीं अलवर की तेल भी लोग को भी सरसों की खासी आवश्यकता है.