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जालोरः मोबाइल फोन बना झुनझुना, कई गांव में नेटवर्क की समस्या - जालोर में मोबाइल नेटवर्क की समस्या

जालोर के आहोर कस्बे समेत आसपास के गांवो मे मोबाइल नेटवर्क की समस्या से आमजन परेशान हैं. बिना नेटवर्क के लोगों को मोबाइल पर बात करने के लिए काफी समस्या होती है. नेटवर्क के अभाव में लोगों का मोबाइल खिलौना बना हुआ है.

जालोर की खबर,  jalore news , जालोर में मोबाइल नेटवर्क की समस्या,  Mobile network problem in Jalore
मोबाइल फोन बना झुनझुना
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Published : Jan 23, 2020, 3:31 PM IST

आहोर (जालोर). भाद्राजून कस्बे में भामाशाह योजना के तहत ग्रामीणों को मिला जीओ मोबाइल, नेटवर्क के अभाव मे मोबाइल खिलौना बना हुआ है. कस्बे समेत आसपास के गांवो मे मोबाइल नेटवर्क की समस्या से आमजन परेशान हैं.

भाद्राजून कस्बे में मोबाइल फोन बना झुनझुना

सरकार की ओर से डिजिटल इंडिया का सपना अब भी भाद्राजून गांव समेत क्षेत्र के कई गांवों में धरातल से दूर है. क्षेत्र के दूर-देहाती दर्जनभर गांवों में लोग मोबाइल पर बात करने के लिए मकानों की छत पर चढ़ने को मजबूर है. घरों और दुकानों पर रखे मोबाइल लोगों के लिए झुनझुने बने हुए रहते है. इनकमिंग कॉल के लिए लोग मोबाइल को भी छत और पेड़ पर रखते है.

पढ़ेंः जालोरः रसद विभाग सख्त, 2 राशन दुकान निलंबित

शहरी क्षेत्रों में कई नेटवर्क प्रदाता कंपनियों में जबरदस्त प्रतिस्पद्र्धा है, लेकिन दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्र में एक भी मोबाइल टॉवर नहीं है. या आसपास में लगे टाॅवर से दूर हाने की वजन से नेटवर्क नही मिल पाता है. ऐसे में दर्जनों गांव-ढाणियों में मोबाइल नेटवर्क नहीं मिलता है.

पढ़ेंः दूसरे चरण में जालोर में 63.82 प्रतिशत हुआ मतदान, सभी परिणाम किये गए जारी

ग्रामीणों को बात करने के लिए गांव में जहां नेटवर्क मिलता है, उस स्थान पर जाकर बात करते हैं. भाद्राजून गांव के ग्रामीणों का कहना है कि मोबाइल पर बात करने के लिए मकानों की छतों या पेड़ों पर पहुंचना पड़ता है. इसके अलावा ग्रामीणों ने गांव में कई स्थाना भी चिह्नित कर रखे है, वहां पर पहुंचकर मोबाइल पर बात हो पाती हैं.

आहोर (जालोर). भाद्राजून कस्बे में भामाशाह योजना के तहत ग्रामीणों को मिला जीओ मोबाइल, नेटवर्क के अभाव मे मोबाइल खिलौना बना हुआ है. कस्बे समेत आसपास के गांवो मे मोबाइल नेटवर्क की समस्या से आमजन परेशान हैं.

भाद्राजून कस्बे में मोबाइल फोन बना झुनझुना

सरकार की ओर से डिजिटल इंडिया का सपना अब भी भाद्राजून गांव समेत क्षेत्र के कई गांवों में धरातल से दूर है. क्षेत्र के दूर-देहाती दर्जनभर गांवों में लोग मोबाइल पर बात करने के लिए मकानों की छत पर चढ़ने को मजबूर है. घरों और दुकानों पर रखे मोबाइल लोगों के लिए झुनझुने बने हुए रहते है. इनकमिंग कॉल के लिए लोग मोबाइल को भी छत और पेड़ पर रखते है.

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शहरी क्षेत्रों में कई नेटवर्क प्रदाता कंपनियों में जबरदस्त प्रतिस्पद्र्धा है, लेकिन दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्र में एक भी मोबाइल टॉवर नहीं है. या आसपास में लगे टाॅवर से दूर हाने की वजन से नेटवर्क नही मिल पाता है. ऐसे में दर्जनों गांव-ढाणियों में मोबाइल नेटवर्क नहीं मिलता है.

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ग्रामीणों को बात करने के लिए गांव में जहां नेटवर्क मिलता है, उस स्थान पर जाकर बात करते हैं. भाद्राजून गांव के ग्रामीणों का कहना है कि मोबाइल पर बात करने के लिए मकानों की छतों या पेड़ों पर पहुंचना पड़ता है. इसके अलावा ग्रामीणों ने गांव में कई स्थाना भी चिह्नित कर रखे है, वहां पर पहुंचकर मोबाइल पर बात हो पाती हैं.

Intro:आहोर के भाद्राजून कस्बे में भामाशाह योजना के तहत ग्रामीणों को मिला जीओ मोबाइल मे नेटवर्क के अभाव मे मोबाइल खिलौना बना हुआ है। कस्बे समेत आसपास के गांवो मे मोबाइल नेटवर्क की समस्या से आमजन परेशान हैं। सरकार द्वारा डिजिटल इंडिया का सपना अब भी भाद्राजून गांव समेत क्षेत्र के कई गांवों में धरातल से दूर है। क्षेत्र के दूर-देहाती दर्जनभर गांवों में लोग मोबाइल पर बात करने के लिए मकानों की छत पर चढने को मजबूर है। घरों व दुकानों पर रखे मोबाइल लोगों के लिए झुनझुने बने हुए रहते है। इनकमिंग कॉल के लिए लोग मोबाइल को भी छत व पेड़ पर रखते है।Body:आहोर. भाद्राजून कस्बे समेत आसपास के गांवो मे मोबाइल नेटवर्क की समस्या से आमजन परेशान हैं। सरकार द्वारा डिजिटल इंडिया का सपना अब भी भाद्राजून गांव समेत क्षेत्र के कई गांवों में धरातल से दूर है। क्षेत्र के दूर-देहाती दर्जनभर गांवों में लोग मोबाइल पर बात करने के लिए मकानों की छत पर चढने को मजबूर है। घरों व दुकानों पर रखे मोबाइल लोगों के लिए झुनझुने बने हुए रहते है। इनकमिंग कॉल के लिए लोग मोबाइल को भी छत व पेड़ पर रखते है। मोबाइल बजते ही लोग बात करने के लिए छत पर चढ़ जाते है। शहरी क्षेत्रों में कई नेटवर्क प्रदाता कंपनियों में जबरदस्त प्रतिस्पद्र्धा है, लेकिन दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्र में एक भी मोबाइल टॉवर नहीं है, या आसपास मे लगे टाॅवर से दूर हाने की वजन से नेटवर्क नही मिल पाता है। ऐसे में दर्जनों गांव-ढाणियों में मोबाइल नेटवर्क नहीं मिलता है। ग्रामीणों बात करने के लिए गांव में जहां नेटवर्क मिलता ह,ै उस स्थान पर जाकर बात करते हैं। भाद्राजून गांव के ग्रामीणों का कहना है कि मोबाइल पर बात करने के लिए मकानों की छतों या पेड़ों पर पहुंचना पड़ता है। इसके अलावा ग्रामीणों ने गांव में कई स्थाना भी चिह्नित कर रखे है, वहां पर पहुंचकर मोबाइल पर बात हो पाती हैं। गांवों में नेटवर्क नहीं होने से लोगों को कॉल तक नहीं मिल पाती है।
यहां पर नही मिलता है मोबाइल नेटवर्क
भाद्राजून समेत पहाड़ी क्षेत्रों के गांवों की तरह क्षेत्र के दर्जनभर गांवों के ग्रामीण मोबाइल नेटवर्क की समस्या परेशान है। क्षेत्र के भाद्राजून गांव, कुआरड़ा, थुम्बा का गोलिया, पिपरला ढाणी, गोविन्दला सहित कई दूर-देहाती ढाणियों और गांवों में मोबाइल लोगों के लिए झुनझुने बन जाते है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार द्वारा भामाशाह योजना के तहत दिए गए 1100 रूपये मे जीओ के मोबाइल खिलोना बन गए है, इन मोबाइल मे नेटवर्क नहीे आने से ये काई काम का नहीं हैं। हर घर में मोबाइल तो है लेकिन मोबाइल से नेटवर्क गायब रहता है।Conclusion:बाइट- घनश्याम सिंह, युवा भाद्राजून
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