जोधपुर. प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा के बढ़ते मामलों को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट सख्त है. जिसके तहत शुक्रवार को राजस्थान उच्च न्यायालय की मुख्य पीठ जोधपुर में जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस विनीत माथुर की खंडपीठ ने अलवर, भरतपुर और झालावाड़ में हुई घटनाओं और महिलाओं के प्रति बढ़ रही यौन हिंसा की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए प्रसंज्ञान लिया.
27 मई तक पुलिस महानिदेशक से जवाब-रिपोर्ट मांगी
इस दौरान खंड पीठ ने पुलिस पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि पुलिस इतनी नकारा हो गई है कि ऐसे गंभीर मामलों में भी कार्रवाई नहीं कर रही है. खंडपीठ ने मीडिया आ रही खबरों पर प्रसंज्ञान लेते हुए महानिदेशक पुलिस राजस्थान जयपुर को शपथ पत्र पेश करने और 27 मई तक जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं.
पिछले 3 महीनों में प्रदेशभर में 63 मामले
दरअसल, मीडिया में प्रसारित खबरों में यह तथ्य सामने आया कि महिलाओं के विरुद्ध यौन हिंसा के पिछले 3 महीनों में प्रदेश भर में 63 मामले सामने आए. जिनमें सिर्फ 3 में ही कार्रवाई की गई. जिससे पुलिस की कार्रवाई पर प्रश्नचिन्ह लगा है. जिसको गंभीरता से लेते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश संदीप मेहता व विनीत माथुर की खंडपीठ ने प्रसंज्ञान लिया है.
पुलिस विभाग और प्रशासन पर तल्ख टिप्पणी
खंडपीठ ने पुलिस विभाग व प्रशासन पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या प्रशासन और पुलिस इतनी नाकारा हो गई कि इतने गंभीर मामलों में भी कार्रवाई को लेकर तत्परता नहीं दिखाती. इसके बाद खंडपीठ ने अतिरिक्त महाधिवक्ता फरजंद अली खान को खंडपीठ में तलब कर नोटिस थमाते हुए, राजस्थान पुलिस के महानिदेशक को आगामी 27 मई को शपथ पत्र के साथ लिखित में जवाब मांगा है, कि ऐसे मामले को लेकर पुलिस विभाग क्या कार्रवाई कर रहा है ? और किस तरह की रणनीति अपनाकर इस तरह के मामलों को रोकथाम करने के प्रयास किए जा रहे है ?
महानिदेशक पुलिस से विस्तृत रिपोर्ट मांगी
साथ ही महानिदेशक पुलिस से इसे लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. साथ ही खंडपीठ ने यह भी पूछा है कि इस तरह के कितने मामले दर्ज हुए? और कितने मामलों में पुलिस ने क्या कार्रवाई की है ? कितने मामलों में पुलिस की कार्रवाई करके रिपोर्ट पेश की जा चुकी है ?