झुंझुनू. जिले के मलसीसर उपखंड के गांव गुसाई की ढ़ाणी के एक परिवार पर दोहरा दुख का पहाड़ टूट गया है. इस परिवार ने एक तो घर का कमाने वाला खोया है, वहीं दूसरी ओर उसकी मौत के बाद परिजनों को शव भी अंतिम संस्कार के लिए नसीब नहीं हो रहा है. जानकारी के अनुसार गति दिनों दुबई में हार्ट अटैक से इस परिवार के 44 वर्षीय पन्नेसिंह पुत्र भगवान सिंह की मौत हो गई. अब वहां की सरकार कोरोना से मौत बताकर शव नहीं भेज रही है. परिजन पिछले 23 दिन से शव का इंतजार कर रहे हैं और लगातार शोक बैठक कर रहे हैं. परिजनों द्वारा शव नहीं आने तक बैठक करने का निर्णय किया है.
सीने में दर्द के साथ हुई मौत
जानकारी के अनुसार पन्नेसिंह को 7 मार्च को ड्यूटी के दौरान सीने में दर्द उठा. जब तक उसे अस्पताल ले जाते उसकी मौत हो गई. वह दुबई में अल बस्ती मुक्ता एलएलसी कंपनी में दो साल से काम कर रहा था. होली पर घर आने वाला था, लेकिन अब वहां की सरकार कोरोना का हवाला देते हुए शव भारत नहीं भेज रही है. वहीं परिजन भी इस बात पर अड़े हुए हैं कि शव को घर भेजा जाए.
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परिजन पिछले 23 दिन से शोक बैठक कर रहे हैं. हिंदू धर्म मे शोक बैठक 11 दिन की ही होती है, लेकिन पन्नेसिंह की पत्नी और दो बेटियां शव का पथराई आंखों से इंतजार कर रही हैं. पत्नी सुमित्रा देवी बार बार बेहोश हो रही है. बेटा ओमप्रकाश, बेटी मुकेश और सुमन की आंखें गम में पथरा सी गई है. तीनों बच्चे चूरू की लोहिया कॉलेज में पढ़ रहे हैं.
सरकार और कंपनी दिखाए संवेदनशीलता
मौत के बाद सरकार और कंपनी को संवेदनशीलता का परिचय देना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. मेडिकल रिपोर्टों में वहां के अस्पताल या फिर कंपनी ने हेराफेरी की और जिस पन्नेसिंह की मौत हार्ट अटैक से हुई. उसे कोरोना से मौत होना बताया जा रहा है. ग्रामीणों का आरोप है कि दो अलग-अलग कोविड रिपोर्ट जारी की गई है, जिससे तय है कि कोरोना रिपोर्ट में हेराफेरी की गई है. जिस कंपनी में पन्नेसिंह काम करता था, उस कंपनी ने उसकी मौत पर कुछ भी करने का तैयार नहीं है, बल्कि अब लगातार परिवार पर दबाव बनाया जा रहा है कि पत्नी की एनओसी भेज दें. वे पन्नेसिंह का दाह संस्कार दुबई में ही कर देंगे, लेकिन परिवार और ग्रामीण ये मानने को तैयार नहीं कि मौत कोरोना से हुई है.