हनुमानगढ़. भाखड़ा नहर सिस्टम से 1650 क्यूसेक पानी देने की मांग के समर्थन में किसानों ने 17 जून(सोमवार ) को हनुमानगढ़ स्थित चीफ इंजीनियर कार्यालय के समक्ष धरना-प्रदर्शन किया. इस दौरान किसानों ने चेतावनी देते हुए कहा कि भाखड़ा की नहरों में अगर पूरा पानी नहीं दिया गया. तो वे आंदोलन का रूख अपनाएंगे.
प्रदर्शन कर रहे किसानों ने साफ तौर पर आरोप लगाया कि सिंचाई विभाग की लापरवाही और सरकार की उदासीनता की वजह से आज किसानों के हक का पानी पाकिस्तान जा रहा है. लेकिन, उसे रोका नहीं जा रहा है. ऐसे में उनकी फसलें खराब हो रही है और जल्द ही अगर उन्हें पानी पूरा नहीं दिया जाता है तो वह सिंचाई कार्यालय पर अनिश्चितकालीन धरना देंगे.
पानी कम दिया जाने पर किसानों का आरोप
अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने बताया कि भाखड़ा सिंचाई प्रणाली की नहरों में 1650 क्यूसेक पानी दिया जाए. जबकि अभी मात्र 1300 पानी चल रहा है. जबकि जबकि नहरों की क्षमता 2350 क्यूसेक पानी की है. बावजूद, इसके उन्हें पानी कम दिया जा रहा है और मुख्य बात यह है कि नहरों का पानी पाकिस्तान जा रहा है. उनका आरोप है कि सिंचाई विभाग पंजाब के हुसैनीवाला हेड से अतिरिक्त पानी को पाकिस्तान की तरफ छोड़ देते हैं और भाखड़ा के किसानों को पानी उपलब्ध नहीं करवाए जाता.
अनिश्चितकालीन धरने की चेतावनी
किसानों ने पाकिस्तान जा रहे पानी को रोककर बागड़ा की नहर में पानी देने की मांग रखी. उन्होंने कहा कि अगर उनकी समस्या का हल नहीं किया जाता है तो वे अब सिंचाई विभाग कार्यालय पर अनिश्चितकालीन धरना देंगे.
पाकिस्तान जाने वाले पानी की मसला ऊपरी स्तर का ः अधिकारी
वहीं किसानों के प्रदर्शन के बाद सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि वे 100-100 क्यूसिक पानी नहरों में छोड़कर उनकी पूर्ति करवाएंगे. साथ ही पाकिस्तान जा रहे पानी पर बताते हुए कहा कि यह मसला ऊपरी स्तर का है. इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं कि पानी पाकिस्तान ना जाए और उस पानी को भाखड़ा की नहर में छोड़ा जाए इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं. साथ ही सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता जे.एस कलसी ने कहा कि जल्द ही किसानों की समस्या को दूर किया जाएगा.
पानी नहीं मिला तो होगा बड़ा आंदोलन
हालांकि आश्वासन के बाद किसानों ने एक बार राहत जरूर ली है कि उनकी मांग जो है वह पूरी हो जाएगी. लेकिन, साथ ही उन्होंने चेतावनी भी दी है अगर जल्द ही उनकी पानी की मांग को पूरा नहीं किया जाता है. तो वह एक बड़ा आंदोलन करेंगे. जिसमें श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जिले के किसान शामिल होंगे.