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धौलपुर में राजस्थान दिवस के अवसर पर सांस्कृतिक संध्या का आयोजन, गीत-नृत्य ने बांधा समा

राजस्थान दिवस के अवसर पर धौलपुर में सांस्कृतिक संध्या समारोह का आयोजन हुआ. इस दौरान गायन, वादन एकल नृत्य, समूह नृत्य सहित, युगल नृत्य की प्रस्तुति दी गई. इस दौरान कलेक्टर ने राजस्थान का एकीकारण के बारे में बताया.

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धौलपुर में राजस्थान दिवस के अवसर पर सांस्कृतिक संध्या का आयोजन
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Published : Mar 31, 2021, 9:08 PM IST

धौलपुर. राजस्थान दिवस के अवसर पर सांस्कृतिक संध्या समारोह का जिला प्रशासन के सौजन्य से नगर परिषद ऑडिटोरियम में जिला कलेक्टर राकेश कुमार जायसवाल के मुख्य आतिथ्य में आयोजन हुआ. राजस्थान की कला एवं संस्कृति विरासत विशिष्ट पहचान रखती है. सांस्कृतिक कार्यक्रम के अन्तर्गत गायन, वादन एकल नृत्य, समूह नृत्य सहित, युगल नृत्य, बांसुरी वादक, अन्य कार्यक्रमों का आयोजन हुआ. बांसुरी वादक राजीव कुमार गर्ग ने बहुत ही शानदार मनमोहक प्रस्तुति दी.

जिला कलक्टर राकेश कुमार जायसवाल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि राजस्थान का एकीकारण 7 चरणों में सम्पन्न हुआ. प्रथम चरण में 18 मार्च 1948 को धौलपुर, भरतपुर, करौली और अलवर का विलय कर मत्स्य संघ का निर्माण हुआ. धौलपुर के महाराजा उदयभान सिंह मत्स्य संघ के राजप्रमुख बने. दूसरे चरण में झालावाड़, कोटा, बूंदी समेत कुछ रियासतों का मिलाकर राजस्थान यूनियन नामक इकाई का गठन हुआ. तीसरे चरण में 18 अप्रैल को राजस्थान यूनियन में उदयपुर रिसायत के मिलने से संयुक्त राजस्थान का गठन हुआ. चौथे चरण में 30 मार्च 1949 को जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर और बीकानेर का संयुक्त राजस्थान में विलय हुआ. नवगठित इकाई को वृहद राजस्थान के नाम से जाना गया.

यह भी पढ़ें- युवाओं में उद्यमिता के प्रति सकारात्मक मानसिकता का निर्माण करें विश्वविद्यालयः राज्यपाल

15 मई 1949 को वृहद राजस्थान में मत्स्य संघ मिल गया. इस नवगठित इकाई को संयुक्त वृहद राजस्थान के नाम से जाना गया. 26 जनवरी 1950 को माउन्ट आबू को छोड़कर सिरोही जिले को संयुक्त वृहद राजस्थान में मिलाकर राजस्थान संघ का गठन हुआ. 1 नवम्बर 1956 को माउन्ट आबू, अजमेर-मेरवाड़ा को मिलाया गया. इसके साथ ही मध्यप्रदेश के सुनेल टप्पा को राजस्थान में शामिल किया गया तथा झालावाड़ के सिंरोंज क्षेत्रा को मध्यप्रदेश को दे दिया गया. जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर और बीकानेर 30 मार्च 1949 को संयुक्त राजस्थान में शामिल हुए. इन 4 बड़ी रियासतों के शामिल होने के कारण 30 मार्च को राजस्थान दिवस मनाया जाता है.

धौलपुर. राजस्थान दिवस के अवसर पर सांस्कृतिक संध्या समारोह का जिला प्रशासन के सौजन्य से नगर परिषद ऑडिटोरियम में जिला कलेक्टर राकेश कुमार जायसवाल के मुख्य आतिथ्य में आयोजन हुआ. राजस्थान की कला एवं संस्कृति विरासत विशिष्ट पहचान रखती है. सांस्कृतिक कार्यक्रम के अन्तर्गत गायन, वादन एकल नृत्य, समूह नृत्य सहित, युगल नृत्य, बांसुरी वादक, अन्य कार्यक्रमों का आयोजन हुआ. बांसुरी वादक राजीव कुमार गर्ग ने बहुत ही शानदार मनमोहक प्रस्तुति दी.

जिला कलक्टर राकेश कुमार जायसवाल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि राजस्थान का एकीकारण 7 चरणों में सम्पन्न हुआ. प्रथम चरण में 18 मार्च 1948 को धौलपुर, भरतपुर, करौली और अलवर का विलय कर मत्स्य संघ का निर्माण हुआ. धौलपुर के महाराजा उदयभान सिंह मत्स्य संघ के राजप्रमुख बने. दूसरे चरण में झालावाड़, कोटा, बूंदी समेत कुछ रियासतों का मिलाकर राजस्थान यूनियन नामक इकाई का गठन हुआ. तीसरे चरण में 18 अप्रैल को राजस्थान यूनियन में उदयपुर रिसायत के मिलने से संयुक्त राजस्थान का गठन हुआ. चौथे चरण में 30 मार्च 1949 को जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर और बीकानेर का संयुक्त राजस्थान में विलय हुआ. नवगठित इकाई को वृहद राजस्थान के नाम से जाना गया.

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15 मई 1949 को वृहद राजस्थान में मत्स्य संघ मिल गया. इस नवगठित इकाई को संयुक्त वृहद राजस्थान के नाम से जाना गया. 26 जनवरी 1950 को माउन्ट आबू को छोड़कर सिरोही जिले को संयुक्त वृहद राजस्थान में मिलाकर राजस्थान संघ का गठन हुआ. 1 नवम्बर 1956 को माउन्ट आबू, अजमेर-मेरवाड़ा को मिलाया गया. इसके साथ ही मध्यप्रदेश के सुनेल टप्पा को राजस्थान में शामिल किया गया तथा झालावाड़ के सिंरोंज क्षेत्रा को मध्यप्रदेश को दे दिया गया. जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर और बीकानेर 30 मार्च 1949 को संयुक्त राजस्थान में शामिल हुए. इन 4 बड़ी रियासतों के शामिल होने के कारण 30 मार्च को राजस्थान दिवस मनाया जाता है.

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