जयपुर. कलानेरी आर्ट गैलरी में चार दिवसीय वर्कशॉप का समापन हो गया है. इसमें सभी उम्र के विद्यार्थियों ने भाग लिया. हर साल कलानेरी द्वारा आयोजित क्रिएटिव वर्कशॉप सिरीज के तहत इस बार पहली वर्कशॉप 30 शताब्दी पुरानी चारकोल आर्ट के साथ शुरुआत की गई, जिसे शहर के जाने-माने युवा आर्टिस्ट दुर्गेश अटल ने लिया.
प्रतिभागियों ने विभिन्न प्रकार के विषयों का चयन किया, जिनमें साफा लगाए हुए ग्रामीण पुरुष, कैप लगाए हुए मॉडर्न गर्ल, रेसिंग कार और हॉर्स ग्रामीण युवती की पेंटिंग्स खास रही. सभी प्रतिभागियों को प्रतिदिन 3 घंटे की समय अवधि में दुर्गेश ने चारकोल का इस्तेमाल करना और विभिन्न तकनीकों के बारे में जानकारी दी.
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कलानेरी आर्ट गैलरी की डायरेक्टर सौम्या विजय शर्मा ने बताया की, इन क्रिएटिव वर्क शॉप में आने वाले समय में वाटर कलर, इंक आर्ट, रेजिन आर्ट, फोक आर्ट आदि पर वर्कशॉप की जाएंगी, जिनकी जानकारी कलानेरी आर्ट गैलरी से प्राप्त की जा सकती है. सभी प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट और उनके द्वारा बनाया गया आर्ट वर्क उन्हें एक समारोह में दिया जाएगा.
आर्टिस्ट कोलेबोरेशन सीरीज एपिसोड- 4
कला एवं संस्कृति विभाग और जवाहर कला केंद्र की ओर से आर्टिस्ट कोलेबोरेशन सीरीज एपिसोड- 4 के तहत 'चित्रम' - ए वर्चुअल ग्रुप एग्जीबिशन का आयोजन किया जा रहा है. एग्जीबिशन के पहले दिन शनिवार को आर्किटेक्ट, प्रोडक्ट डिजाइनर और कार्टूनिस्ट निश्छल जैन ने अपने कोविड लॉकडाउन की अवधि के दौरान बनाए गए कार्टून्स का कलेक्शन प्रस्तुत किया.
एग्जीबिशन में कोरोना, पैन्डेमिक, लॉकडाउन सहित अन्य मुद्दों जैसे कि पॉलिटिक्स, सोशल डिस्टेंसिंग, न्यू नॉर्मल, डिजाइन, मास्क आदि पर बने कार्टून प्रदर्शित किए गए. इन अनूठे कार्टून्स के जरिए आम आदमी से जुड़े मुद्दों को दर्शाया गया. गौरतलब है कि, जैन छोटी उम्र से ही कार्टून बनाते आ रहे हैं और उनका पहला कार्टून 14 साल की उम्र में समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ था. उसके बाद से उनके बनाए कार्टून्स देश के विभिन्न पब्लिकेशंस में प्रकाशित हो चुके हैं. उनकी रचनाओं के लिए उन्हें कई पुरस्कार भी मिले हैं.
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वहीं रविवार को जयपुर के आर्टिस्ट यूनुस खिमानी साल 1995 से लेकर अब तक की कुछ खास कलाकृतियों को प्रस्तुत करेंगे, जो पिछले 40 साल से आर्टिस्ट के रूप में सक्रिय हैं. वे दोनों ट्रेडिशनल और कंटेम्पररी आर्ट में रूची रखते हैं और दोनों के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश करते हैं. हालांकि वे कंटेम्पररी आर्ट में प्रशिक्षित हैं. भारत में कुछ प्रमुख डिजाइन संस्थानों में वे फेक्लटी के रूप में करीब 25 साल से डिजाइन एज्यूकेशन में हैं. उनका कार्य उनके विभिन्न अनुभवों से समृद्ध है. उनका कार्य खोज पर आधारित है.