अयोध्या: भगवान रामलला के मंदिर निर्माण के लिए प्रत्येक माह होने वाली भवन निर्माण समिति की दो दिवसीय बैठक रविवार को श्री राम जन्मभूमि परिसर और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के दफ्तर में हुई. इस दरमियान भवन निर्माण समिति के सभी पदाधिकारी मौजूद रहे. बैठक की अध्यक्षता समिति के चेयरमैन नृपेन्द्र मिश्रा ने की. बैठक में भगवान राम लला के मंदिर में अचल मूर्ति के तौर पर स्थापित की जाने वाली प्रतिमा को लेकर मंथन हुआ.
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय की मानें तो भगवान रामलला की अचल मूर्ति के तौर पर शालिग्राम पत्थर का उपयोग किया जा सकता है. हालांकि उन्होंने मूर्तिकला के विशेषज्ञ और मूर्ति निर्माण करने वालों के पाले में गेंद डाल दी. उन्होंने यह जरूर कहा कि नेपाल के लोगों की श्रद्धा सिर माथे पर. अगर भगवान राम लला की अचल मूर्ति के लिए सबसे उपयुक्त पत्थर शालिग्राम पत्थर हुआ तो फिर मां जानकी के नगर से भगवान राम के आकार के लिए लाए गए पत्थर का उपयोग किया जाएगा.
श्री राम जन्मभूमि मंदिर में स्थापित होने वाली रामलला की मूर्ति के लिए नेपाल की काली गंडकी नदी के तट से शालिग्राम पत्थर आएंगे. इसे नेपाल देश के संत अयोध्या को उपहार स्वरूप दे रहे हैं. इस आशय की जानकारी श्री राम मंदिर निर्माण समिति की 2 दिवसीय बैठक के बाद श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट महासचिव चंपत राय ने दी.
बैठक में चर्चा हुई कि इस बार रामलला की मूर्ति के स्वरूप की कितनी दूरी से दर्शन करने पर भक्त भाव विभोर हो सकते हैं. मूर्ति की ऊंचाई कितनी होगी. आंखों की कोमलता, देवत्व, होठों की मुस्कान, गाल और मस्तक के साथ नाभि को लेकर भी विचार विमर्श किया गया. यह भी मंथन हुआ कि मूर्ति किसी भी दशा में बाल स्वरूप में ही नजर आनी चाहिए.
बैठक की विशेषता यह रही कि 2 दिनों में निर्माण समिति की बैठक तीन अलग-अलग चरणों में अलग-अलग स्थानों पर हुई. राम मंदिर निर्माण कार्यशाला में सदस्यों और श्री राम जन्मभूमि परिसर में तकनीकी एक्सपोर्ट्स की दोपहर बाद एक साथ बैठक हुई. इसमें निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, सदस्य डॉ. अनिल मिश्र, जगतगुरु वासुदेवानंद सरस्वती, राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी आदि प्रमुख रूप से शामिल रहे.
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