ETV Bharat / bharat

राजस्थान मृत शरीर का सम्मान विधेयक 2023 ध्वनिमत से पारित, शव के साथ प्रदर्शन करने पर अब मिलेगी ये सजा

विधानसभा में राजस्थान मृत शरीर का सम्मान विधेयक 2023 पक्ष-विपक्ष की चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित हो गया. इस विधेयक के पास होने के बाद अब राजस्थान में कोई भी परिजन या अन्य व्यक्ति मृत शरीर को लेकर धरना-प्रदर्शन नहीं कर सकेंगे. बिल में सजा का प्रावधान है.

Rajasthan Vidhansabha
राजस्थान मृत शरीर का सम्मान विधेयक 2023 ध्वनिमत से पारित
author img

By

Published : Jul 20, 2023, 8:00 PM IST

Updated : Jul 20, 2023, 10:44 PM IST

विधानसभा में विधेयक पर बोलते मंत्री शांति धारीवाल.

जयपुर. राजस्थान में अब शवों पर सियासत नहीं होगी. प्रदेश की गहलोत सरकार ने विधानसभा में राजस्थान मृत शरीर का सम्मान विधेयक 2023 ध्वनिमत से पारित करवा लिया. इसके बाद अब कोई भी परिजन या अन्य व्यक्ति मृत शरीर को लेकर अपनी मांगें मनवाने के लिए किसी प्रकार का धरना-प्रदर्शन नहीं कर सकेंगे. इस बिल में मृत शरीर के साथ विरोध प्रदर्शन करने और समय पर अंतिम संस्कार नहीं करने पर जुर्माने के साथ सजा का प्रावधान किया गया है. इसमें पांच साल तक सजा का प्रावधान किया है.

इस विधेयक में लावारिस शवों का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार करना और इन शवों की डीएनए प्रोफाइलिंग और डिजिटाइजेशन के माध्यम से आनुवंशिक जेनेटिक डाटा सूचना का संरक्षण और सूचना की गोपनीयता रखने जैसे महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं. इससे लावारिस शवों का रिकॉर्ड संधारित हो सकेगा और उनकी भविष्य में पहचान भी हो सकेगी. उन्होंने बताया कि वर्ष 2023 तक प्रदेश में 3216 लावारिस शव मिले हैं.

मृत शरीर का सम्मानः बिल सदन में पेश करते हुए संसदीय कार्यमंत्री शांति कुमार धारीवाल ने कहा कि मृत शरीर का सम्मान जरूरी है. इसके लिए राजस्थान मृत शरीर का सम्मान विधेयक-2023 लाना जरूरी था. उन्होंने कहा कि इस बिल के आने से मृत शरीरों की गरिमा सुनिश्चित होगी. साथ ही राजनीति या अन्य स्वार्थ के लिए शव के धरना-प्रदर्शन में किए जाने वाले दुरुपयोग पर प्रभावी रोक लगेगी. धारीवाल ने कहा कि मृत शवों को रखकर धरना-प्रदर्शन करने की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है.

पढ़ें : Rajasthan Vidhansabha : बिजली के मुद्दे पर विपक्ष ने किया वॉकआउट, राठौड़ बोले- राजस्थान में 'अंधेर नगरी, चौपट राजा'

धारीवाल ने विधानसभा में कहा कि साल 2014 से 2018 तक इस तरह की 82 और साल 2019 से अब तक 306 घटनाएं हुई हैं. इस तरह की घटनाओं पर प्रभावी रूप से रोक लगाने के लिए ये विधेयक लाना जरूरी था. धारीवाल ने लावारिस शवों को लेकर कहा कि साल 2023 तक प्रदेश में 3216 लावारिस शव मिले हैं. इन शवों के अंतिम संस्कार का अधिकार पुलिस या अन्य किसी अधिकारी के पास नहीं था. इस बिल के आने के बाद लावारिस शवों का सम्मान पूर्वक अंतिम संस्कार करना और इन शवों की डीएनए प्रोफाइलिंग और डिजिटलाइजेशन के माध्यम से आनुवंशिक जेनेटिक डाटा सूचना का संरक्षण और सूचना की गोपनीयता रखने जैसे महत्वपूर्ण अधिकारी मिलेंगे. उन्होंने कहा कि इससे लावारिस शवों का रिकॉर्ड सुरक्षित हो सकेगा और उनकी भविष्य में पहचान भी हो सकेगी.

Rajasthan Assembly Session
शांति धारीवाल और राजेंद्र राठौड़

ये है जुर्माने और सजा का प्रावधानः संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने विधेयक पेश करते हुए बताया कि परिजन की ओर से मृत व्यक्ति का शव नहीं लेने की स्थिति में विधेयक में एक वर्ष तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है. इसके साथ ही, परिजन की और से धरना-प्रदर्शन में शव का उपयोग करने पर भी 2 वर्ष तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान इस विधेयक में किया गया है. इसी प्रकार, परिजन से भिन्न अन्य व्यक्ति की और से शव का विरोध के लिए इस्तेमाल करने पर 6 माह से 5 वर्ष तक की सजा और जुर्माने से दंडित करने का प्रावधान किया गया है. धारीवाल ने बताया कि विधेयक के आने के बाद कार्यपालक मजिस्ट्रेट को मृतक का अंतिम संस्कार 24 घंटे में कराने की शक्ति दी गई है.

यह अवधि विशेष परिस्थितियों में बढ़ाई भी जा सकेगी. इसके साथ ही परिजन की ओर से शव का अंतिम संस्कार नहीं करने की स्थिति में लोक प्राधिकारी को अंतिम संस्कार करने का अधिकार होगा. धारीवाल ने बताया कि ये विधेयक सुप्रीम कोर्ट के सिविल रिट पिटीशन आश्रय अधिकार अभियान बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में उच्चतम न्यायालय ने मृत शरीरों के शिष्टतापूर्वक दफन और अंतिम संस्कार के निर्देश की पालना में लाया गया है.

पहला मुकदमा कांग्रेस विधायक परः विधेयक पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि इस बिल में शव के साथ प्रदर्शन पर सजा का प्रावधान करने का फैसला आपातकाल में मीसा और डीआरआई जैसे कानूनों की याद दिला दी है. राठौड़ ने कहा कि ऐसी घटना क्यों घटित हो रही है, क्या कारण है ? इन सबके हम सब लोग साक्षी रहे हैं. इस बिल के पास होने पर सबसे पहले मुकदमा दर्ज होगा ओसियां से आने वाली कांग्रेस की विधायक पर, क्योंकि वो शव के साथ बैठी हैं. जिस प्रकार की घटना जोधपुर में हुई, 4 लोगों को जिंदा जला दिया गया, उनके इंसाफ के लिए वहां धरना चल रहा है. इस विधेयक के आने के बाद अगर मैं वहां जाता हूं तो मुझ पर भी मुकदमा दर्ज हो जएगा. ये कैसा कानून है ?.

राठौड़ ने कहा कि कौन होगा जो अपने परिजन की मौत के बाद शव को सड़क पर रख प्रदर्शन करेगा, क्यों ऐसे हालत बन रहे हैं. पहले उन्हें ठीक करने की जरूरत है. सरकारें आएंगी, सरकारें जाएंगी, लेकिन जनता को सुशासन देने की जिम्मेदारी सरकार की है. जब भारी अन्याय होता है तभी मजबूरन परिजनों को ऐसा करना पड़ता है. उन्हें दो साल सजा देंगे ?. राठौड़ ने कहा कि गहलोत सरकार जाते-जाते ऐसा कानून लेकर आई है जो आम आवाम की आवाज को दबाने वाला है, इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

विधानसभा में विधेयक पर बोलते मंत्री शांति धारीवाल.

जयपुर. राजस्थान में अब शवों पर सियासत नहीं होगी. प्रदेश की गहलोत सरकार ने विधानसभा में राजस्थान मृत शरीर का सम्मान विधेयक 2023 ध्वनिमत से पारित करवा लिया. इसके बाद अब कोई भी परिजन या अन्य व्यक्ति मृत शरीर को लेकर अपनी मांगें मनवाने के लिए किसी प्रकार का धरना-प्रदर्शन नहीं कर सकेंगे. इस बिल में मृत शरीर के साथ विरोध प्रदर्शन करने और समय पर अंतिम संस्कार नहीं करने पर जुर्माने के साथ सजा का प्रावधान किया गया है. इसमें पांच साल तक सजा का प्रावधान किया है.

इस विधेयक में लावारिस शवों का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार करना और इन शवों की डीएनए प्रोफाइलिंग और डिजिटाइजेशन के माध्यम से आनुवंशिक जेनेटिक डाटा सूचना का संरक्षण और सूचना की गोपनीयता रखने जैसे महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं. इससे लावारिस शवों का रिकॉर्ड संधारित हो सकेगा और उनकी भविष्य में पहचान भी हो सकेगी. उन्होंने बताया कि वर्ष 2023 तक प्रदेश में 3216 लावारिस शव मिले हैं.

मृत शरीर का सम्मानः बिल सदन में पेश करते हुए संसदीय कार्यमंत्री शांति कुमार धारीवाल ने कहा कि मृत शरीर का सम्मान जरूरी है. इसके लिए राजस्थान मृत शरीर का सम्मान विधेयक-2023 लाना जरूरी था. उन्होंने कहा कि इस बिल के आने से मृत शरीरों की गरिमा सुनिश्चित होगी. साथ ही राजनीति या अन्य स्वार्थ के लिए शव के धरना-प्रदर्शन में किए जाने वाले दुरुपयोग पर प्रभावी रोक लगेगी. धारीवाल ने कहा कि मृत शवों को रखकर धरना-प्रदर्शन करने की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है.

पढ़ें : Rajasthan Vidhansabha : बिजली के मुद्दे पर विपक्ष ने किया वॉकआउट, राठौड़ बोले- राजस्थान में 'अंधेर नगरी, चौपट राजा'

धारीवाल ने विधानसभा में कहा कि साल 2014 से 2018 तक इस तरह की 82 और साल 2019 से अब तक 306 घटनाएं हुई हैं. इस तरह की घटनाओं पर प्रभावी रूप से रोक लगाने के लिए ये विधेयक लाना जरूरी था. धारीवाल ने लावारिस शवों को लेकर कहा कि साल 2023 तक प्रदेश में 3216 लावारिस शव मिले हैं. इन शवों के अंतिम संस्कार का अधिकार पुलिस या अन्य किसी अधिकारी के पास नहीं था. इस बिल के आने के बाद लावारिस शवों का सम्मान पूर्वक अंतिम संस्कार करना और इन शवों की डीएनए प्रोफाइलिंग और डिजिटलाइजेशन के माध्यम से आनुवंशिक जेनेटिक डाटा सूचना का संरक्षण और सूचना की गोपनीयता रखने जैसे महत्वपूर्ण अधिकारी मिलेंगे. उन्होंने कहा कि इससे लावारिस शवों का रिकॉर्ड सुरक्षित हो सकेगा और उनकी भविष्य में पहचान भी हो सकेगी.

Rajasthan Assembly Session
शांति धारीवाल और राजेंद्र राठौड़

ये है जुर्माने और सजा का प्रावधानः संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने विधेयक पेश करते हुए बताया कि परिजन की ओर से मृत व्यक्ति का शव नहीं लेने की स्थिति में विधेयक में एक वर्ष तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है. इसके साथ ही, परिजन की और से धरना-प्रदर्शन में शव का उपयोग करने पर भी 2 वर्ष तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान इस विधेयक में किया गया है. इसी प्रकार, परिजन से भिन्न अन्य व्यक्ति की और से शव का विरोध के लिए इस्तेमाल करने पर 6 माह से 5 वर्ष तक की सजा और जुर्माने से दंडित करने का प्रावधान किया गया है. धारीवाल ने बताया कि विधेयक के आने के बाद कार्यपालक मजिस्ट्रेट को मृतक का अंतिम संस्कार 24 घंटे में कराने की शक्ति दी गई है.

यह अवधि विशेष परिस्थितियों में बढ़ाई भी जा सकेगी. इसके साथ ही परिजन की ओर से शव का अंतिम संस्कार नहीं करने की स्थिति में लोक प्राधिकारी को अंतिम संस्कार करने का अधिकार होगा. धारीवाल ने बताया कि ये विधेयक सुप्रीम कोर्ट के सिविल रिट पिटीशन आश्रय अधिकार अभियान बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में उच्चतम न्यायालय ने मृत शरीरों के शिष्टतापूर्वक दफन और अंतिम संस्कार के निर्देश की पालना में लाया गया है.

पहला मुकदमा कांग्रेस विधायक परः विधेयक पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि इस बिल में शव के साथ प्रदर्शन पर सजा का प्रावधान करने का फैसला आपातकाल में मीसा और डीआरआई जैसे कानूनों की याद दिला दी है. राठौड़ ने कहा कि ऐसी घटना क्यों घटित हो रही है, क्या कारण है ? इन सबके हम सब लोग साक्षी रहे हैं. इस बिल के पास होने पर सबसे पहले मुकदमा दर्ज होगा ओसियां से आने वाली कांग्रेस की विधायक पर, क्योंकि वो शव के साथ बैठी हैं. जिस प्रकार की घटना जोधपुर में हुई, 4 लोगों को जिंदा जला दिया गया, उनके इंसाफ के लिए वहां धरना चल रहा है. इस विधेयक के आने के बाद अगर मैं वहां जाता हूं तो मुझ पर भी मुकदमा दर्ज हो जएगा. ये कैसा कानून है ?.

राठौड़ ने कहा कि कौन होगा जो अपने परिजन की मौत के बाद शव को सड़क पर रख प्रदर्शन करेगा, क्यों ऐसे हालत बन रहे हैं. पहले उन्हें ठीक करने की जरूरत है. सरकारें आएंगी, सरकारें जाएंगी, लेकिन जनता को सुशासन देने की जिम्मेदारी सरकार की है. जब भारी अन्याय होता है तभी मजबूरन परिजनों को ऐसा करना पड़ता है. उन्हें दो साल सजा देंगे ?. राठौड़ ने कहा कि गहलोत सरकार जाते-जाते ऐसा कानून लेकर आई है जो आम आवाम की आवाज को दबाने वाला है, इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

Last Updated : Jul 20, 2023, 10:44 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.