हैदराबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गति शक्ति मास्टर प्लान का उद्घाटन किया. आखिर क्या है ये गति शक्ति योजना सरकार जिससे सरकार विकास की गति को फुल स्पीड करने का दावा कर रही है.
क्या है योजना ?
पीएम नरेंद्र मोदी ने इस बार 15 अगस्त के मौके पर लाल किले की प्राचीर से इस योजना का ऐलान किया था. गति शक्ति योजना के तहत रेल और सड़क समेत 16 मंत्रालयों को जोड़ने का एक डिजिटल मंच है. इस योजना का मकसद इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं की एकीकृत योजना बनाना और मंत्रालयों के बीच समन्वय को बढ़ावा देना है. इसके द्वारा करीब 100 लाख करोड़ रुपये की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के विकास को रफ्तार मिलेगी.
सके तहत 16 मंत्रालयों और विभागों ने उन सभी परियोजनाओं को Geographic information system (GIS) मोड में डाल दिया है, जिन्हें 2024-25 तक पूरा किया जाना है. ये एक तरह का राष्ट्रीय मास्टरप्लान होगा.
ताकि बेहतर हो तालमेल
इस प्रोजेक्ट के तहत अब महत्वपूर्ण इन्फ्रा डेवलपमेंट प्रोजेक्ट का काम कॉमन टेंडरिंग के ज़रिए होगा. जैसे ग्रीनफील्ड रोड, रेल, ऑप्टिकल फाइबर, गैस पाइपलाइन, इलेक्ट्रिफिकेशन के लिए एक ही टेंडर जारी किया जाएगा ताकि केंद्र और राज्यों की अलग-अगल एजेंसियां और लोकल अथॉरिटी के साथ साथ प्राइवेट सेक्टर बेहतर तालमेल के साथ काम को अंजाम दे सके.
इस योजना का मकसद देश में मौजूद और भविष्य के इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में तेजी लाना और उनकी लागत कम करना है. देश में फिलहाल एक मंत्रालय सड़क बनाता है तो दूसरा पाइप और केबल बिछाने के लिए बनी हुई सड़क को फिर से खोदता है. इससे वक्त के साथ धन की बर्बादी तो होती ही है आम लोगों को परेशानी अलग होती है. ऐसे ही कारणों से करोड़ों के प्रोजेक्ट अधर में लटके रहते हैं. अलग-अलग मंत्रालयों के बीच समन्वय की कमी ना हो इसमें ये योजना मददगार साबित हो सकती है.
16 मंत्रालयों का मंच
मंत्रालय के बीच बेहतर समन्वय के लिए रेलवे, सड़क राजमार्ग, पेट्रोलियम, टेलीकॉम, नागरिक उड्डयान और इंडस्ट्रियल पार्क बनाने वाले विभागों समेत 16 मंत्रालयों को एक मंच पर लाया गया है. इन मंत्रालयों के जो भी प्रोजेक्ट अभी चल रहे हैं और 2024-25 तक पूरे होने हैं उन्हें गति शक्ति के तहत ही पूरा किया जाएगा. राज्यों के पास भी इस कॉमन टेंडरिंग का हिस्सा बनने का विकल्प मौजूद रहेगा. इस पहल से इन सभी 16 मंत्रालयों की परियोजनाओं को वक्त पर तय बजट में पूरा करने में मदद मिलेगी.
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) सभी परियोजनाओं की निगरानी और कार्यान्वयन के लिए नोडल मंत्रालय होगा. परियोजनाओं का जायजा लेने के लिए एक राष्ट्रीय योजना समूह नियमित रूप से बैठक करेगा. किसी भी नई जरूरत को पूरा करने के लिए मास्टर प्लान में किसी बदलाव को मंजूरी देने को लेकर कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिवों का एक अधिकार प्राप्त समूह गठित किया जाएगा.
सैटेलाइट से होगी निगरानी
ऐसे सभी प्रोजेक्ट्स को इस नेशनल मास्टर प्लान के तहत लाया जाएगा. इसमें सभी 16 मंत्रालयों के सचिव स्तर के अधिकारी और एक्सपर्ट होंगे. जो सैटेलाइट से लिए 3D इमेज के जरिये योजनाओं का मूल्यांकन करेंगे. मसलन अगर किसी नेशनल हाइवे का निर्माण होने पर थ्रीडी इमेज के जरिये सड़क कहां से होकर गुजरेगी, बीच में कौन सी बाधाएं आएंगी, जंगल, जलस्त्रोत या अन्य चीजों से बचते हुए सड़क का निर्माण कहां-कहां हो सकता है. साथ ही अगर अन्य मंत्रालयों को पाइपलाइन, गैस पाइपलाइन आदि बिछानी है तो उनके साथ वक्त पर तालमेल बिठा लिया जाए.
खर्चा और वक्त दोनों लगेगा कम
मंत्रालयों के बीच तालमेल की कमी के चलते कई परियोजनाएं वक्त पर पूरा नहीं हो पाती और सालों साल अधर में लटकी रहती हैं. जिससे वक्त तो बर्बाद होता ही है परियोजना की लगात भी बढ़ जाती है. कई परियोजनाओं का बजट तो दोगुना और तीन गुना तक पहुंच जाता है. लेकिन गति शक्ति मास्टर प्लान योजना से एक बार शुरू होने पर परियोजना को वक्त पर अंजाम तक पहुंचाया जाएगा. इसके लिए पहले से ही मंत्रालयों के बीच ताल-माल तय करना होगा.
इस योजना का लाभ उन निवेशकों को भी होगा जो इन मंत्रालय के तहत किसी परियोजना में निवेश कर रहे हैं. परियोजना अड़चन में फंसने से लेकर भी निवेशक चिंतित रहते हैं. ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को लेकर उठाए जा रहे इस कदम से परियोजना पर कम खर्च और वक्त लगने से भी निवेशकों को फायदा होगा.
राज्यों को भी शामिल करने की योजना
इस योजना के तहत सभी राज्यों को भी शामिल होने का आग्रह किया गया है. ताकि देशभर में चल रही परियोजनाओं को वक्त पर पूरा करने में मदद मिलेगी. एक ही मंच पर 16 मंत्रालयों की परियोजनाओं के होने से भविष्य में बेहतर नतीजे मिलेंगे. ये आंकड़ा आगे चलकर निजी क्षेत्रों को भी दिया जा सकता है. सड़क, रेलवे, दूरसंचार, तेल और गैस जैसे मंत्रालयों की परियोजनाएं भी इसी मंच पर हैं, जिनमें निजी क्षेत्र के निवेश के लिए भारत सरकार ने बीते दिनों राष्ट्रीय मौद्रिक पाइपलाइन योजना का ऐलान किया था.
इससे क्या फायदा है ?
मंत्रालयों के बीच समन्वय और वक्त पर परियोजनाओं के पूरा होने के अलावा, यह मंच उद्योगों की कार्य क्षमता बढ़ाने में मददगार होगा. स्थानीय निर्माताओं को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ उद्योग की प्रतिस्पर्धा को बढ़ाएगा.
राष्ट्रीय पाइपलाइन योजना के तहत निजी निवेश की ओर देख रही सरकार इस परियोजना के सहारे परियोजनाओं को वक्त पर पूरा करके निवेशकों को अपनी ओर आकर्षित कर सकती है.
पीएम मोदी ने 15 अगस्त को कहा था कि इस परियोजना के सहारे देश में विकास परियोजनाओं की रफ्तार बढ़ेगी. साथ ही ये पहल देश में रोजगार के अवसर भी पैदा करेगी.
ये भी पढ़ें :क्या इस योजना के जरिये मोदी सरकार बेच रही है रेलवे समेत कई संपत्तियां ?